गांधी और शास्त्री की जयंती: पीएम मोदी ने राजघाट और विजय घाट पर अर्पित की श्रद्धांजलि

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2 अक्टूबर का दिन भारत के इतिहास में बेहद खास माना जाता है। इस दिन देश को दो महान नेता मिलेराष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री। आज गांधीजी की 156वीं और शास्त्रीजी की 121वीं जयंती पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गईइस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

 पीएम मोदी ने किया दोनों महापुरुषों को नमन

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह सबसे पहले राजघाट पहुंचे और बापू को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वे विजय घाट पहुंचे और लाल बहादुर शास्त्री को भी नमन किया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी दोनों नेताओं को याद करते हुए संदेश साझा किया।

 गांधी जयंती पर उन्होंने लिखा कि यह दिन प्रिय बापू के असाधारण जीवन को याद करने का दिन है, जिनके आदर्शों ने मानव इतिहास की दिशा बदल दी। उन्होंने दिखाया कि साहस और सादगी समाज में बड़े बदलाव का जरिया बन सकते हैं। पीएम ने कहा कि हम सभी को विकसित भारत के निर्माण में गांधीजी के बताए मार्ग पर चलते रहना चाहिए।

 लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए पीएम मोदी ने लिखा कि शास्त्री जी की ईमानदारी, विनम्रता और दृढ़ संकल्प ने कठिन समय में भी भारत को सशक्त बनाया। उनका "जय जवान, जय किसान" का नारा आज भी देशवासियों को देशभक्ति की प्रेरणा देता है।

 राष्ट्रपति मुर्मू और उपराष्ट्रपति ने भी अर्पित की श्रद्धांजलि

 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी इस अवसर पर राजघाट पहुंचीं और बापू को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वे विजय घाट गईं और शास्त्री जी को पुष्पांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि गांधीजी ने सत्य, अहिंसा, शांति और सहिष्णुता का संदेश दिया था। उन्होंने छुआछूत, अशिक्षा और सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया।

 उन्होंने कहा कि गांधीजी ने कमजोर और वंचित वर्गों को हमेशा शक्ति दी और आत्मनिर्भर भारत का संदेश चरखा और श्रम की गरिमा के माध्यम से दिया। राष्ट्रपति ने देशवासियों से अपील की कि वे गांधीजी के मार्ग पर चलकर एक स्वच्छ, सक्षम और सशक्त भारत बनाने का संकल्प लें।

 वहीं उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भी विजय घाट जाकर शास्त्री जी को श्रद्धांजलि दी।

 देशभर में कार्यक्रम और श्रद्धांजलि सभाएं

 गुजरात के पोरबंदर में, जहां गांधीजी का जन्म हुआ था, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल कीर्ति मंदिर पहुंचे और बापू को नमन किया। वहीं गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी गांधीजी को श्रद्धांजलि दी। देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। बच्चों और युवाओं ने गांधीजी और शास्त्रीजी के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लिया।

 गांधी और शास्त्री: भारत की आत्मा के प्रतीक

 महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने जीवन का आधार बनाया और स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। संयुक्त राष्ट्र ने भी उनकी जयंती को "अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के रूप में मान्यता दी है।

 वहीं लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय (अब दीनदयाल उपाध्याय नगर) में हुआ था। सादगी, ईमानदारी और दृढ़ निश्चय से उन्होंने राजनीति में उदाहरण पेश किया। उनका नारा "जय जवान, जय किसान" आज भी हर भारतीय के दिल को छूता है।

 कुल मिलाकर 2 अक्टूबर केवल कैलेंडर की तारीख नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा और मूल्यों का प्रतीक है। गांधीजी का सत्य-अहिंसा का मार्ग और शास्त्रीजी का देशभक्ति से भरा संदेश आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। आज पूरा देश इन दोनों महान विभूतियों को नमन कर रहा है और उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प ले रहा है।

 

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