ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
वरुण धवन और डायरेक्टर शशांक खेतान की जोड़ी पहले भी फिल्मों जैसे ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’ और ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ में दर्शकों को हंसाने और रोमांचित करने में सफल रही थी। अब यह जोड़ी ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ के साथ फिर लौट आई है। फिल्म देखने में रंगीन और भव्य लगती है, लेकिन कहानी में कई जगह लॉजिक की कमी नजर आती है और कहीं-कहीं मजबूरी में कोई संदेश डालने की कोशिश दर्शक पर भारी पड़ती है।
कहानी का सार
फिल्म की कहानी शादी-ब्याह और रोमांस के क्लासिक ड्रामा पर आधारित है। सनी (वरुण धवन) और तुलसी (जाह्नवी कपूर) दोनों अपने-अपने पार्टनर्स से धोखा खा चुके हैं। अब उनके एक्स, विक्रम (रोहित सराफ) और अनन्या (सान्या मल्होत्रा), आपस में शादी करने जा रहे हैं। सनी और तुलसी मिलकर इस शादी को रोकने और अपना प्यार वापस पाने की कोशिश करते हैं। इस सफर में कॉमेडी, ड्रामा और थोड़ी भावनात्मक स्थिति मिलती है।
एक्टिंग और कलाकार
वरुण धवन हमेशा की तरह ऊर्जावान और मजेदार दिखाई देते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग अच्छी है, लेकिन कहीं-कहीं ऐसा लगता है जैसे वे अपने पुराने अंदाज को दोहरा रहे हैं। उनकी एक्टिंग में गोविंदा की छवि भी झलकती है।
डायरेक्शन और तकनीकी पहलू
म्यूजिक और डांस
गानों में मेहनत दिखाई देती है, लेकिन म्यूजिक नया या यादगार नहीं है। वरुण धवन के डांस सीक्वेंस एंटरटेनिंग हैं, लेकिन गाने थिएटर छोड़ते समय ज्यादा याद नहीं रहते।
फाइनल वर्डिक्ट
‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ एक हल्की-फुल्की एंटरटेनर है। वरुण धवन की एनर्जी और सान्या मल्होत्रा की परफॉर्मेंस फिल्म को संभालती हैं। लेकिन कहानी की पुरानी रफ्तार, मजबूरी में डाले गए संदेश और जल्दी निपटाया गया क्लाइमेक्स मज़ा बिगाड़ देते हैं।
Comments (0)
No comments yet. Be the first to comment!