इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज करेगा ‘चेनाब ब्रिज’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 जून को ‘चेनाब ब्रिज’ का उद्घाटन करने जा रहे हैं, जो कि भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल साबित होने वाला है।

यह पुल दुनिया का सबसे ऊंचा सिंगल आर्क रेलवे ब्रिज है, जिसकी ऊंचाई एफिल टावर से भी 35 मीटर ज्यादा है।

मतलब ये कि कश्मीर की वादियों तक पहुंचने के लिए यह पुल तकनीकी और इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है।


अमेरिका के महंगे पुल से सस्ती भारत की सफलता

इस पुल की सबसे खास बात यह है कि इसकी लागत अमेरिका में 88 साल पहले बने ‘गोल्डन गेट ब्रिज’ की तुलना में लगभग 80% कम है।

जी हां, 1933 में अमेरिका ने जो पुल बनाया था, उसकी आज की लागत करीब 7417 करोड़ रुपये आंकी गई है, जबकि भारत ने चेनाब ब्रिज सिर्फ 1486 करोड़ रुपये में तैयार किया है।


कश्मीर की कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव

यह ‘चेनाब ब्रिज’ जम्मू के ऊधमपुर से लेकर बनिहाल तक कश्मीर की वादियों को जोड़ने वाला है और इससे कश्मीर की घाटी पूरी तरह से देश के रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगी।

इससे पहले सड़क मार्ग से 8 घंटे का सफर अब सिर्फ 2-3 घंटे का हो जाएगा।


टेक्नोलॉजी और मजबूती का परफेक्ट मेल

यह पुल नदी की तलहटी से 359 मीटर की ऊंचाई पर बना है, जो इसे न केवल ऊंचाई में बल्कि मजबूती में भी बेजोड़ बनाता है।

इस ब्रिज की लंबाई 1.31 किलोमीटर है और इसे लगभग 120 साल तक टिकाऊ बनाने के लिए बनाया गया है।

तकनीकी रूप से यह इतना मजबूत है कि यह 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को झेल सकता है और तापमान में -10 से -40 डिग्री सेल्सियस तक का सामना कर सकता है।


मेक इन इंडिया का जलवा और भविष्य की राह

‘चेनाब ब्रिज’ का निर्माण भारत और दक्षिण कोरिया की कंपनियों ने मिलकर किया है। 

यह ‘मेक इन इंडिया’ का एक शानदार उदाहरण है, जो दिखाता है कि भारत आज भी अपने दम पर बड़े और जटिल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को सफलता से पूरा कर सकता है।


सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और देश की मजबूती

इस पुल के बनने से कश्मीर की घाटी और भारत के बाकी हिस्सों के बीच न केवल आर्थिक कनेक्टिविटी बढ़ेगी, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव भी और मजबूत होगा।

प्रधानमंत्री मोदी के इस उद्घाटन समारोह को देशभर में खासा उत्साह और उम्मीद के साथ देखा जा रहा है।

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