कटरा से श्रीनगर सिर्फ 3 घंटे, बर्फीले पहाड़ों को चीरती हुई वंदे भारत की सीटी, और ‘धरती के स्वर्ग’ की तरफ दौड़ती उम्मीदों की रेल...।जी हां, हम बात कर रहे हैं चिनाब ब्रिज की, उस लोहे की मीनार की, जो आज सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि कश्मीर की तकदीर और तस्वीर बदलने वाला साबित होने जा रहा है।पीएम नरेंद्र मोदी आज अपने ऐतिहासिक कश्मीर दौरे पर इसी ब्रिज को देश को समर्पित कर रहे हैं, पहलगाम आतंकी हमले और पाकिस्तान से तनातनी के बाद यह दौरा अपने आप में एक सियासी और सामरिक संदेश भी है।दरअसल, इस ब्रिज का उद्घाटन महज एक विकास परियोजना नहीं है। ये एक ऐलान है, कि अब कश्मीर सिर्फ सैलानियों की फोटो में नहीं, देश के विकास नक्शे में मजबूती से खड़ा है।46 हजार करोड़ रुपये की विकास योजनाओं की झड़ी, दो नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी और सबसे ऊपर राष्ट्रशक्ति की हुंकार... ये सब कुछ उस ज़मीन पर हो रहा है जिसे कभी सिर्फ बंदूक और बारूद की भाषा में पहचाना जाता था।चिनाब ब्रिज: सिर उठाकर देखने वाला सपनायह ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेल आर्च ब्रिज है, जी हां, एफिल टॉवर से भी ऊंचा। 359 मीटर की ऊंचाई, 1,315 मीटर लंबा स्टील स्ट्रक्चर, और 260 किमी/घंटा की हवा को झेल सकने की ताकत।ये ब्रिज सिर्फ इंजीनियरिंग का चमत्कार नहीं है, बल्कि 20 साल की मेहनत, हौसले और हिम्मत का नतीजा है।2002 में शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट कई बार रुका, फंसा, मगर आखिरकार जब मोदी सरकार ने इसे मिशन मोड में लिया, तो ये चमत्कार साकार हुआ।इतना ही नहीं, इस पूरे रेल प्रोजेक्ट में कुल 36 सुरंगें और 943 छोटे-बड़े पुल बनाए गए हैं। जिन घाटियों में सिर्फ गूंज सुनाई देती थी, अब वहां वंदे भारत की सीटी गूंजेगी। चिनाब नदी पर बने इस ब्रिज से अब वैष्णो देवी से श्रीनगर की दूरी सिर्फ चंद घंटों की रह जाएगी।पहलगाम से कटरा तक, अब कहानियां बदलेंगीपीएम मोदी का यह दौरा पहली बार है जब वह पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद कश्मीर पहुंच रहे हैं। यानी अब वो ‘मिट्टी में मिला देने’ वाला अंदाज़ सिर्फ मंचों पर नहीं, जमीनी स्तर पर भी नजर आ रहा है।पीएम मोदी कटरा में रैली करके पाकिस्तान और आतंकियों को सीधा संदेश देने वाले हैं, कि अब सिर्फ बातचीत नहीं, विकास और रक्षा दोनो एक साथ होंगे।आपको बता दें कि इस ब्रिज का बनना न सिर्फ आम नागरिकों के लिए वरदान है, बल्कि सेना के लिए भी संजीवनी है। बर्फबारी के दौरान जब कश्मीर भारत से कट जाता था, तब चिनाब ब्रिज जैसे संपर्क माध्यम सेना की मूवमेंट को आसान बनाएंगे।यानी LoC से लेकर LAC तक अब भारतीय फौज की पहुंच हर मौसम में संभव हो पाएगी।सिर्फ रेल नहीं, सियासत भीगौर करने वाली बात ये है कि ये पुल महज रेलवे की जीत नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद के नए अध्याय की शुरुआत है। मोदी सरकार इसे उस रणनीतिक जीत के तौर पर पेश कर रही है, जिसमें ‘विकास’ और ‘विरोधियों पर वार’ साथ-साथ चलें।चीन की जासूसी हो या पाकिस्तान की बौखलाहट, दोनों को यह संदेश मिल चुका है कि भारत अब अपने सीमावर्ती इलाकों में भी वही शक्ति और संरचना खड़ी कर रहा है, जो अब तक सिर्फ राजधानी तक सीमित थी।हालाॅंकि यह प्रोजेक्ट काफ़ी पुराना है, मगर इसे मुकाम तक लाने का श्रेय मौजूदा केंद्र सरकार को जाता है।पीएम मोदी आज जब इसे देश को सौंपेंगे, तो ये सिर्फ एक ब्रिज का उद्घाटन नहीं होगा, बल्कि राष्ट्रशक्ति के उदय का इशारा होगा।अब क्या बदलेगा कश्मीर में?कश्मीर अब सिर्फ हसीन वादियों की कहानी नहीं रह जाएगी। अब वहां तक रेल से पहुंचना, व्यापार करना, ट्रैकिंग और टूरिज्म बढ़ाना, और सबसे बढ़कर सेना की मौजूदगी को मजबूत करना सब मुमकिन हो चुका है। ये प्रोजेक्ट घाटी में इन्वेस्टमेंट और रोजगार के नए दरवाजे भी खोलेगा।अब हर मौसम में श्रीनगर से वैष्णो देवी तक जाना मुमकिन है। अब ‘धरती का स्वर्ग’ असल मायनों में देश से जुड़ा है, सड़क से भी, दिल से भी, और अब पटरी से भी।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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