Akshay Kumar की ‘केसरी 2’ के 7 प्रोड्यूसर के खिलाफ FIR दर्ज, फिल्म पर लगा बड़ा आरोप

पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी TMC ने बॉलीवुड सुपरस्टार Akshay Kumar की फिल्म ‘केसरी 2’ को लेकर बड़ा आरोप लगाया है।

पार्टी नेता कुणाल घोष ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि फिल्म में बंगाल के योगदान को जान-बूझकर गलत दिखाया गया है।

इसी के चलते उन्होंने 7 प्रोड्यूसर्स के खिलाफ विधाननगर दक्षिण पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई है, जिसमें आईपीसी की कई धाराएं लगाई गई हैं।

FIR में आरोप है कि फिल्म ने स्वतंत्रता संग्राम में बंगाल के विशिष्ट क्रांतिकारियों, जैसे खुदीराम बोस और बरिंद्र कुमार घोष, का नाम-रूप बदलकर पेश किया है। 

उदाहरण के तौर पर, खुदीराम बोस को फिल्म में खुदीराम सिंह और बरिंद्र कुमार घोष को बीरेंद्र कुमार नाम दिया गया है। TMC नेता का कहना है कि ये इतिहास से छेड़छाड़ की कोशिश है।


इतिहास के साथ छेड़छाड़ का आरोप

TMC की ओर से कहा गया है कि ‘केसरी 2’ में बंगाल के योगदान को जानबूझकर मिटाने का प्रयास किया गया है।

कुश्री घोष ने आरोप लगाया कि बंगाली क्रांतिकारियों की छवि गलत ढंग से पेश करने की साजिश है।

उन्होंने मीडिया से सवाल उठाया, “ऐसी फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट कैसे मिल गया?” उनका कहना रहा कि सेंसर बोर्ड को इस ऐतिहासिक गलतियों पर बारीकी से गौर करना चाहिए था।


‘खुदीराम सिंह’ क्यों बना खुदीराम बोस?

फिल्म में गांधी-आधारित स्वतंत्रता आंदोलनों या क्रांतिकारियों को जबरन बदलने का आरोप लगाया गया है।

खास तौर पर किरदारों का गलत नामकरण बंगालियों को भड़काने वाला मुद्दा बन गया है।

कुणाल घोष ने कहा कि “ये केवल एक गलती नहीं, बल्कि आंदोलन का हिस्सा मिटाने की साजिश”। जब TMC नेता से पूछा गया, तो कहते हैं, “इतिहास के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”


ममता बनर्जी ने भी साधा निशाना

पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी फिल्म निर्माताओं की आलोचना की है, हालांकि उन्होंने फिल्म का नाम लेकर टिप्पणी नहीं की।

उन्होंने ट्वीट किया कि “आजादी की लड़ाई में बंगाली क्रांतिकारियों की भूमिका को कमतर दिखाने की कोशिश निंदनीय है।” उनका इशारा साफ़ था कि ‘केसरी 2’ पर राजनीति से प्रेरित सेंसरशिप की जा सकती है।


क्या करेंगी कानूनी कार्रवाई, TMC का बड़ा कदम

TMC नेताओं ने केंद्रीय सरकार से फिल्म संबंधित कार्रवाई की मांग की है। कुश्री घोष ने कहा कि FIR के बाद अगर फिल्म मेकर्स सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते या किरदार सही नामों से पेश नहीं करते, तो कानूनन कार्रवाई भी शुरू हो सकती है।

FIR में आरोप लगे हैं कि ये फिल्म “बंगाल के बलिदानों को अनदेखा” करने की साजिशी कोशिश है।


सेंसर बोर्ड की सफाई कब मिलेगी?

अब सवाल ये खड़ा है कि आखिर ‘केसरी 2’ को Central Board of Film Certification (CBFC) ने बिना किसी ऐतिहासिक टेक्निकल गलती के कैसे पास किया?

विशेषज्ञ कहते हैं कि आम तौर पर सेंसर बोर्ड डायरेक्शन, कंटेंट और भाषा पर फोकस करता है, इतिहास का निरीक्षण कम ही होता है। अब लोग पूछ रहे हैं, “क्या राजनीतिक दबाव या धक्का राजनीति ने सेंसर को प्रभावित किया था?”


क्या फिल्म होगी विवादों में घिरी या चमकेगी?

ये पूरी लड़ाई एक बड़े पंडित्य या आलोचना के रूप में उभर कर सामने आई है। इतिहास प्रेमियों का रुझान है कि ‘केसरी 2’ भरपूर रणनीति के तहत बदलावों के लिए बाद में अदालत में भी जानी पड़ सकती है।

वहीं कई बदलाव के खिलाफ दर्शावन का असर भी एक राजनीतिक-नैतिक मुद्दा बन सकता हैः


फ़िल्म केसरी 2 की कमाई और PR पर असर हो सकता है


  • अभिनेता और डायरेक्टर की नई इमेज और इतिहास प्रेमी वर्ग के बीच दृश्य बदल सकता है

  • FIR के बाद किक-ऑफ अतिरिक्त कानूनी जांच शुरू हो सकती है

  • बंगाली दर्शक वर्ग में एक भावनात्मक असंतोष उभर सकता है


मगर बदलने वाले कई दृष्टिकोण और भाषा इससे जुड़ी नाराजगी को भी नए रूप दे सकते हैं।

ये विवाद केसरी 2 की सफलता पर भी असर डाल सकता है, खासकर उन राज्यों में जहां इतिहास और शिक्षा के प्रति भावनात्मक जुड़ाव गहरा है।

बहरहाल, आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।

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