राकेश शर्मा के बाद अब शुभांशु शुक्ला: अंतरिक्ष के लिए हुए रवाना!

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज देश का नया गर्व बन चुके हैं। 25 जून 2025 को वह Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ऐतिहासिक यात्रा पर रवाना होंगे।

यह मिशन भारत के लिए कई मायनों में खास है क्योंकि शुभांशु, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे। इस उपलब्धि के बाद वह लखनऊ से अंतरिक्ष पहुंचने वाले पहले व्यक्ति भी बन जाएंगे।


कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे शुभांशु ने अपनी स्कूली पढ़ाई सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से की। केवल 16 साल की उम्र में उनका चयन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के लिए हो गया था।

साल 2006 में वे भारतीय वायुसेना में शामिल हुए। वह एक अनुभवी टेस्ट पायलट हैं और अब अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं।


क्यों हो रही है चर्चा?

गगनयान मिशन के लिए चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक होने के साथ ही शुभांशु अब Axiom-4 मिशन के तहत ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बनेंगे।

उनके अंतरिक्ष प्रयोगों से मानव पोषण, स्पेस बायोलॉजी, और बायो-रिसाइक्लिंग सिस्टम्स पर महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त होगा, जो भविष्य में गगनयान मिशन 2027 को मजबूती देगा।


अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय

शुभांशु ने अब तक Su-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जैगुआर, डॉर्नियर और An-32 जैसे विमानों पर 2000 घंटे से अधिक उड़ान भर चुके हैं।

रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर से उन्होंने विशेष प्रशिक्षण लिया है। इसरो ने उन्हें साल 2019 में गगनयान मिशन के लिए चुना था।


Axiom-4 मिशन और शुभांशु की भूमिका

Axiom-4 मिशन को Axiom Space, NASA और SpaceX की साझेदारी में संचालित किया जा रहा है।

10 जून 2025 को यह मिशन फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए लॉन्च होगा। शुभांशु इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगे।


कितने दिन का होगा मिशन?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मिशन करीब 14 दिन का होगा जिसमें शुभांशु 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे।

इनमें शामिल हैं:


  • माइक्रोग्रैविटी में सुपरफूड्स (माइक्रोएल्गी, स्पाइरुलिना, सायनोबैक्टीरिया) पर अध्ययन

  • टार्डिग्रेड्स के जीवन पर असर

  • बीजों की अंकुरण क्षमता का परीक्षण


चंद शब्दों में कहना हो तो शुभांशु शुक्ला का यह मिशन केवल एक उड़ान नहीं है, यह भारत की विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक नई छलांग है।

राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में कदम रखने वाले यह दूसरे भारतीय देश के युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा बन चुके हैं।

उनकी यह यात्रा आने वाले वर्षों में भारत के गगनयान और अन्य स्पेस मिशनों को नई दिशा देने में सहायक होगी।

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