बॉलीवुड की दमदार अदाकारा विद्या बालन अपने बेबाक अंदाज और महिला केंद्रित फिल्मों के लिए जानी जाती हैं।लेकिन हाल ही में उन्होंने अपने करियर के उस दौर को याद किया, जब साउथ सिनेमा ने उन्हें ‘अनलकी’ यानी अपशकुनी करार दे दिया था।दरअसल, एक समय ऐसा आया जब विद्या ने 8-9 साउथ फिल्में साइन कर ली थीं। लेकिन एक फिल्म, जो कि सुपरस्टार मोहनलाल के साथ थी, अचानक बंद हो गई।इसके बाद साउथ इंडस्ट्री में उन्हें लेकर धारणा बदल गई और एक्ट्रेस के हाथ से एक के बाद एक सारे प्रोजेक्ट निकलते चले गए।विद्या बालन ने सुनाई अपने शुरुआती दिनों की कहानी‘समथिंग बिगर’ शो में रोड्रिगो कैनेलस से बातचीत में विद्या ने खुलासा किया कि उन्हें अपने करियर की शुरुआत में मोहनलाल के साथ एक मलयालम फिल्म मिली थी, जिसका नाम था ‘चक्रम’। इस फिल्म में कमल डायरेक्टर थे और दिलीप सपोर्टिंग रोल निभा रहे थे।विद्या ने बताया, “मैंने उस फिल्म के लिए 6-7 दिन शूटिंग की थी। लेकिन निर्देशक और मोहनलाल को कुछ दिक्कतें आ रही थीं, जिससे शूटिंग आगे नहीं बढ़ पाई। मैं उस वक्त नई थी और सोच रही थी कि शायद फिल्मों में ऐसे ही होता है।”अचानक बंद हो गई फिल्म, विद्या लौटीं मुंबईविद्या कहती हैं, “अचानक एक दिन मुझे बताया गया कि फिल्म की शूटिंग रोक दी गई है और मैं वापस मुंबई आ गई।उस वक्त यह खबर पहले ही फैल चुकी थी कि एक साउथ इंडियन लड़की (मैं) एक मलयालम फिल्म कर रही है।उस समय ज़्यादातर साउथ फिल्मों में पंजाबी हीरोइनें होती थीं। इसलिए मुझे लेकर काफी चर्चा होने लगी।”मिला था लगातार फिल्मों का ऑफरविद्या ने कहा “मेरे पास अचानक साउथ से कई कॉल्स आने लगे। लोग स्क्रिप्ट सुनाते, फीस पर बात करते और मैं खुद को स्टार समझने लगी। मैंने 8-9 फिल्में एक साथ हां कर दीं।”लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। मोहनलाल की फिल्म ‘चक्रम’ जब आधिकारिक रूप से बंद हुई, तब फिल्ममेकर्स की सोच विद्या को लेकर बदल गई।‘अपशकुनी’ मान लिया गया!विद्या बताती हैं, “उस एक फिल्म के बंद होने के बाद मुझे जितनी भी फिल्में ऑफर हुई थीं, सब निकल गईं। उस समय वहां यह मान लिया गया कि शायद मेरी वजह से ही फिल्म बंद हुई।मुझे 'अनलकी' और 'अपशकुनी' मान लिया गया। मैंने बिना कुछ किए ही 9 फिल्में गंवा दीं।” विद्या के मुताबिक, यह उनके करियर के शुरुआती संघर्षों में सबसे बड़ा झटका था।किस्मत ने बाद में बदला पासाहालांकि, इस झटके के बाद भी विद्या बालन ने हार नहीं मानी। कुछ समय बाद उन्होंने टीवी और फिर फिल्मों में काम शुरू किया।2005 में आई ‘परिणीता’ से उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया और फिर ‘द डर्टी पिक्चर’, ‘कहानी’, ‘तुम्हारी सुलु’, और हाल ही में ‘नीतू’, ‘शेरनी’ जैसी फिल्मों से खुद को महिला केंद्रित सिनेमा की लीडिंग लेडी के रूप में स्थापित कर दिया।आज विद्या बालन एक ऐसी अभिनेत्री हैं जो हीरो के बिना भी फिल्म को हिट कराने की क्षमता रखती हैं।कुल मिलाकर साउथ में एक फिल्म का बंद होना उनके लिए एक झटका जरूर था, लेकिन उसी अनुभव ने विद्या को मजबूत भी बनाया।9 फिल्में गंवाना शायद किसी के लिए करियर खत्म होने जैसा होता, लेकिन विद्या ने इस नकारात्मक अनुभव को ताकत में बदल दिया।आज वह ना सिर्फ एक सफल अभिनेत्री हैं बल्कि महिला सशक्तिकरण की प्रतीक भी बन चुकी हैं।विद्या की यह कहानी हर युवा एक्टर के लिए प्रेरणा है कि सफलता के रास्ते में कुछ दरवाजे बंद होते हैं, तो कुछ और नए खुलने की तैयारी कर रहे होते हैं।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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