सिख फॉर जस्टिस से KTF तक: कनाडा में कितने खालिस्तानी संगठन?

घर की दीवारें जब बाहर से हिलती हैं, तो नींव की चिंता और गहरी हो जाती है। भारत की चिंता भी अब इसी तरह गहराती जा रही है, क्योंकि कनाडा की ज़मीन पर खालिस्तानी संगठनों की जड़ें और फैलती जा रही हैं।

इन संगठनों में सबसे प्रमुख नाम है ‘सिख फॉर जस्टिस (SFJ)’, जो गुरपतवंत सिंह पन्नू की अगुआई में विदेशों में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह जैसे नारे देकर भारत विरोधी माहौल बना रहा है।

भारत सरकार ने इस पर 2019 में UAPA के तहत प्रतिबंध लगाया और हाल ही में प्रतिबंध को 5 साल और बढ़ा दिया गया है। लेकिन पन्नू अब भी खुलेआम भारत को धमकी देता फिरता है।


कैसे बन रहा है कनाडा भारत-विरोधी संगठनों का अड्डा?

खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF), खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF), खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) और खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) जैसे संगठनों का नेटवर्क कनाडा, यूके, जर्मनी, मलेशिया और अमेरिका तक फैला हुआ है।

इनका उद्देश्य केवल एक है, भारत में अशांति और पंजाब में अलगाववाद को दोबारा हवा देना।


निज्जर की हत्या से और गहरा गया तनाव

हालिया घटनाओं में से एक है हरदीप सिंह निज्जर की हत्या, जिसने भारत-कनाडा संबंधों में अभूतपूर्व तनाव ला दिया।

निज्जर, जो KTF से जुड़ा था, जून 2023 में कनाडा में मारा गया, और इस पर भारतीय खुफिया एजेंसियों का नाम आने से दोनों देशों के रिश्तों में जबरदस्त दरार आई।


डिजिटल और ड्रोन से भी जारी है आतंकी नेटवर्क

ये संगठन अकेले नहीं हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की छाया हर ओर मौजूद है।

हर आतंकी योजना में कहीं न कहीं इस एजेंसी का हाथ सामने आता है, चाहे वो फंडिंग हो, हथियार सप्लाई हो या सोशल मीडिया प्रोपेगैंडा।

KZF और KLF, ड्रोन के जरिए पंजाब में हथियार और विस्फोटक पहुंचाने की कोशिश कर चुके हैं।

भारत की खुफिया एजेंसियों ने इनसे जुड़े कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ भी किया है। लेकिन ये गतिविधियां अब सरहद पार से चालाकी से चलाई जा रही हैं।


भारत की चिंता, कनाडा की खामोशी

सबसे चिंताजनक पहलू ये है कि कनाडा में इन संगठनों पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है।

न कानूनी कार्रवाई, न प्रत्यर्पण सहयोग, और न ही डिजिटल नियंत्रण। भारत समय-समय पर कूटनीतिक दबाव बनाता रहा है, लेकिन कनाडा का रवैया बेहद ढीला रहा है।

आज स्थिति ये है कि कनाडा में खालिस्तानी संगठनों के नाम पर विरोध प्रदर्शन आम बात हो चुकी है।

दूतावासों पर हमले, झंडे जलाना, और यहां तक कि भारतीय नेताओं को धमकाने जैसे वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किए जाते हैं।

भारत ने इन सभी संगठनों को UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित किया है। इनका नेटवर्क भले सीमाओं के बाहर है, लेकिन इनका असर भारत के भीतर महसूस किया जा रहा है।

जिन हाथों में कल किताबें होनी चाहिए थीं, वो अब हथियारों की ओर बढ़ रहे हैं, और ये बदलाव कनाडा की मिट्टी पर हो रहा है।

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