ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
नेहा सिंह राठौर फिर सुर्खियों में क्यों?
लोक और राजनीतिक गीतों से चर्चा में रहने वाली
नेहा सिंह राठौर अक्सर अपने बयानों की वजह से विवादों में घिर जाती हैं। इस बार
मामला पहलगाम आतंकी हमले और उस पर किए गए उनके बयान से जुड़ा है, जिसके
बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा फैल गई कि यूपी पुलिस ने उन्हें नोटिस दिया है और वे
फरार हैं।
‘ये गाना नहीं, स्टेटमेंट था’
नेहा सिंह राठौर ने कहा कि पहलगाम की घटना को
लेकर जो कंटेंट उन्होंने शेयर किया था, वह कोई गाना नहीं, बल्कि
एक स्टेटमेंट था। इस घटना में कई लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए सुरक्षा इंतज़ामों पर सवाल
पूछा था कि इतने सैलानियों के बावजूद वहां सुरक्षा पर्याप्त क्यों नहीं थी और
जिम्मेदारी कौन लेगा।
FIR और ‘फरार’ की अफवाहें
नेहा का कहना है कि पहलगाम मामले के बाद उनके
खिलाफ कई जगह शिकायतें दर्ज कराई गईं और लखनऊ के हजरतगंज थाने में भी एक FIR
दर्ज
हुई थी। इन्हीं मामलों के बहाने कुछ लोग सोशल मीडिया पर यह नैरेटिव बनाने की कोशिश
कर रहे हैं कि वे पुलिस से भाग रही हैं।
‘कोई नोटिस नहीं मिला’ – घर आकर देख लीजिए
नेहा सिंह राठौर ने यह भी कहा कि उन्हें न तो
हजरतगंज और न ही लंका थाने की ओर से अब तक कोई नोटिस मिला है। उन्होंने मीडिया
वालों से कहा कि वे कैमरा लेकर उनके घर गोल्फ सिटी आकर खुद देख सकते हैं कि दरवाजे
पर कोई नोटिस चस्पा है या नहीं।
अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम कानून
नेहा पहले भी अपने गानों और सवालों की वजह से
यूपी पुलिस के नोटिस और केस झेल चुकी हैं, इसलिए हर बार नया विवाद अभिव्यक्ति की
आज़ादी बनाम कानून की बहस को फिर से जगा देता है। समर्थकों का तर्क है कि सरकार या
प्रशासन से सवाल पूछना लोकतंत्र का हिस्सा है, जबकि विरोधियों
का कहना है कि उनके कुछ कंटेंट से समाज में तनाव बढ़ता है।
आगे क्या?
कानूनी प्रक्रिया के स्तर पर FIR आगे
कैसे बढ़ेगी, यह पुलिस और कोर्ट पर निर्भर है, लेकिन
नेहा ने साफ कर दिया है कि वे सामने हैं और किसी भी जांच में सहयोग को तैयार हैं।
मीडिया और सोशल मीडिया के लिए यह केस एक reminder है कि आधी-अधूरी
जानकारी से किसी को “फरार”, “देशद्रोही” या “दोषी” घोषित करना कितना
खतरनाक हो सकता है।
नेहा का यह भी संदेश है कि आलोचना हो सकती है, पर कम से कम तथ्यों के आधार पर हो, न कि अफवाहों पर।
Comments (0)
No comments yet. Be the first to comment!