चीन का अनोखा तरीका: छुट्टियों का ऑफर देकर बढ़ाएगा आबादी

शायद यही सोचकर चीन अब खुलेआम अपने नागरिकों से कह रहा है, “काम छोड़ो, शादी करो और बच्चे पैदा करो।”

देश की गिरती जनसंख्या और प्रजनन दर को देखते हुए चीन ने एक बड़ी और कुछ हद तक अनोखी पहल की है। अब कई प्रांतों में शादी की छुट्टी 3 दिन से बढ़ाकर 30 दिन तक कर दी गई है।

मकसद साफ है, लोग ज्यादा से ज्यादा शादी करें, परिवार बढ़ाएं और देश की जनसंख्या में संतुलन बनाए रखें।


सैलरी के साथ लंबी छुट्टियां

चीन के सबसे अधिक जनसंख्या वाले सिचुआन प्रांत ने इस दिशा में पहला बड़ा कदम उठाया है। यहां शादी की छुट्टी को 3 दिन से बढ़ाकर 20 दिन कर दिया गया है।

अगर शादी से पहले आप मेडिकल चेकअप भी कराते हैं, तो 5 और अतिरिक्त दिन की छुट्टी मिलेगी, यानी कुल 25 दिन की छुट्टी, वो भी पूरी सैलरी के साथ।

ये प्रस्ताव अभी जनता की राय के लिए जून तक खुला है, लेकिन इसका उद्देश्य बेहद स्पष्ट है, "कम होती शादियों और गिरती जन्मदर को थामना।"


शादी के आंकड़े गिरते जा रहे हैं

  • 2025 की पहली तिमाही में सिर्फ 1.81 मिलियन जोड़ों ने शादी रजिस्ट्रेशन कराया

  • ये आंकड़ा पिछले साल से 8% कम है

  • और 1980 के बाद सबसे न्यूनतम स्तर पर है


सिर्फ शादी ही नहीं, जन्मदर भी रिकॉर्ड न्यूनतम पर पहुंच गई है। चीन के युवाओं में शादी और बच्चे की प्लानिंग अब करियर और व्यक्तिगत आज़ादी के आगे कमजोर पड़ रही है।

चीन में विशेषज्ञ मानते हैं कि आज के युवा तब तक शादी नहीं करना चाहते जब तक बच्चे की प्लानिंग न हो। इसके पीछे कारण हैं:


  • महंगी शिक्षा

  • करियर प्रेशर

  • बढ़ती महंगाई

  • फ्रीडम फर्स्ट (एक नई क्रांतिकारी सोच)

यानी जहां पहले शादी सामाजिक दबाव थी, अब वो व्यक्तिगत प्राथमिकता बन चुकी है।


  1. सरकार के नए प्रयोग

  2. शादी की छुट्टियों में विस्तार

  3. किसी भी शहर में रजिस्ट्रेशन की छूट (अब “हुकौ” की जरूरत नहीं)

  4. मैटरनिटी और पितृत्व अवकाश में इजाफा

  5. कंपनियों को प्रोत्साहन देने की योजना


सरकार को डर है कि ये छुट्टियां सिर्फ कागज़ी न बन जाएं। इसलिए वो प्राइवेट सेक्टर को साथ लाने की कोशिश कर रही है ताकि नीतियां ज़मीनी हकीकत बन सकें।


आबादी का संकट बना राष्ट्रीय एजेंडा

जहां जनसंख्या बूढ़ी हो, वहां राष्ट्र जवान कैसे रहेगा?, ये सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, मगर चीन के लिए फिलहाल यही सच्चाई है।

ये केवल डेमोग्राफिक चिंता नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक संकट का संकेत है। अगर यही ट्रेंड रहा, तो आने वाले दशकों में चीन को जापान जैसा बुजुर्ग समाज विरासत में मिलेगा।

इसलिए चीन की सरकार अब कह रही है, “काम बाद में, शादी और बच्चे पहले।” बहरहाल, आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।

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