पंचायत 4 की रिलीज़ के साथ ही वो आम चेहरे जो कभी कैमरे के बीच हवा की तरह गायब हो जाते थे, आज आपके और हमारे रोज़मर्रा की बातचीत में शामिल हो गए हैं। आप शायद उन नामों को भूल गए हों, मगर सचिव जी, प्रहलाद चा, विकास, रिंकी, बनराकस, क्रांति देवी और बिनोद की कहानी अब हर दिल की जुबान पर है।पंचायत ने उन कलाकारों को सिर्फ पहचान ही नहीं दी, बल्कि उनके ड्रीम को सच कर दिखाया।सचिव जी, प्रहलाद चा और विकासपंचायत 4 के पहले सीज़न में एक-आध सीन में दिखे फैसल मलिक यानी प्रहलाद चा ऐसे कलाकार थे जिनकी केबिन लाइफ रेलवे स्टेशन पर कटती थी।किसने सोचा था कि ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर 2’ की टीम में सड़क पर सोने वाला किरदार निभाने वाला एक लड़का इतने बड़े मंच पर चमकेगा?मगर अगला सीज़न आते ही उन्होंने अपने किरदार को एक दमदार शुरुआत दी और महराजा, स्टोलन जैसी वेब सीरीज ने उनके लिए रास्ता खोल दिया।वहीं चंदन राय उर्फ विकास ने अपनी सादगी से दिल जीत लिया, और पंचायत 4 ने उनके लिए नए कंट्रैक्ट और ऑफर ला दिए हैं।रिंकी और उनकी चमकसनविका उर्फ रिंकी के किरदार ने आपको शुरुआत में ठहराया था, मगर चौथे सीज़न में सचिव जी के साथ उनकी लव स्टोरी ने जो धमाल मचाया, वह देखने लायक था।आपकी वो लेफ्ट आउट एक्टिंग, जब पंचायत आई, तो कैमरे ने उनकी सादगी और भावनाओं को मौका दिया। अब लोग न सिर्फ किरदार बल्कि सनविका को असली नाम से जानने लगे हैं।बनराकस: गांव की असली आवाज बनी पहचानदुर्गेश कुमार उर्फ बनराकस का वो डायलॉग “देख रहा है बिनोद” आज कौन नही जानता। 12 साल तक संघर्ष करने वाली उनकी मेहनत आज रंग लाई है।वे छोटे-छोटे रोल करते थे, मगर पंचायत की रिमोट कंट्रोल ने उन्हें वह पहचान दी जिसकी उन्हें तलाश थी। अब फिल्मों और वेब सीरीज में उनके लिए नए दरवाज़े खुल चुके हैं।क्रांति देवी और बिनोदNSD से पढ़ाई करने वाली सुनीता राजवर, जिन्होंने मुंबई में जूनियर आर्टिस्ट बनकर संघर्ष किया, पंचायत में क्रांति देवी बनकर घर-घर में लोकप्रिय हो गईं।जितना काम उन्होंने ‘गुल्लक’ जैसी सीरियज़ में किया, उतना ही प्रभाव पंचायत ने उनके रोल में जोड़ा, और अशोक पाठक जो बिनोद का किरदार निभाते हैं, उनकी डायलॉग डिलीवरी पर लोग आज भी अपनी हंसी रोक नहीं पाते।छोटा रोल, बड़ी पहचान: मेहनत का फलगौर करने वाली बात ये है कि ये छः कलाकार महज एक वेब सीरीज़ से अलग पहचान बने।इनके किरदारों के कारण न सिर्फ उनके अपोजिट रोल की मांग बढ़ी बल्कि ये छोटे-छोटे किरदार उन्हें बड़े स्टेज पर ले आए।पंचायत के किरदारों ने बतलाया कि जब कहानी दमदार हो और समय सही हो, तो छोटे रोल में भी धमाका हो सकता है।कहानी ने बना दिया सिताराइन कलाकारों की कहानी ने एक बड़े सच को उजागर किया है, छोटे रोल मायने रखते नहीं, मेहनत मायने रखती है। पंचायत ने इन सबको वही मौके दिए जिनकी उन्हें ज़रूरत थी।चार्टबस्टर वेब सीरिज़ बन चुकी इस कहानी ने छोटे कलाकारों को बड़े मंच पर मौका देकर उनकी काबिलियत सबके सामने रख दी।अब आगे क्या होगा?खुद पंचायत की स्टारकास्ट ने कहा कि उनके लिए बस एक शुरुआत भर थी। अब महराजा, स्टोलन जैसी बड़ी परियोजनाओं से लेकर आने वाली डिज़िटल दुनिया के काम उनके इंतज़ार में हैं।पंचायत से पहले ये कलाकार भूल-से पड़े थे, मगर अब न सिर्फ याद किए जाते हैं बल्कि उन्हें सीनियर कलाकारों के रूप में पेश किया जा रहा है।यह बदलाव सिर्फ पहचान था कि नहीं, बल्कि मेहनत का सम्मान भी है। पंचायत ने दिखाया कि अच्छी कहानी, सटीक रोल, कड़ी मेहनत और वक्त का सही मिलाप किस्मत को पलट सकता है।छोटे रोल से भले ही शुरुआत की हो, लेकिन जब मंच बड़ा हो, तो परिणाम भी बड़ा मिलता है।ये छः सितारे आज उसी इब्जेक्ट की मिसाल हैं जो आपने 'एक छोटे शहर से बड़ी पहचान' जैसे मुकाम तक पहुंचाया है।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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