रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र के दौरान प्रेस ब्रिफिंग में भारत की विदेश नीति का पूरा सम्मान जताया। उन्होंने कहा कि भारत अपने सहयोगी देशों को खुद चुनता है और इसमें कोई अन्य देश हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यह बयान अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीदने पर भारत पर लगाए गए टैरिफ के संदर्भ में आया। लावरोव ने स्पष्ट किया, “भारत-रूस की आर्थिक साझेदारी पर कोई खतरा नहीं है। हमारे रिश्ते पूरी तरह सुरक्षित हैं। भारत किसी तीसरे देश के साथ अपने द्विपक्षीय व्यापार, निवेश, आर्थिक और तकनीकी संबंधों पर खुद निर्णय लेने में सक्षम है।”भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारीलावरोव ने भारत और रूस के दीर्घकालीन रणनीतिक रिश्तों पर जोर देते हुए कहा कि यह साझेदारी अब “अहम रणनीतिक साझेदारी” के रूप में मानी जाती है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच नियमित बातचीत होती रहती है और व्यापारिक संबंधों या तेल आपूर्ति के मामलों में भारत पूरी तरह से स्वतंत्र है।उन्होंने चीन में हुए SCO शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए बताया कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच अंतरराष्ट्रीय मंचों पर करीबी सहयोग है। दिसंबर में पुतिन की भारत यात्रा में व्यापार, सैन्य, तकनीकी सहयोग, वित्त, स्वास्थ्य, उच्च-प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे क्षेत्रों पर चर्चा होगी।UNSC में स्थायी सदस्यता का समर्थनरूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया। लावरोव ने कहा कि रूस चाहता है कि भारत और ब्राजील को स्थायी सीट मिले। उन्होंने SCO और BRICS जैसे अंतरराष्ट्रीय समूहों की अहमियत भी बताई और कहा कि BRICS विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) के हितों के लिए मिलकर काम करने का बेहतरीन जरिया है।जयशंकर से हुई चर्चाएँभारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 21 अगस्त को मॉस्को में लावरोव से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार नहीं है, बल्कि चीन और कुछ अन्य दक्षिणी देश रूस से अधिक तेल खरीदते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यूरोपीय यूनियन (EU) रूस से LNG खरीदने में सबसे आगे है।जयशंकर ने भारत-रूस व्यापार संतुलन पर भी जोर दिया। दोनों देशों ने सहमति जताई कि भारत से कृषि, दवाइयाँ और कपड़ों के इंपोर्ट को बढ़ाकर व्यापार घाटा कम किया जाएगा। इसके अलावा नॉन-टैरिफ बाधाओं और रेगुलेशन समस्याओं को जल्द हल करने का वादा भी किया गया।अमेरिकी टैरिफ और भारत की स्थितिअमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। वर्तमान में भारत पर कुल 50% अमेरिकी टैरिफ लागू है। अमेरिकी राष्ट्रपति का तर्क है कि भारत के तेल खरीदने से रूस को यूक्रेन युद्ध में मदद मिल रही है।इस पर लावरोव ने कहा कि अमेरिका चाहे जितनी भी शर्तें लगाए, भारत अपनी आर्थिक और रणनीतिक निर्णय स्वतंत्र रूप से लेता है। भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय सहयोग मजबूत और स्थिर बना रहेगा।रणनीतिक, आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा सहयोगभारत और रूस के संबंध दशकों पुराने और मजबूत हैं। दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा सहयोग लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका के टैरिफ या बाहरी दबाव के बावजूद भारत अपनी विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय ले रहा है। लावरोव के बयान से यह स्पष्ट हुआ कि रूस भारत के फैसलों का सम्मान करता है और दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग भी जारी रहेगा। Comments (0) Post Comment
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