भगोड़े विजय माल्या ने मांगी माफी, कहा, ‘निष्पक्ष सुनवाई हो तो लौट सकता हूँ’

"मुझे भगोड़ा कहिए, लेकिन चोरी नहीं...", विजय माल्या की इस एक लाइन ने फिर से देश की यादें ताज़ा कर दी हैं।

वो नाम जो सालों से भारतीय बैंकों के लिए सिरदर्द बना हुआ है, अब फिर से सुर्खियों में है। जी हां, हम बात कर रहे हैं शराब कारोबारी विजय माल्या की, जो इस बार लंदन से नहीं, बल्कि पॉडकास्ट के जरिए सामने आए।

इस बार मामला सिर्फ बयानबाज़ी का नहीं है, बल्कि उन्होंने साफ-साफ शब्दों में माफी भी मांगी है, मगर शर्तों के साथ।

दरअसल, गुरुवार को एक पॉडकास्ट के दौरान विजय माल्या ने न सिर्फ किंगफिशर एयरलाइंस की विफलता के लिए माफी मांगी, बल्कि भारत लौटने की इच्छा भी जताई।

माल्या ने कहा, "मैं किंगफिशर की नाकामी के लिए सभी से माफ़ी चाहता हूँ। लेकिन मैं किसी आपराधिक इरादे से नहीं भागा। मैं पहले से तय सफर पर गया था और उसके बाद जो हुआ, वह आप सबके सामने है।"

सवाल ये है कि एक ऐसा शख्स जिस पर देश के 17 बैंकों का 9000 करोड़ से ज्यादा बकाया हो, वो अब अचानक वापसी की बात क्यों कर रहा है?

बहरेहाल, पॉडकास्ट में विजय माल्या का जो सबसे बड़ा दावा रहा, वो ये था कि अगर भारत सरकार निष्पक्ष सुनवाई का वादा करे, तो वे भारत लौटने पर विचार कर सकते हैं। साफ है कि अब मामला इमोशन्स से ज्यादा लॉजिक और शर्तों का हो गया है।


‘भगोड़ा’ टैग पर एतराज़ और माफी की चादर

विजय माल्या ने कहा, "आप मुझे भगोड़ा कह सकते हैं, लेकिन मैं भागा नहीं। मैं जानबूझकर वापस नहीं आया क्योंकि मेरे पास वैध वजहें थीं। हां, अगर आपको ऐसा कहना है तो कहिए, पर इसमें चोरी कहां है?"

गौर करने वाली बात ये है कि साल 2016 से माल्या ब्रिटेन में हैं और वहीं से भारत प्रत्यर्पण की लड़ाई लड़ रहे हैं।

2018 में यूके कोर्ट ने उनके प्रत्यर्पण का आदेश भी दे दिया था, जिसे 2019 में वहां के होम सेक्रेटरी ने भी मंजूरी दे दी थी। लेकिन इसके बावजूद वो आज तक भारत नहीं लौटे।

क्यों? जवाब उन्होंने खुद ही दे दिया, मीडिया ट्रायल, न्यायिक पक्षपात और राजनैतिक माहौल।


9000 करोड़ का ‘घोटालापत्र’ और भागने की पटकथा

अब बात उस रकम की, जिसे सुनकर आम आदमी की ज़ुबान खुद-ब-खुद ‘भगोड़ा’ बोल देती है।

किंगफिशर एयरलाइंस की आड़ में देश के कई बड़े बैंकों से विजय माल्या ने 9000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज लिया।

शुरुआत में सब कुछ ठीक-ठाक चला, लेकिन कुछ ही सालों में एयरलाइंस दिवालिया हो गई, और माल्या ने देश छोड़ दिया।

2017 में भारत ने आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन से उनके प्रत्यर्पण की मांग की। फिर कोर्ट, होम सेक्रेटरी, अपील, फिर अपील में अपील, और इस बीच देश में चर्चा चलती रही, माल्या की संपत्तियां जब्त होती रहीं और वो लंदन की गलियों में घूमते रहे।


अब क्यों जागा ‘वतन प्रेम’?

गौरतलब है कि इस पॉडकास्ट इंटरव्यू में माल्या ने न सिर्फ अपना पक्ष रखा बल्कि खुद को ‘चोर’ कहे जाने पर गहरी आपत्ति जताई। उनका साफ-साफ कहना है कि अगर न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष हो, तो वे बिना डर के लौट सकते हैं।

लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। माल्या की वापसी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि भारत की कानूनी प्रणाली की परीक्षा बन चुकी है।


क्या होगी अगली चाल?

अब सवाल ये है कि क्या सरकार उनकी शर्तें मानने को तैयार होगी? क्या इतने बड़े आर्थिक अपराध के बाद, सिर्फ एक माफी और निष्पक्षता की गुहार पर माल्या को भारत लौटने दिया जा सकता है?

दूसरी तरफ, विपक्ष पहले से ही इसे एक सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल करने को तैयार बैठा है।

माल्या की वापसी अगर होती है, तो यह निश्चित तौर पर भारत की न्याय व्यवस्था, मीडिया और राजनीतिक माहौल के लिए एक अग्निपरीक्षा जैसी होगी।

विजय माल्या का यह माफीनामा और वापसी की बात जितनी सीधे दिखती है, उतनी है नहीं। 9000 करोड़ की चुप्पी तोड़ना आसान नहीं था, लेकिन माफी मांगकर शायद उन्होंने एक नई पारी की उम्मीद की है।

अब देखना ये है कि भारत सरकार इस पॉडकास्ट को कितना गंभीर लेती है, और क्या ये सिर्फ ‘बोलने भर की बात’ थी, या सच में भगोड़ा अब देश की सरज़मीं पर फिर से कदम रखने को तैयार है।

लेकिन जब सवाल देश की अर्थव्यवस्था और 9000 करोड़ की बर्बादी का हो, तो माफी के बदले भरोसा खरीदना इतना आसान नहीं होता

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