अंतिम पंघाल ने वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप में जीता ब्रॉन्ज, भारत का एकमात्र मेडल

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भारतीय महिला पहलवान अंतिम पंघाल ने गुरुवार को वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए महिलाओं के 53 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। उन्होंने स्वीडन की U-23 वर्ल्ड चैंपियन एम्मा जोन्ना डेनिस मालमग्रेन को 9-1 के बड़े अंतर से हराया। यह भारत का इस टूर्नामेंट में पहला और एकमात्र मेडल रहा, जिससे देशवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई। अंतिम की यह वर्ल्ड चैंपियनशिप में दूसरी उपलब्धि है, क्योंकि उन्होंने 2023 में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

विनेश फोगाट के बाद दूसरी भारतीय महिला पहलवान

पेरिस ओलिंपिक 2024 में पहले दौर में हारकर बाहर होने के बाद अंतिम पंघाल के लिए यह एक दमदार वापसी के रूप में देखा जा रहा है। इस जीत ने केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है, बल्कि भारतीय महिला कुश्ती में उनकी मजबूत स्थिति को भी प्रमाणित किया है। अंतिम पंघाल अब विनेश फोगाट के बाद दूसरी भारतीय महिला पहलवान बन गई हैं, जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक से अधिक मेडल जीते हैं। जबकि अन्य भारतीय महिला पहलवानों जैसे अल्का तोमर, गीता फोगाट, बबीता फोगाट, पूजा ढांडा, सरिता मोर और अंशु मलिक के नाम पर केवल एक-एक वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल दर्ज है।

ग्रीको-रोमन पहलवानों का प्रदर्शन निराशाजनक

हालांकि, इस चैंपियनशिप में भारतीय ग्रीको-रोमन पहलवानों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। गुरुवार को मैदान में उतरे चारों पहलवानों ने तो कोई मुकाबला जीता और ही अंक हासिल कर पाए। सबसे चौंकाने वाली हार 55 किग्रा वर्ग में अनिल मोर की रही, जिन्हें वर्ल्ड नंबर-1 अजरबैजान के एल्डानिज अजीजली ने केवल 13 सेकंड में तकनीकी श्रेष्ठता से हरा दिया। अजीजली ने अनिल को हेडलॉक में फंसाकर कई फ्लिप्स किए और मुकाबला समाप्त कर दिया। इसके अलावा, अजीजली के सेमीफाइनल में हार जाने के कारण अनिल को रेपेचेज का मौका भी नहीं मिला।

अनिल मोर और अमन की हार

इसी तरह, 77 किग्रा वर्ग में अमन को जापान के नाओ कुसाका से तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, कुसाका के फाइनल में पहुंचने से अमन को रेपेचेज का मौका मिला, लेकिन वहां भी उन्हें यूक्रेन के इहोर बायचकोव से हार का सामना करना पड़ा और उनका टूर्नामेंट समाप्त हो गया। इस तरह भारतीय ग्रीको-रोमन पहलवानों के लिए यह चैंपियनशिप निराशाजनक साबित हुई।

इस टूर्नामेंट में अंतिम पंघाल की जीत ने भारतीय महिला कुश्ती की ताकत और क्षमता को फिर से दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। उनके इस ब्रॉन्ज मेडल ने केवल देशवासियों को गर्व महसूस कराया, बल्कि युवा पहलवानों के लिए भी प्रेरणा का काम किया। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतिम पंघाल की इस सफलता से भारतीय महिला कुश्ती में आने वाले समय में और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद बढ़ गई है।

भारतीय कुश्ती के लिए प्रेरणा

कुल मिलाकर, वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप में अंतिम पंघाल का ब्रॉन्ज मेडल भारतीय खेल जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। जबकि पुरुष ग्रीको-रोमन पहलवानों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, महिलाओं की इस सफलता ने भारतीय कुश्ती की संभावनाओं को नई दिशा दी है। आगामी टूर्नामेंटों में भारतीय पहलवानों से और भी अच्छे परिणाम की उम्मीद की जा रही है।

 

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