DIA रिपोर्ट: भारत की रणनीति में बड़ा बदलाव, चीन को मान रहा असली खतरा!

भारत की विदेश और रक्षा नीति में बड़ा बदलाव सामने आया है। अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (Defence Intelligence Agency - DIA) की ताज़ा रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि भारत अब पाकिस्तान को नहीं, बल्कि चीन को अपना मुख्य राजनीतिक और रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानता है।

ये रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब भारत और चीन के बीच सीमाई गतिरोध को लेकर अस्थायी शांति बनी हुई है, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।

DIA का ये विश्लेषण भारत की वर्तमान रणनीतिक प्राथमिकताओं की नई दिशा को दर्शाता है।


पाकिस्तान बना 'एंसीलरी खतरा', चीन है मुख्य चुनौती

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब पाकिस्तान को सिर्फ एक "एंसीलरी" यानी सहायक या गौण खतरे के तौर पर देखता है। असली रणनीतिक चिंताएं अब चीन के इर्द-गिर्द घूम रही हैं।

रिपोर्ट कहती है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रक्षा प्राथमिकताएं अब वैश्विक नेतृत्व की ओर, चीन के सैन्य और रणनीतिक प्रभाव को संतुलित करने, और भारत की स्वदेशी सैन्य क्षमता को मजबूत करने पर केंद्रित हैं।"


लद्दाख विवाद सिर्फ विराम, समस्या खत्म नहीं

रिपोर्ट में अक्टूबर 2024 में भारत और चीन के बीच डिसइंगेजमेंट (सैन्य पीछे हटने) के समझौते का जिक्र करते हुए कहा गया है कि ये कोई स्थायी समाधान नहीं था, बल्कि एक रणनीतिक विराम भर है।

विशेष रूप से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत की सैन्य मौजूदगी और अवसंरचना विकास ये दर्शाता है कि भारत अब चीन को एक दीर्घकालिक रणनीतिक खतरे के रूप में देख रहा है।


मई 2025 की घटनाओं का भी हवाला

रिपोर्ट में मई 2025 में भारत-पाकिस्तान सैन्य टकराव और पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पाकिस्तान अब भी क्षेत्रीय अस्थिरता बनाए हुए है, लेकिन भारत की असली सैन्य योजना और रक्षा तैयारी चीन को लेकर केंद्रित है।

ये बदलाव भारत की दीर्घकालिक रणनीति और कूटनीतिक प्राथमिकताओं में स्पष्ट परिवर्तन को दिखाता है।


'मेड इन इंडिया' से सैन्य आत्मनिर्भरता की ओर

भारत अब तेजी से अपने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में काम कर रहा है। 2025 में 'मेक इन इंडिया' अभियान को नए आयाम दिए गए हैं।

घरेलू हथियार निर्माण, रक्षा उपकरणों की स्थानीय खरीद और विदेशी आपूर्ति श्रृंखला से निर्भरता कम करने की कोशिश की जा रही है।


इंडो-पैसिफिक में भारत की सक्रियता

चीन को संतुलित करने के लिए भारत अपनी विदेश नीति को भी नए सिरे से गढ़ रहा है। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत अब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सैन्य अभ्यास, हथियारों की साझेदारी, सूचना आदान-प्रदान और सामरिक संवाद के जरिए क्षेत्रीय साझेदारों के साथ गठजोड़ मजबूत कर रहा है।

इसमें QUAD (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) की भूमिका अहम है, साथ ही ASEAN देशों के साथ मिलकर भारत चीन के प्रभाव को संतुलित करना चाहता है।


भारत की नई रक्षा कूटनीति: क्या है लक्ष्य?

  • चीन के आक्रामक रुख के खिलाफ प्रभावी रणनीति तैयार करना

  • हथियार निर्माण और तकनीकी विकास में आत्मनिर्भरता

  • इंडो-पैसिफिक में भारत की नेतृत्व भूमिका को मजबूत करना

  • बहुपक्षीय सैन्य और रणनीतिक समूहों में सक्रिय भागीदारी

  • पाकिस्तान को नजरअंदाज नहीं करना, लेकिन फोकस चीन पर रखना


अमेरिका की इस खुफिया रिपोर्ट से ये साफ हो गया है कि भारत अब सिर्फ सीमा रेखा की सुरक्षा नहीं, बल्कि एक व्यापक रणनीतिक लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।

चीन के बढ़ते दबदबे को संतुलित करना और भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना अब भारत की प्रमुख रक्षा प्राथमिकता बन गई है।

पाकिस्तान को अब केवल एक सेकंडरी खतरे के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत की नीति में आए बदलाव का सबसे बड़ा संकेत है।

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