फर्टिलिटी रेट घटा, लेकिन इस राज्य में बच्चे सबसे ज्यादा!

भारत की जनसंख्या को लेकर जारी रिपोर्ट्स अब एक नया ट्रेंड दिखा रही हैं। देश की कुल प्रजनन दर यानी टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) अब 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे गिरकर 1.9 पर आ गई है।

इसके बावजूद कुछ राज्य ऐसे हैं जहां बच्चों के जन्म की रफ्तार बाकी राज्यों से कहीं ज्यादा है।

साल 2022 की बात करें तो पूरे भारत में लगभग 2.5 करोड़ बच्चों का जन्म हुआ, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार एक बार फिर इस आंकड़े में सबसे आगे रहे।

ये तस्वीर न सिर्फ राज्य के भीतर बढ़ती आबादी की ओर इशारा करती है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक योजनाओं और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभाव का भी संकेत देती है।


उत्तर प्रदेश टॉप पर, बिहार दूसरे नंबर पर

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति और रजिस्ट्रेशन आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश वो राज्य है जहां सबसे ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ।

साल 2022 में यूपी में 54.5 लाख बच्चों का जन्म हुआ, जो पूरे देश के बर्थ रजिस्ट्रेशन का बड़ा हिस्सा है।

बिहार 30.7 लाख रजिस्ट्रेशन के साथ दूसरे नंबर पर रहा। इसके बाद महाराष्ट्र (19.2 लाख), मध्य प्रदेश और राजस्थान का स्थान आता है।

दक्षिण भारत में तुलनात्मक रूप से स्थिति थोड़ी संतुलित रही। तमिलनाडु में 9.4 लाख, तेलंगाना में 7 लाख, आंध्र प्रदेश में 7.5 लाख, कर्नाटक में 10.4 लाख और केरल में केवल 4.4 लाख रजिस्ट्रेशन दर्ज किए गए।


कहां कितनी बढ़ोतरी हुई?

2013 से लेकर 2022 तक उत्तर प्रदेश में लगभग 40% तक जन्म दर में वृद्धि दर्ज की गई है। बिहार ने भी इस दौरान लगभग दोगुना इजाफा देखा है।

हालांकि कुछ राज्यों में गिरावट का रुझान भी दिखा। तमिलनाडु में 2013 में 11.9 लाख बर्थ रजिस्ट्रेशन हुए थे, जो 2022 में घटकर 9.4 लाख रह गए। कर्नाटक में भी 2017 तक संख्या बढ़ने के बाद अब गिरावट देखी गई है।


लिंगानुपात की चुनौती

जहां एक ओर उत्तर भारत के राज्य बर्थ रेट में आगे हैं, वहीं लिंगानुपात के मामले में वो पिछड़ते दिख रहे हैं।

बिहार में प्रति 1000 पुरुषों पर केवल 891 महिलाएं हैं, जो देश के सबसे खराब अनुपातों में से एक है।

महाराष्ट्र (906), तेलंगाना (907), गुजरात (908), और हरियाणा (916) भी इस श्रेणी में निचले स्तर पर हैं।

इसके विपरीत, नागालैंड में लिंगानुपात 1068 है, जो देश में सर्वाधिक है और एक स्वस्थ जनसांख्यिकीय संतुलन का संकेत देता है।


भारत की बदलती जनसांख्यिकीय तस्वीर

हाल की रिपोर्ट्स ये स्पष्ट कर रही हैं कि भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां कुल जनसंख्या अभी भी बढ़ रही है, लेकिन वृद्धि की रफ्तार धीमी हो चुकी है।

राज्यवार असमानता भी गहरी है, जहां कुछ राज्य तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं, वहीं कुछ राज्य स्थिर या घटती हुई बर्थ रेट का सामना कर रहे हैं।

ये ट्रेंड नीति निर्धारण और जनसांख्यिकी संतुलन के लिए अहम साबित हो सकता है। आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।

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