ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
बिहार में कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपनी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के तहत दरभंगा पहुंचे। सभा के दौरान राजनीतिक मर्यादाएं तार-तार हो गईं। राहुल गांधी ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और उनकी आलोचना करते हुए तीखी भाषा का इस्तेमाल किया। लेकिन इसी दौरान मंच से एक शख्स रिजवी उर्फ राजा ने ऐसा कदम उठाया कि चर्चा का विषय बन गया। रिजवी ने माइक पर प्रधानमंत्री मोदी को सरेआम मां की गाली दे दी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया।
कानून की नजर में सभी नागरिक बराबर
भारतीय संविधान के अनुसार न्याय के सामने सभी नागरिक समान हैं। किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन अगर किसी की बात किसी अन्य व्यक्ति को आहत करती है, तो प्रभावित व्यक्ति मानहानि का केस दर्ज कर सकता है। वहीं, प्रधानमंत्री का मामला और भी गंभीर होता है। क्योंकि प्रधानमंत्री केवल व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वे पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री खुद केस दर्ज नहीं करते, लेकिन उनके अधिकार या प्रशासन के माध्यम से न्यायिक कार्रवाई की जा सकती है।
कार्रवाई कब हो सकती है ?
कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति:
• सार्वजनिक मंच या सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के लिए अपशब्द बोलता है।
• पोस्ट, कार्टून या किसी अन्य सामग्री के माध्यम से उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता है।
• किसी बयान से समाज में नफरत या हिंसा फैलने का खतरा होता है।
किस धाराओं के तहत मामला बनता है ?
1. सेक्शन 499 – मानहानि
किसी की छवि खराब करने वाले बयान, लिखावट या इशारे के लिए यह अपराध बनता है। इसके तहत दोषी को दो साल की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
सार्वजनिक जगह पर प्रधानमंत्री को गाली देना या अपमानजनक हरकत करना इस सेक्शन के अंतर्गत आता है। इस मामले में सजा तीन महीने की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकती है। यदि मामला अश्लीलता से जुड़ा हो, तो सेक्शन 292 और 293 भी जोड़े जा सकते हैं।3. सीधे पीएम के खिलाफ गाली
केवल सेक्शन 294 ही नहीं, बल्कि मानहानि और अन्य धाराओं को भी जोड़ा जाता है, ताकि अपराध की गंभीरता के अनुसार कार्रवाई हो सके।
बहरहाल, दरभंगा घटना ने यह स्पष्ट किया कि सार्वजनिक मंच पर अभद्र भाषा और अपशब्दों का प्रयोग गंभीर अपराध माना जाता है। चाहे मामला राजनीतिक सभा का हो या सोशल मीडिया का, कानून के तहत कार्रवाई करना अनिवार्य है। इस तरह की घटनाओं से न केवल व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर असर पड़ता है, बल्कि लोकतंत्र और समाज की मर्यादा भी प्रभावित होती है।
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