Black Box और CVR से सुलझेगा एयर इंडिया AI171 हादसा, जानिए क्यों हैं इतने अहम?

Ahmedabad Plane Crash Update: एयर इंडिया फ्लाइट AI171 के दर्दनाक हादसे के बाद जांच की प्रक्रिया तेज़ हो गई है।

265 लोगों की मौत के इस भीषण हादसे के पीछे का सच जानने के लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर दिया है।

साथ ही, जांच में Black Box और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) से मिले डेटा की गहराई से जांच की जाएगी।

इस बीच नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत जांच शुरू हो चुकी है और इसमें अमेरिका व ब्रिटेन की विशेषज्ञ एजेंसियों की मदद ली जा रही है।

ब्रिटेन की एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (AAIB) और अमेरिकी NTSB ने भारत को तकनीकी मदद की पेशकश की है।


क्यों अहम होता है ब्लैक बॉक्स?

ब्लैक बॉक्स, जिसे तकनीकी रूप से फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) कहा जाता है, विमान की हर गतिविधि को रिकॉर्ड करता है।

इसमें पायलट की स्पीड, ऊंचाई, इंजन की स्थिति, दिशा और सैंकड़ों अन्य पैरामीटर रिकॉर्ड होते हैं।

दूसरी ओर, CVR (Cockpit Voice Recorder) पायलटों की आपसी बातचीत, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से संवाद और कॉकपिट की सारी ध्वनियों को रिकॉर्ड करता है।

दोनों डिवाइस आमतौर पर विमान के पिछले हिस्से में लगाए जाते हैं, जहां दुर्घटना की स्थिति में सर्वाइवल की संभावना अधिक होती है।


Black Box और CVR कैसे काम करते हैं?

CVR और FDR के 4 मुख्य हिस्से होते हैं:


  1. माइक्रोफोन और सेंसर्स: कॉकपिट में लगे माइक्रोफोन पायलट की बातचीत, चेतावनियों और हर तरह की ध्वनि को रिकॉर्ड करते हैं।


  1. डिजिटल रिकॉर्डिंग सिस्टम: आधुनिक रिकॉर्डर्स डिजिटल होते हैं और डेटा मेमोरी यूनिट में सेव होता है।


  1. लूप रिकॉर्डिंग: ये लगातार रिकॉर्डिंग करते हैं, लेकिन केवल अंतिम दो घंटे (CVR) और 25 घंटे (FDR) की रिकॉर्डिंग को सेव रखते हैं।


  1. हाई-स्ट्रेंथ केसिंग: ये डिवाइस 3400°C तापमान, 20,000 फीट पानी की गहराई और 5000 G झटकों को सहने की क्षमता रखते हैं।


जांच में क्या पता चलता है?


  • घटना का क्रम: CVR से ये पता चलता है कि हादसे से पहले कॉकपिट में क्या हो रहा था।


  • मानव त्रुटि या तकनीकी खराबी: क्या पायलट ने गलत निर्णय लिया? कोई सिस्टम अलर्ट था जिसे नजरअंदाज किया गया?


  • इमरजेंसी रिएक्शन: पायलटों की प्रतिक्रिया कितनी तेज़ और सटीक थी।


  • ATC से संवाद: हादसे से पहले और दौरान एयर ट्रैफिक कंट्रोल से क्या बात हुई।


इन सारी जानकारियों के आधार पर DGCA, BEA या NTSB जैसी जांच एजेंसियां एक फाइनल रिपोर्ट तैयार करती हैं।

इसमें दुर्घटना के कारण, जिम्मेदारी और भविष्य के लिए सुधारों की सिफारिशें होती हैं।


जांच प्रक्रिया और समय सीमा

Black Box और CVR मिलने के बाद उनका डेटा 10 से 15 दिन में एनालाइज कर लिया जाता है। इसके लिए विशेषज्ञ टीम उसे विशेष लैब्स में डीकोड करती है।

शुरुआती रिपोर्ट आमतौर पर 3 महीनों के भीतर आती है, जबकि विस्तृत फाइनल रिपोर्ट में 6 महीने से 1 साल तक का समय लग सकता है।

इस दौरान, जांचकर्ता न सिर्फ इन रिकॉर्ड्स को देखते हैं बल्कि हादसे की लोकेशन, विमान का मलबा, रडार डेटा, चश्मदीदों के बयान, और एयर ट्रैफिक कंट्रोल रिकॉर्डिंग को भी खंगालते हैं।


क्या Black Box सबकुछ सुलझा देता है?

नहीं, लेकिन ये हादसे के सबसे ठोस सुरागों में से एक होता है। बिना Black Box और CVR के कोई भी जांच सिर्फ अनुमानों पर आधारित रह जाती है।

ये न केवल जिम्मेदारी तय करता है, बल्कि भविष्य में विमानन सुरक्षा के नए मानक तय करने में भी मदद करता है।


सरकार की प्रतिबद्धता

नागरिक उड्डयन मंत्री ने साफ कहा है कि भारत सरकार इस मामले में पूरी पारदर्शिता और गंभीरता से जांच कर रही है।

उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता विमानन सुरक्षा को मजबूत करना है। जो भी खामियां सामने आएंगी, उन्हें दूर किया जाएगा।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही हादसे की सीधी निगरानी कर रहे हैं और उच्च स्तरीय समीक्षा बैठकें की जा रही हैं।


Black Box है उम्मीद की किरण

Black Box और CVR जैसे उपकरण ये सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी विमान हादसा सिर्फ एक त्रासदी बनकर न रह जाए, बल्कि उससे सीखा भी जाए।

अहमदाबाद हादसे के पीछे की वजह चाहे जो हो, उसकी परतें अब एक-एक कर खुलेंगी, और इन सबके केंद्र में है एक छोटा सा ऑरेंज बॉक्स, जिसे दुनिया Black Box कहती है।

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