ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर आर्थिक मुद्दों पर बड़ा दावा किया है। रविवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर उन्होंने कहा कि अमेरिका टैरिफ से अरबों डॉलर कमा रहा है और अब इस कमाई से हर अमेरिकी नागरिक को 2,000 डॉलर (करीब 1.7 लाख रुपए) का “डिविडेंड” दिया जाएगा — लेकिन अमीरों को छोड़कर। ट्रम्प के इस बयान ने पूरे देश में चर्चा छेड़ दी है, क्योंकि उन्होंने न तो इसकी समयसीमा बताई और न ही यह स्पष्ट किया कि पैसे किस तरह वितरित किए जाएंगे।
टैरिफ के
आलोचकों को
बताया ‘मूर्ख’
ट्रम्प ने अपने पोस्ट में टैरिफ नीति की आलोचना करने वालों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “जो लोग टैरिफ के खिलाफ बोलते हैं, वे मूर्ख हैं। टैरिफ की वजह से अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर और सम्मानित देश बन गया है।” उनके मुताबिक, महंगाई बेहद कम है, शेयर बाजार रिकॉर्ड स्तर पर है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रम्प का यह दावा अधूरा है। हाल के महीनों में अमेरिका में महंगाई दर और ब्याज दरें दोनों ही ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं।
टैरिफ से
जुड़े विवाद
और सुप्रीम
कोर्ट का
रुख
ट्रम्प ने 2025 में कई देशों — जिनमें भारत, चीन, कनाडा और मेक्सिको शामिल हैं — पर 10% से 50% तक के टैरिफ लगाए थे। उन्होंने इसे अमेरिका की “राष्ट्रीय सुरक्षा” से जोड़ते हुए कहा था कि व्यापार घाटा देश के लिए खतरा है।
हालांकि, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रम्प के कई टैरिफ फैसलों को “गैरकानूनी” बताया। जस्टिस सोनिया सोतोमेयर ने कहा कि टैक्स लगाने या टैरिफ निर्धारित करने की शक्ति संसद की है, न कि राष्ट्रपति की। इसके बावजूद ट्रम्प का कहना है कि राष्ट्रपति को IEEPA (International Emergency Economic
Powers Act) के तहत यह अधिकार है।
ट्रम्प ने कोर्ट से सवाल किया, “दूसरे देश हम पर टैरिफ लगाते हैं, लेकिन हम उन पर क्यों नहीं? सिर्फ टैरिफ की वजह से ही कारोबार अमेरिका लौट रहा है।”
ट्रेजरी सेक्रेटरी
ने ट्रम्प
के दावे
से बनाई
दूरी
ट्रम्प के 2,000 डॉलर ‘डिविडेंड’ वाले दावे पर अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि उनकी ट्रम्प से इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है। संभव है कि यह राशि टैक्स कटौती के रूप में दी जाए, लेकिन सीधे चेक बांटने की कोई योजना नहीं है।
बेसेन्ट ने यह भी कहा कि सरकार का मुख्य फोकस राष्ट्रीय कर्ज चुकाने पर है। अगस्त में उन्होंने बताया था कि टैरिफ से मिली आय से 38 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज को कम किया जाएगा। ट्रेजरी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2025 में टैरिफ से सिर्फ 195 अरब डॉलर की आय हुई। ऐसे में 25 करोड़ नागरिकों को 2,000 डॉलर देने के लिए लगभग 500 अरब डॉलर की जरूरत होगी — जो मौजूदा राजस्व से दोगुना है।
अमेरिका पर
दुनिया का
सबसे ज्यादा
कर्ज
अमेरिका का कुल राष्ट्रीय कर्ज 38 ट्रिलियन डॉलर (करीब 3,200 खरब रुपए) तक पहुंच चुका है। यह अमेरिका की GDP का 120% से ज्यादा है।
इसमें से करीब 70% कर्ज अमेरिकी संस्थानों के पास है, जबकि 30% विदेशी देशों जैसे जापान और चीन के पास है। जापान सबसे बड़ा कर्जदाता है, जबकि चीन का हिस्सा घटकर अब 800 अरब डॉलर से भी कम रह गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रम्प की नई टैरिफ नीति कर्ज घटाने के बजाय उसे और बढ़ा सकती है।
भारत पर
भी 50% टैरिफ,
रूस से
तेल खरीद
को लेकर
नाराजगी
ट्रम्प ने भारत पर भी अब तक कुल 50% टैरिफ लगाया है — जिसमें 25% “रेसीप्रोकल टैरिफ” और 25% रूस से तेल खरीदने पर पेनल्टी शामिल है। उनका आरोप है कि भारत से मिलने वाले पैसों से रूस, यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देता है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ट्रम्प के ये दावे अधिक राजनीतिक हैं और उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वास्तव में यह नीति आम अमेरिकी नागरिक के हाथ में 2,000 डॉलर का चेक पहुंचा पाएगी — इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है।
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