ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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भारत में दिवाली की तैयारियां जैसे-जैसे चरम पर होती हैं, दुनिया भर में बसे भारतीय इस त्योहार का उत्साह अनुभव करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीलंका में भी दिवाली बड़े उत्साह और खास अंदाज में मनाई जाती है? यहां दिवाली भारतीय परंपरा से थोड़ी अलग होते हुए भी धार्मिक महत्व और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाती है।
श्रीलंका में दिवाली का महत्व
श्रीलंका एक बहुधार्मिक देश है, जहां बौद्ध, हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदाय रहते हैं। इनमें से तमिल हिंदू समुदाय दिवाली को पूरे उत्साह के साथ मनाता है। श्रीलंका में यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर विजय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, लेकिन राम और रावण की कथा का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया जाता। इसका कारण यह है कि रावण को वहां एक विद्वान और शक्तिशाली राजा के रूप में सम्मान दिया जाता है। दिवाली को वहां स्थानीय भाषा में लैंप फेस्टिवल या लैम क्रियॉन्ग कहा जाता है।
दिवाली की तैयारी और सजावट
श्रीलंका में दिवाली की तैयारी हफ्तों पहले शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, जिसे सुथु कांडू कहा जाता है। इसका अर्थ है नकारात्मकता को हटाकर सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करना। बाजारों में रौनक छा जाती है, दुकानों और गलियों को रंग-बिरंगे दीयों और रोशनियों से सजाया जाता है। लोग नए कपड़े, गहने और मिठाइयां खरीदते हैं, ठीक वैसे ही जैसे भारत में होता है।
त्योहार की सुबह: पवित्रिकरण और रंगोली
दिवाली की सुबह तमिल परिवार तेल स्नान से दिन की शुरुआत करते हैं, जिसे पवित्र और शुद्धिकरण की प्रक्रिया माना जाता है। इसके बाद घरों के मुख्य द्वार पर चावल के आटे से सुंदर रंगोली बनाई जाती है, जो मेहमानों और देवताओं के स्वागत का प्रतीक है।
दीप जलाना और नदी में प्रवाहित करना
श्रीलंका की एक खास परंपरा है केले के पत्तों से बने छोटे दीप जलाना। इन दीपों में मोमबत्तियां, सिक्के और धूप रखकर उन्हें जलाया जाता है। कई लोग इन दीपों को नदियों या झीलों में प्रवाहित करते हैं, जो समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है।
कोलंबो में दिवाली की रौनक
राजधानी कोलंबो में दिवाली की शाम को खास रौनक देखने को मिलती है। प्राचीन शिव मंदिर पोन्नम्बलवनेश्वर देवस्थानम में सैकड़ों श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए जुटते हैं। मंदिर को दीपों से सजाया जाता है और विशेष आरती की जाती है। माना जाता है कि इस दिन मंदिर में दीप जलाकर भगवान शिव और देवी लक्ष्मी से समृद्धि और शांति की प्रार्थना की जाती है।
श्रीलंका में दिवाली का संदेश
श्रीलंका में दिवाली को रावण-वध का त्योहार नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश की जीत के रूप में देखा जाता है। यह केवल कोलंबो तक सीमित नहीं है। जाफना, त्रिंकोमाली और कैंडी जैसे तमिल बहुल क्षेत्रों में भी दिवाली की चमक देखी जा सकती है। इस तरह, श्रीलंका में दिवाली भारतीय परंपरा से थोड़ी अलग होते हुए भी अपने भीतर उत्सव, समृद्धि और सकारात्मकता का संदेश रखती है।
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