सऊदी अरब सरकार के खाते में जमा हैं भारत के 3 लाख 73 हजार डॉलर, वजह है एक प्रॉपर्टी विवाद, जानिए मामला

भारत और सऊदी अरब के बीच एक ऐसा मामला दशकों से अटका है, जो इतिहास, हक और उत्तराधिकार के टकराव की कहानी कहता है।

3.73 लाख अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 3 करोड़ रुपये सऊदी अरब सरकार के खाते में जमा हैं, ये रकम भारत के एक पुराने कारोबारी मयंकुट्टी केई की संपत्ति से जुड़ी है, जिसे 1971 में मक्का के विस्तार के दौरान ढहा दिया गया था।

मामले को सुलझाने में न भारत सरकार कोई हल निकाल पाई, न सऊदी अरब। सवाल आज भी वही है: इस रकम का वैध उत्तराधिकारी कौन है?


50 साल पुराना विवाद, अब भी अधूरा समाधान

प्रसिद्ध मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1870 में केरल के व्यापारी मयंकुट्टी केई ने मक्का शहर में एक आलीशान गेस्ट हाउस का निर्माण कराया था।

यह गेस्ट हाउस मस्जिद अल-हरम से चंद कदम की दूरी पर स्थित था और इसका नाम स्थानीय समाज में आदर के साथ लिया जाता था।

लेकिन 1971 में जब मक्का शहर का विस्तार हुआ, तब इस गेस्ट हाउस को अन्य कई इमारतों के साथ गिरा दिया गया।

इसके एवज में सऊदी प्रशासन ने 14 लाख रियाल का हर्जाना तय किया, जो आज की तारीख में करीब 3.73 लाख डॉलर के बराबर है।


उत्तराधिकारी की पहचान नहीं, पैसा अटका

गेस्ट हाउस तो ढह गया, लेकिन हर्जाने की रकम सरकारी खाते में ही रह गई, क्योंकि परिवार में उत्तराधिकारी को लेकर विवाद खड़ा हो गया।

मयंकुट्टी केई के परिवार के दो पक्ष इस रकम के मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई कानूनी और पारिवारिक समाधान नहीं निकला है। यही वजह है कि हर्जाना निकाला नहीं जा सका।


कैसी थी यह प्रॉपर्टी?

गेस्ट हाउस करीब डेढ़ एकड़ में फैला हुआ था। इसमें 22 कमरे और कई बड़े हॉल थे। इसके निर्माण के लिए लकड़ी केरल से मंगाई गई थी और एक स्थायी मैनेजर तक नियुक्त किया गया था।

इस्लाम के सबसे पवित्र शहर मक्का में यह एक प्रतिष्ठित भारतीय उपस्थिति मानी जाती थी।


भारत और सऊदी के रिश्तों के बीच ‘एक फंसी हुई रकम’

आज जबकि भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी और व्यापारिक रिश्ते तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में ये मामला एक सांस्कृतिक और कूटनीतिक उलझन की तरह है।

सवाल सिर्फ एक रकम का नहीं, बल्कि भारतीय विरासत और हक की लड़ाई का है, जिसे अब भी दोनों देशों की सरकारें सुलझा नहीं सकी हैं।

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