मणिपुर की राजनीति में सोमवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब दो पूर्व विधायक और एक पार्टी नेता भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस के अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) मुख्यालय में आयोजित किया गया। इसमें कांग्रेस के मणिपुर प्रभारी सप्तगिरि शंकर उलाका और प्रदेश अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह भी मौजूद थे। कौन-कौन शामिल हुए? इस कार्यक्रम में शामिल हुए नेता हैं:• वाई. सुरचंद्र सिंह, जो मणिपुर के काकचिंग विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।• एल. राधाकिशोर सिंह, जो ओइनम विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक हैं।• उत्तमकुमार निंगथौजम, BJP के वरिष्ठ नेता और मणिपुर के राजनीतिक परिवेश में जाने-माने व्यक्तित्व। इन नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को मणिपुर में नई ताकत और राजनीतिक अनुभव मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। क्यों छोड़ी BJP? कांग्रेस ने इस अवसर पर जारी बयान में कहा कि इन नेताओं का BJP छोड़कर कांग्रेस में शामिल होना मणिपुर में भाजपा की नाकामी और राज्य में फैली व्यापक नाराजगी का परिणाम है। बयान में यह भी कहा गया कि यह कदम दर्शाता है कि मणिपुर में शांति, स्थिरता और समावेशी शासन सुनिश्चित करने के लिए केवल कांग्रेस ही सक्षम है। सप्तगिरि शंकर उलाका ने कहा, “इन नेताओं के शामिल होने से कांग्रेस मणिपुर में और मजबूत होगी। उनका बहुमूल्य राजनीतिक और पेशेवर अनुभव पार्टी संगठन के लिए लाभकारी साबित होगा। हम विश्वास दिलाते हैं कि उनकी सक्रिय भागीदारी से पार्टी न केवल चुनावी मोर्चे पर मजबूत होगी बल्कि जनता के बीच भी इसकी पकड़ और बढ़ेगी।” कांग्रेस के लिए रणनीतिक बढ़त मणिपुर में यह कदम कांग्रेस के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा द्वारा राज्य में किए गए कई निर्णयों और असफलताओं के चलते स्थानीय नेताओं और जनता में असंतोष बढ़ा हुआ था। ऐसे समय में BJP छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं ने पार्टी को न केवल नए राजनीतिक चेहरे दिए हैं बल्कि आगामी चुनावों में संगठन को मजबूती देने में भी मदद की है। विशेषज्ञों का कहना है कि मणिपुर जैसे संवेदनशील और बहुलवादी राज्य में राजनीतिक अनुभव और क्षेत्रीय नेतृत्व का होना बेहद जरूरी है। सुरचंद्र और राधाकिशोर के विधानसभा अनुभव के कारण कांग्रेस को न सिर्फ रणनीतिक बल्कि Grassroot स्तर पर भी फायदा मिलेगा। भविष्य की राजनीति मणिपुर में कांग्रेस इस समय अपने संगठन और रणनीति को मजबूत करने में लगी हुई है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि नई सदस्यता से उनके संगठन में समावेशिता और नेतृत्व क्षमता बढ़ेगी। वहीं, BJP के लिए यह एक चेतावनी भी है कि राज्य में उनकी पकड़ कमजोर होती जा रही है और विपक्षी दलों की ताकत बढ़ रही है। कुल मिलाकर, मणिपुर में कांग्रेस में तीन नेताओं के शामिल होने से राज्य की राजनीतिक तस्वीर बदलने की संभावना बढ़ गई है। पार्टी ने इसे अपनी मजबूती के रूप में लिया है और आगामी राजनीतिक घटनाओं में इसका असर देखने को मिल सकता है। Comments (0) Post Comment
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