भारत की पीठ में छुरा? ट्रंप की टीम पाकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की से कर रही गुपचुप डील

जबसे भारत-पाक युद्ध में हुए सीज़फायर में अमेरिका ने अपने रोल को सबसे बड़ा साबित किया, तब से वो कुछ अलग ही तरह की हरकतें कर रहा है।

खास कर तब से, जब भारत के विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी अपनी प्रेस वार्ताओं में अप्रत्यक्ष रूप से ये साफ कर दिया कि भारत इस और किसी भी तरह के युद्ध में स्वतंत्र और बिना किसी तीसरे के दखलंदाज़ी के फैसले ले रहा है और लेगा।

फिलहाल, भारत को अमेरिका की तरफ से चौंकाने वाली खबरें आ रही हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके करीबी सहयोगी भारत के रणनीतिक विरोधियों पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की से रिश्ते मजबूत कर रहे हैं।

मगर, सवाल उठता है कि क्या ये सिर्फ व्यापारिक डील हैं या भारत को घेरने की नई रणनीति? 


पाकिस्तान में ‘सुनहरी’ संभावनाएं, लेकिन भारत के लिए खतरा

डोनाल्ड ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के कॉलेज के दोस्त और ट्रंप परिवार के करीबी माने जाने वाले जेंट्री बीच जनवरी में पाकिस्तान पहुंचे।

यहां उन्होंने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत देश के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की। 

उन्होंने पाकिस्तान को ‘खजाने से भरा देश’ बताया - जहां 50 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा के खनिज होने का दावा किया।

शहबाज शरीफ ने इस ‘गोल्डमैन’ को न केवल पाक कैबिनेट से मिलवाया, बल्कि फरवरी में दुबई में फिर से उससे मुलाकात की।

बात सिर्फ मुलाकात तक सीमित नहीं थी बल्कि इन बैठकों में रियल एस्टेट, तेल, गैस और माइनिंग के अरबों डॉलर के सौदों की बात हुई।


बांग्लादेश में भी ‘सौदेबाज़ी’

पाकिस्तान से निकलकर जेंट्री बीच बांग्लादेश पहुंचे और अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस से मिले। यहां भी वही एजेंडा - तेल, गैस, डिफेंस और रियल एस्टेट सेक्टर में भारी FDI का लालच।

ट्रंप कैंप के इस प्रयास को तब और संदिग्ध माना गया, जब ये सब उस समय हुआ जब भारत-बांग्लादेश संबंध बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं।


तुर्की: चीन की जगह ‘नई फैक्ट्री’ का सपना

इसी दौरे के दौरान जेंट्री बीच इस्तांबुल में तुर्की के टेरा होल्डिंग से संयुक्त उद्यम के लिए समझौते पर भी हस्ताक्षर करते हैं।

उनका प्रस्ताव तुर्की को चीन की जगह अगली ग्लोबल फैक्ट्री बनाने का है। वहीं, पाकिस्तान उस वक्त कश्मीर में आतंकी साजिशों में लगा था।


क्रिप्टो डील है असली खेल

15 मई को टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक बड़ी रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें इस बात का जिक्र हुआ कि पाकिस्तान ने अमेरिका की वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के साथ एक क्रिप्टो डील साइन की, और इस कंपनी में ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी है।

ये डील ‘पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल’ के साथ हुई, जिसे हाल ही में बनाया गया है। इस काउंसिल ने बाइनेंस के फाउंडर चेंगपेंग झाओ (CZ) को अपना सलाहकार नियुक्त किया है और इसका मकसद है इस्लामाबाद को ‘क्रिप्टो की राजधानी’ बनाना।

कंपनी के प्रतिनिधियों को पाकिस्तान भेजा गया, जिनमें ट्रंप के गोल्फ पार्टनर स्टीव के बेटे जाचरी विटकॉफ भी शामिल थे। खुद पाक पीएम शरीफ और आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने उनका स्वागत किया।


व्यापार की आड़ में राजनीति?

विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप टीम के इन दौरे और डील्स का पैटर्न साफ है - भारत के कूटनीतिक और सुरक्षा प्रतिद्वंद्वियों से गहरे व्यापारिक रिश्ते बनाना। क्या यह व्यापार है या एक सोची-समझी रणनीति?

इतिहास में ट्रंप प्रशासन पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने निजी व्यापारिक फायदे के लिए व्हाइट हाउस के संपर्कों का इस्तेमाल किया।

अब जबकि 2024 की राजनीति तेज हो रही है, ट्रंप और उनके परिवार के ये कदम नई चिंता पैदा कर रहे हैं।


निष्कर्ष क्या निकाला जाए?

पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की से ट्रंप के करीबियों की बढ़ती नजदीकी सिर्फ निवेश नहीं, एक कूटनीतिक खेल भी हो सकता है।

भारत को इन ‘व्यापारिक मित्रताओं’ के पीछे के इरादों पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है।

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