देश में कुछ एयरपोर्ट ऐसे हैं, जहाँ फ्लाइट लैंडिंग और टेकऑफ़ केवल मॉडर्न टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि पायलट की हिम्मत और सटीकता भी मांगते हैं।सोशल मीडिया पर वायरल फेक वीडियोज के बीच भी ये रनवे सच में खतरनाक हैं, चाहे पहाड़ों पर हों, समंदर किनारे या गहरी घाटियों के बीच में।आइए जानते हैं भारत के ऐसे ही पांच खतरनाक एयरपोर्ट की सच्चाई और चुनौतियाँ।लेंगपुई एयरपोर्ट, मिजोरमये एयरपोर्ट टेबलटॉप रनवे का एक उदाहरण है, जहाँ दोनों ओर घाटियाँ और नीचे एक नाला बहता है।रनवे की लंबाई 2,500 मीटर है, मगर नीचे की घाटी पायलट को Optical illusion की भूलभुलैया में फंसा देती है।मॉनसून में विजिबिलिटी कम, और पायलट को Cat I ILS जैसे उपकरणों पर निर्भर रहना पड़ता है।कुशोल बाकुला रिमपोची (लेह), जम्मू-कश्मीरये भी एक टेबलटॉप रनवे है, चारों ओर बर्फीले पहाड़ों से घिरा। यहाँ मौसम के तेजी से बदलने और उंचाई में लैंडिंग पायलट के लिए सबसे चुनौती बन जाती है।गग्गल एयरपोर्ट, कांगड़ा (हिमाचल)2,492 फीट ऊँचाई पर स्थित ये एयरपोर्ट भी मौसम की हिमाच्छादित स्थिति और अक्सर बदलते विजिबिलिटी के कारण बेहद खतरनाक मना जाता है।कोझिकोड / कालिकट एयरपोर्ट, केरलअरब सागर के बगल में स्थित ये रनवे मौसम खराब होने पर पहले भी बंद किया गया है।अगस्त 2020 में हुई आईएई एक्सीडेंट ने दुनियाभर में टेबलटॉप रनवे की खतरनाक स्थिति पर सवाल खड़े किए।लक्षद्वीप एयरपोर्टसमंदर के बीचोंबीच और बेहद संकीर्ण रनवे, ये दृश्य खूबसूरत है, लेकिन टेकऑफ़ और लैंडिंग के वक्त लोग पसीने में तर हो जाते हैं।कुल्लू (भुंतर) एयरपोर्ट, हिमाचलबेहद छोटा रनवे और उसके ठीक नीचे गहरी नदी की खाई। रनवे के साइडों की सीमाएँ पायलट के लिए डर पैदा कर देती हैं।मैंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, कर्नाटकये भी टेबलटॉप रनवे वाला एयरपोर्ट है, जहां 22 मई 2010 को एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट IX 812 रनवे से आगे टूटकर गहरी घाटी में गिरकर जलकर नष्ट हो गई, 166 में से सिर्फ 8 यात्री बचे।तेज हवा, मॉनसून और क्लीन ब्रेकिंग की कमी ने गंभीर नुकसान पहुंचाया, जैसा कि Air Marshal B N Gokhale की Court of Inquiry रिपोर्ट बताती है।इस हादसे के बाद DGCA ने Mangalore और Calicut जैसे रनवे पर RESA और Engineered Materials Arresting System (EMAS) लगाने की सिफारिश की।क्यों हैं टेबलटॉप रनवे खतरनाक?टेबलटॉप रनवे एक ऐसे पठार पर बने होते हैं, जिसकी दोनों ओर गहरी घाटियाँ होती हैं, जिससे पायलट को दृष्टिगत भ्रम होता है और दूरी का गलत आकलन हो सकता है ।बारिश, अदिश हवाएँ, और छोटा Runway, ये सभी मिलकर लैंडिंग को सीधा चुनौतीपूर्ण बना देते हैं।तकनीकी सुधारों (रेज़ा, लेड-इन लाइटिंग, EMAS) के बाद भी, ये रनवे पायलट स्किल और सतर्कता का असली इम्तिहान लेते हैं।पायलटों की चुनौती और सुधारपायलटों को इन एयरपोर्ट्स पर खास प्रशिक्षित और प्रमाणित होना होता है, स्पष्ट विज़िबिलिटी और ILS जैसी प्रणाली का उपयोग करना अनिवार्य है ।मुलायम जमीन रोकने की व्यवस्था (RESA), प्रदर्शक संकेत (DTGM), और ILS के फ्रैजाइबल आइटम, ये सभी सुरक्षा उपाय शामिल किए गए हैं।रेज़ा के अंदर इमारतों को हटाना और ढलान बढ़ाकर एक समान बनाना भी निरंतर चल रहा है ।ये रनवे केवल सुदूर और खतरनाक नहीं, बल्कि प्रतीक हैं भारत के उस साहस और तकनीक के संतुलन का, जो सुरक्षित यात्रा को सुनिश्चित करते हैं।चाहे खूबसूरती हो, चाहे रोमांच, लेकिन ये रनवे पायलटों के लिए हिम्मत का असली परीक्षण हैं।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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