पाकिस्तान के परमाणु बंकर पर ब्रह्मोस मिसाइल गिरे तो क्या होगा? जानिए पूरी हकीकत

अगर पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के ठिकानों पर भारत की ब्रह्मोस जैसी सुपर-सोनिक मिसाइल हमला कर दे, तो क्या होगा? क्या इन हथियारों में परमाणु विस्फोट हो जाएगा? क्या पूरा इलाका तबाह हो सकता है?

ये एक पूरी तरह काल्पनिक मगर बेहद रोमांचक और चिंता पैदा करने वाला सवाल है। और इसकी सच्चाई जानना हर उस शख्स के लिए जरूरी है जो परमाणु हथियारों की ताकत और उनकी सुरक्षा को लेकर दिलचस्पी रखता है।

दरअसल, एआई से पूछे गए इस सवाल पर जो रिसर्च सामने आई, वो हैरान करने वाली है। ब्रह्मोस जैसी मिसाइल अगर किसी परमाणु हथियार स्टोरेज पर गिरती भी है, तो उससे परमाणु बम फटेंगे नहीं। हां, गंभीर रेडियोधर्मी रिसाव (Radiation Leak) जरूर हो सकता है।


क्या ब्रह्मोस मिसाइल से फट सकता है परमाणु बम?

जैसा की आप जानते ही हैं कि परमाणु बम कोई आम बम नहीं होते, जिन्हें गिरते ही फोड़ दिया जाए। इन्हें फोड़ने के लिए बेहद सटीक इलेक्ट्रॉनिक डिटोनेशन कोड और सिक्वेंस की जरूरत होती है। यानी कोई मिसाइल जाकर उस पर गिरे भी, तो उससे परमाणु विस्फोट नहीं होगा।

ये मिसाइल चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, जैसे ब्रह्मोस जिसकी रफ्तार 2.8-3.0 Mach होती है, और जो 800 किलोमीटर दूर तक हमला कर सकती है।


क्या रेडिएशन लीक हो सकता है?

अगर ब्रह्मोस जैसे विस्फोटक हमले से परमाणु बम का अंदरूनी हिस्सा टूट जाए और रेडियोधर्मी मटेरियल बाहर आ जाए, तो डर्टी बम जैसा प्रभाव जरूर हो सकता है।

यानी परमाणु बम नहीं फटेगा, लेकिन रेडिएशन का असर पूरे इलाके को जहरीला बना देगा। आसपास का पूरा इलाका खाली कराना पड़ेगा और इंसानी जीवन लंबे समय तक प्रभावित रहेगा।


पाकिस्तान में कहां हैं परमाणु स्टोरेज साइट्स?

पब्लिक डोमेन में जो जानकारी है उसके अनुसार पाकिस्तान में चार जगहों पर परमाणु हथियार स्टोर किए जाते हैं:

  • मसरूर एयरबेस (कराची के पास): यहां मिराज स्क्वाड्रन के साथ अंडरग्राउंड स्टोरेज की संभावना।

  • सरगोधा गारिसन: F-16 फाइटर जेट्स यहीं से परमाणु बम लेकर उड़ान भर सकते हैं।

  • भोलारी एयरबेस (सिंध): नई फैसिलिटी, ज्यादा सुरक्षा के साथ।

  • बलूचिस्तान अंडरग्राउंड साइट: गुप्त परिसर जो न्यूक्लियर मिसाइल स्टोरेज के लिए हो सकता है।


परमाणु हथियार कैसे स्टोर होते हैं?

ये सुपर सिक्योर हार्डनड अंडरग्राउंड बंकर होते हैं। जिनकी दीवारें 4-5 मीटर मोटी, दरवाजे ब्लास्टप्रूफ और अंदर की संरचना कई स्तरों वाली होती है।

सीसीटीवी, हाई वोल्टेज वायर, इलेक्ट्रॉनिक एक्सेस कंट्रोल और रेजर वायर से लैस होते हैं। बमों को खास स्टील लाइन्ड वॉल्ट में रखा जाता है।


क्या ऐसा हादसा पहले कभी हुआ है?

जी हां, इतिहास में ऐसे हादसे हुए हैं, मगर बिना विस्फोट के।

  • 1986, सोवियत संघ: सेवरोमॉर्स्क में आग लगने से 16 मिसाइलें नष्ट हुईं, रेडिएशन लीक हुआ पर कोई न्यूक्लियर ब्लास्ट नहीं हुआ।

  • 2007, अमेरिका: मिनोट एयरबेस में गलती से 6 परमाणु वारहेड्स बिना इजाज़त उड़ान पर चले गए।


अगर बंकर बस्टर हमला हो?

अगर हमला थर्मोबेरिक या बंकर बस्टर मिसाइल से हो, तो गहराई में धमाका होगा और रेडियोधर्मी रिसाव कहीं ज़्यादा हो सकता है। परंतु, फिर भी परमाणु विस्फोट नहीं होगा। यही कारण है कि पूरी दुनिया में इन बंकरों को बहुत गहराई में बनाया जाता है।


परमाणु कमान क्या करती है?

देश की परमाणु कमान तय करती है कि परमाणु हथियारों का संचालन कैसे होगा। ये हथियारों की तैनाती, नियंत्रण, और जरूरत पड़ने पर उनके इस्तेमाल का फैसला करती है। इसका काम किसी भी संभावित खतरे का जवाब देने के लिए तैयार रहना है।

तो कुल मिलाकर अगर ब्रह्मोस मिसाइल जैसी कोई विध्वंसक मिसाइल पाकिस्तान के परमाणु बंकर पर गिर भी जाए, तो भी परमाणु विस्फोट की संभावना नहीं है।

हां, रेडिएशन का खतरा ज़रूर है और तबाही की आशंका भी। लेकिन जो बात सबसे अहम है वो ये कि परमाणु हथियार यूं ही नहीं फटते, ये बहुत सख्त सुरक्षा और नियंत्रित प्रक्रिया के बाद ही सक्रिय होते हैं।

आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।

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