कोहली के टेस्ट से संन्यास की 5 बड़ी वजहें

चेज़ मास्टर, रन मशीन, और चीकू जैसे निक नाम से पुकारे जाने वाले किंग कोहली ने 12 मई 2025 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर सबको चौंका दिया।

जब वो अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर थे, तो ऐसा लग रहा था कि वो अभी 1-2 साल खेलकर अपने कुछ अधूरे रिकॉर्ड्स पूरे करेंगे, लेकिन उन्होंने रिकॉर्ड्स की बजाय अपनी मानसिक और खेल संबंधित प्राथमिकताओं को चुना।

टेस्ट क्रिकेट के चौथे सबसे बड़े भारतीय स्कोरर के रूप में कोहली ने 9230 रन बनाकर इस फॉर्मेट को अलविदा कह दिया। ये संन्यास अचानक नहीं था, बल्कि पिछले कुछ सालों की कई घटनाएं इस फैसले की ओर इशारा कर रही थीं।


1. टेस्ट में गिरता फॉर्म

विराट कोहली के टेस्ट करियर का टॉप फॉर्म 2019 तक रहा, जब उन्होंने 27वां शतक लगाया और 55 की औसत से रन बना रहे थे। लेकिन इसके बाद न सिर्फ मुकाबले कम हुए, बल्कि उनका फॉर्म भी गिरता चला गया।

2019 के बाद के 39 टेस्ट में वो महज 31 की औसत से रन बना सके और सिर्फ 3 शतक लगा पाए। उन्हें पिचों से भी मदद नहीं मिली, पोस्ट कोविड दौर में पिचें गेंदबाजों के लिए ज्यादा अनुकूल हो गई थीं।

हालांकि वो अपने साथियों और दुनिया के टॉप बैटर्स से बेहतर औसत से रन बना रहे थे, लेकिन विराट कोहली के लिए "औसत अच्छा" कभी काफी नहीं रहा। यही कारण रहा कि उन्होंने खुद को पीछे हटाने का फैसला किया।


2. कोच गौतम गंभीर की सख्ती

गंभीर अगस्त 2024 में टीम के हेड कोच बने और उनके साथ टीम इंडिया के अंदर 'स्टार कल्चर' को खत्म करने का एजेंडा आया। उन्होंने साफ किया कि टीम की जीत ही सर्वोपरि है, न कि व्यक्तिगत रिकॉर्ड्स।

इस बदलाव के बाद BCCI ने परिवार को लंबे टूर में साथ रखने पर भी पाबंदी लगा दी। इससे कुछ सीनियर खिलाड़ी असहज हो गए।

गंभीर की कोचिंग में भारत को न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज में हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में रोहित शर्मा और अश्विन के बाद कोहली का भी संन्यास आना एक स्पष्ट संकेत बन गया कि शायद टीम में सीनियर खिलाड़ियों की जगह धीरे-धीरे सीमित हो रही थी।


3. रोहित शर्मा के फैसले का प्रभाव

7 मई को रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया, और ठीक 5 दिन बाद कोहली ने भी यही रास्ता चुना। यह पहला मौका नहीं था जब दोनों दिग्गजों ने एकसाथ किसी फॉर्मेट को छोड़ा हो।

टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद कोहली और रोहित दोनों ने साथ में छोटे फॉर्मेट से भी विदाई ली थी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोहली पर टीम के माहौल और पुराने साथियों के फैसलों का असर पड़ा।


4. ऑस्ट्रेलिया सीरीज ने दिखाई दिशा

जनवरी 2025 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया, जहां कोहली ने पहले टेस्ट में शतक लगाया, लेकिन बाकी मैचों में वो बार-बार ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर फंसते नजर आए।

इस सीरीज के बाद कोहली ने माना कि वो इस फॉर्मेट में पहले जैसा आत्मविश्वास महसूस नहीं कर रहे हैं। अंदरूनी रूप से उन्होंने ये तय कर लिया था कि आगे बढ़ने की बजाय अब पीछे हटना बेहतर होगा।


5. युवा खिलाड़ियों को मौका देना चाहते थे

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के नए चक्र की शुरुआत से पहले कोहली का ये फैसला दर्शाता है कि वो एक मजबूत युवा टीम के निर्माण को प्राथमिकता दे रहे थे।

उन्होंने पहले भी कहा था कि अगर उन्हें लगेगा कि वो टीम के लिए बेमतलब होते जा रहे हैं, तो वो खुद ही संन्यास ले लेंगे। अब जब नई WTC शुरू हो रही है, कोहली ने जगह बनाकर नहीं, छोड़कर मिसाल पेश की।


भारत के टॉप-5 टेस्ट स्कोरर में सबसे जल्दी लिया संन्यास

बता दें कि कोहली भारत के चौथे सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाज़ रहे, लेकिन 36 की उम्र में रिटायर हो गए। बाकी दिग्गज जैसे तेंदुलकर, द्रविड़, लक्ष्मण और गावस्कर ने 38 से 40 की उम्र तक खेला।

तेंदुलकर ने तो 36 की उम्र के बाद 9 शतक और जड़ दिए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोहली थोड़ा और इंतजार कर सकते थे?


वो 5 रिकॉर्ड, जिनसे चूक गए कोहली

  1. 10,000 रन: सिर्फ 770 रन दूर थे।

  2. इंग्लैंड में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय: नंबर 1 बनने से चूके।

  3. सबसे ज्यादा टेस्ट जीतने वाले भारतीय: 11 जीत से पीछे।

  4. जीत में भारत के टॉप स्कोरर: 1201 रन कम थे।

  5. WTC में टॉप स्कोरर: 100 रन से चूके रोहित शर्मा को पीछे छोड़ने में।


कम उम्र में रिटायर होने वाले अन्य भारतीय

कोहली से पहले भी कई भारतीय खिलाड़ियों ने अपेक्षाकृत कम उम्र में टेस्ट क्रिकेट छोड़ा है। रवि शास्त्री ने 31 साल, धोनी ने 33 और सुरेश रैना ने 34 साल की उम्र में रिटायरमेंट लिया था।

हालांकि इन सभी के मुकाबले कोहली ने ज्यादा टेस्ट खेले और उनसे कहीं बड़ा प्रभाव छोड़ा।

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