बेटे की मौत ने तोड़ दी आस्था: शेखर सुमन बोले - भगवान नहीं बचा सके मेरा आयुष

शेखर सुमन - टीवी और फिल्मों का एक अच्छा-खासा जाना-पहचाना चेहरा, लेकिन इस शख्सियत के पीछे एक ऐसा दर्द भी है जो ग्लैमर की चकाचौंध के पीछे छुपा है।

जी हाँ, दरअसल, उन्होंने हाल ही में उस सबसे बड़े जख्म को दुनिया से साझा किया, जिसे शब्दों में बयां करना नामुमकिन है।

अपने बेटे आयुष की मौत की कहानी, जिसने न सिर्फ उनका परिवार तोड़ दिया, बल्कि ईश्वर पर से उनका भरोसा भी छीन लिया।


'पापा, आज मत जाइए...' - आखिरी गुहार

कनाडा के Connect FM को दिए इंटरव्यू में शेखर सुमन ने उस दिल दहला देने वाली शाम को याद किया, जब उनके बेटे ने उन्हें जाने से रोका था।

उस समय आयुष की तबीयत नाज़ुक थी, लेकिन एक निर्देशक ने उन्हें शूटिंग के लिए बुला लिया। जाते वक्त आयुष ने उनका हाथ पकड़ लिया और मासूमियत से कहा, "पापा, आज मत जाइए, प्लीज।"

शेखर ने बेटे से वादा किया कि वो जल्दी लौट आएंगे, लेकिन कुछ वादे अधूरे रह जाते हैं।


भगवान नहीं बचे... तो भगवान क्यों?

बेटे की मौत के बाद शेखर सुमन ने अपने घर के मंदिर को बंद कर दिया। "मैं उस भगवान को कैसे पूजूं जिसने मेरे मासूम बेटे को मुझसे छीन लिया?"

शेखर ने अपने घर की सभी धार्मिक मूर्तियां हटा दीं। उनका कहना है कि उन्होंने वर्षों तक चमत्कार के लिए प्रार्थना की, लेकिन चमत्कार हुआ नहीं।


पत्नी ने भी मांगी बेटे की 'मुक्ति'

आयुष की बीमारी और दर्द को देखकर खुद उनकी पत्नी ने भी भगवान से दुआ की कि अगर कुछ नहीं हो सकता, तो उसे तकलीफ से मुक्त कर दो।

ये पल किसी भी मां-बाप के लिए सबसे कठिन होता है - जब वे खुद अपने बच्चे के जाने की दुआ करने लगते हैं।


चार साल की बहादुरी

डॉक्टरों ने जब 1989 में आयुष को गंभीर बीमारी का शिकार बताया, तो सिर्फ 8 महीने का वक्त दिया था। लेकिन आयुष ने चार साल तक बहादुरी से लड़ाई लड़ी।

शेखर ने बताया कि वे उसे लंदन इलाज के लिए भी ले गए, बौद्ध धर्म से भी जुड़े, लेकिन हर संभव कोशिश के बावजूद ‘चमत्कार नहीं हुआ।’


हर दिन सोचता हूं, आयुष कहीं आसपास है

शेखर सुमन ने ये भी कहा कि वे आज भी हर दिन अपने बेटे के बारे में सोचते हैं। उनके मुताबिक, दुनिया में कोई दर्द उस दर्द से बड़ा नहीं हो सकता, जब आप अपने बच्चे को खोते हैं। "कई बार मुझे लगता है कि वो कहीं आसपास ही है, मुझे देख रहा है..."

शेखर सुमन की ये कहानी एक सितारे की नहीं, बल्कि एक टूटे हुए पिता की है। एक ऐसा इंसान जिसने सारी शोहरत, पैसा और धर्म की छांव में भी अपना बेटा खो दिया और भगवान से भरोसा भी।

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