देश में इस समय एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा छाया हुआ है। यह मुद्दा है सोनम वांगचुक और लद्दाख के नागरिकों के अधिकारों की। सोनम वांगचुक, जो कि देश के जाने-माने शिक्षा सुधारक और पर्यावरण वैज्ञानिक हैं, को केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लगातार परेशान किए जाने का मामला सामने आया है। यह घटना सिर्फ वांगचुक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र और आम नागरिक के अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।सोनम वांगचुक: शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में मिसालसोनम वांगचुक ने अपने जीवन को शिक्षा सुधार और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित किया है। उन्होंने 1988 में SECMOL की स्थापना की, जो असफल छात्रों के लिए वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली प्रदान करता है। वांगचुक ने यह साबित किया कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह जीवन को बेहतर बनाने और समाज में बदलाव लाने का माध्यम हो। इसके अलावा उन्होंने जलवायु संकट से निपटने के लिए “आइस स्तूप” जैसी तकनीक विकसित की, जो वैश्विक स्तर पर सराही गई।अरविंद केजरीवाल ने खोला मुद्दाइस पूरे विवाद के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट रूप से बयान दिया कि भाजपा सरकार जनता की आवाज़ दबा रही है। केजरीवाल ने कहा कि लद्दाख के लोग किसी विशेषाधिकार की नहीं, बल्कि अपने संवैधानिक अधिकार – वोट देने और अपनी सरकार चुनने का अधिकार चाहते हैं। केजरीवाल ने चेताया कि अगर आज लद्दाख की आवाज़ अनसुनी रही, तो यह जल्द ही पूरे देश की आवाज़ बन जाएगी।लोकतंत्र और जनता के अधिकारों का सवालकेजरीवाल ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने अंग्रेजों से आज़ादी हासिल की ताकि जनता आज़ाद रहे। लेकिन अब भाजपा के कदमों से यह स्वतंत्रता खतरे में दिख रही है। उन्होंने याद दिलाया कि भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों ने लोकतंत्र के लिए बलिदान दिया था। लद्दाख की जनता केवल अपने अधिकारों की मांग कर रही है, लेकिन सत्ता उन्हें लगातार वंचित कर रही है।जनता की ताकत और एकजुटतालद्दाख की जनता की हिम्मत और एकजुटता इस बात का प्रमाण है कि जब जनता ठान ले, तो कोई सत्ता भी उसे नहीं रोक सकती। केजरीवाल ने कहा कि यह संघर्ष केवल सोनम वांगचुक या लद्दाख की जनता का नहीं है, बल्कि पूरे भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए है।यह लड़ाई हर भारतीय की हैसोनम वांगचुक का जीवन प्रेरणा देता है और लद्दाख की जनता का संघर्ष यह बताता है कि लोकतंत्र तभी मजबूत रहेगा जब हर नागरिक अपने अधिकारों के लिए खड़ा होगा। आज लद्दाख की लड़ाई केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र की लड़ाई है। हर भारतीय का फर्ज़ है कि वह इस लड़ाई के साथ खड़ा हो और लोकतंत्र को जिंदा रखने में अपना योगदान दे। Comments (0) Post Comment
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