PoK में विरोध प्रदर्शन: सुरक्षा बलों के 25 जवान बंधक, 10 मौतें और हिंसा

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पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बुनियादी जरूरतों पर सब्सिडी कटौती और महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों के 25 जवानों को बंधक बना लिया है और उन्हें मानव ढाल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। इस कारण सुरक्षा बल सीधे कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।

 प्रदर्शनकारियों का आरोप और हिंसक घटनाएं

 विरोध प्रदर्शन जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC) की अपील पर हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सरकार पर मौलिक अधिकारों की अनदेखी और महंगाई पर नियंत्रण कर पाने का आरोप लगा रहे हैं। उनकी मांगों में बिजली और आटे के बिलों पर सब्सिडी, स्थानीय लोगों के लिए बिजली परियोजनाओं में लाभ, और PoK विधानसभा की 12 रिजर्व सीटों को खत्म करना शामिल है।

 सुरक्षा बलों ने प्रदर्शन को रोकने की कोशिश में निहत्थे लोगों पर फायरिंग की, जिसमें अब तक 8 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। चार दिन जारी हिंसा में कुल 10 लोगों की मौत हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बाघ जिले के धीरकोट में 4, मुजफ्फराबाद में 2 और मीरपुर में 2 लोग मारे गए।

 प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें

 प्रदर्शनकारियों ने सरकार के सामने कुल 38 मांगें रखी हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं:

 1. पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटें खत्म करना।

2. बिजली परियोजनाओं में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देना।

3. आटे और बिजली के बिलों पर छूट देने की मांग।

 आरक्षित सीटों के कारण स्थानीय आबादी का प्रतिनिधित्व कम हो जाता है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि उनकी समस्याओं और जरूरतों के लिए अधिक विधायक चुने जाएं। JKJAAC का कहना है कि रिजर्व सीटें केवल कुछ परिवारों को फायदा पहुंचा रही हैं।

 हिंसा और प्रशासनिक कार्रवाई

 प्रदर्शनकारी मुजफ्फराबाद की तरफ मार्च कर रहे हैं। उन्होंने सड़क मार्गों पर कंटेनर फेंके और पत्थर हटा कर रास्ता बनाया। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन प्रशासन ने कई जगहों पर इंटरनेट बंद कर दिया है और पत्रकारों और पर्यटकों की एंट्री पर रोक लगा दी है। सरकार को डर है कि यह प्रदर्शन स्वतंत्रता की मांग में बदल सकता है।

 JKJAAC नेता शौकत नवाज मीर ने कहा कि यह आंदोलन मौलिक अधिकारों के लिए है। उन्होंने कहा, "हमारी मुहिम 70 साल से इनकार किए गए अधिकारों के लिए है। या तो हक दो, वरना लोगों का गुस्सा झेलो।" मीर ने मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग भी की।

 पूर्व अनुभव और मौजूदा हालात

 PoK में पहले भी कई बार महंगाई और सरकारी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। पिछले साल मई में सस्ते आटे और बिजली की मांग पर लोग सड़कों पर उतरे थे। 2023 में बिजली की कीमतों में वृद्धि और गेहूं की सब्सिडी हटाने के खिलाफ भी बड़े प्रदर्शन हुए थे। 2022 में भी सरकार के कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए और लोग स्वतंत्रता के नारे लगा रहे थे।

 PoK में जारी विरोध प्रदर्शन गंभीर रूप ले चुका है। प्रदर्शनकारियों की मांगें महंगाई और मौलिक अधिकारों से जुड़ी हैं, लेकिन हिंसा और बंधक बनाए गए सैनिक स्थिति को और जटिल बना रहे हैं। प्रशासन ने इंटरनेट और मीडिया पर पाबंदी लगाई है, जिससे हालात पर नियंत्रण बनाने की कोशिश की जा रही है। अब यह देखना बाकी है कि सरकार और प्रदर्शनकारी किस तरह इस संकट का समाधान निकालते हैं।


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