रूस दौरे पर बोले एस. जयशंकर: "भारत नहीं, चीन है रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार"

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार, 21 अगस्त 2025 को मॉस्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ मुलाकात के बाद जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत पर लगाए गए 25% अतिरिक्त टैरिफ की आलोचना की। जयशंकर ने साफ कहा कि भारत पर रूसी तेल खरीदने का सबसे बड़ा ग्राहक होने का आरोप गलत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस का सबसे बड़ा ऑयल बायर भारत नहीं, बल्कि चीन है।

LNG और ट्रेड पर बड़ा बयान

जयशंकर ने बताया कि केवल तेल ही नहीं, बल्कि LNG (लिक्विफाइड नेचुरल गैस) खरीदने में भी भारत सबसे आगे नहीं है। इस मामले में यूरोपियन यूनियन (EU) रूस का सबसे बड़ा ग्राहक है। इसके अलावा, 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, रूस के साथ ट्रेड बढ़ाने में भी भारत से पहले कई दक्षिणी देश आगे रहे हैं।

उन्होंने कहा – “भारत को टारगेट करना गलत है। जिन देशों ने रूस के साथ कहीं ज्यादा कारोबार किया, उन पर सवाल क्यों नहीं उठाए जाते? भारत पर हाई टैरिफ समझ से परे है।

पुतिन से भी हुई मुलाकात

बता दें, विदेश मंत्री जयशंकर ने इस दौरे के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच रक्षा, ऊर्जा और वैश्विक सुरक्षा को लेकर बातचीत हुई। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब भारत पर अमेरिका का दबाव लगातार बढ़ रहा है कि वह रूस से तेल और अन्य ऊर्जा संसाधनों की खरीद घटाए।

भारत पर 25% टैरिफ

इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस से तेल खरीदने के चलते भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। यह टैरिफ 27 अगस्त 2025 से लागू होगा। ट्रम्प का आरोप है कि भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना, सीधे-सीधे रूस की यूक्रेन युद्ध मशीनरी को सहारा देता है।

ट्रम्प ने कहा – “भारत को समझना चाहिए कि हर बैरल तेल जो वह रूस से खरीदता है, वह पुतिन को यूक्रेन पर हमला जारी रखने की ताकत देता है।

भारत का तर्कऊर्जा सुरक्षा ज़रूरी

हालांकि भारत लगातार यह दलील देता रहा है कि तेल और गैस की खरीद राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा का सवाल है। रूस से मिलने वाला किफायती तेल भारत की जरूरत है क्योंकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। जयशंकर ने इस पर भी जोर दिया कि भारत ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं किया है और वह केवल अपने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर फैसला ले रहा है।

क्यों अहम है यह विवाद?

यह पूरा विवाद इसलिए अहम है क्योंकि भारत रूस का एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार है, वहीं अमेरिका के साथ भी उसके रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं। लेकिन अब ट्रम्प के टैरिफ फैसले के बाद भारत को दोनों पक्षों के बीच संतुलन साधने की बड़ी चुनौती झेलनी पड़ सकती है।

कुल मिलाकर, जयशंकर का रूस दौरा इस बात का संकेत है कि भारत अपने फैसले खुद करेगा और किसी दबाव में नहीं आएगा। लेकिन आने वाले समय में टैरिफ का असर भारत-अमेरिका रिश्तों और भारत की अर्थव्यवस्था पर कितना पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

Comments (0)