ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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हाल ही में अमेरिका ने कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने का कदम उठाया है, जिसमें भारत भी शामिल है। यह टैरिफ न केवल भारत की अर्थव्यवस्था पर असर डाल रहे हैं, बल्कि अमेरिका के अपने व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए भी समस्याएं खड़ी कर रहे हैं। इस पर अमेरिका के कुछ वरिष्ठ राजनेताओं ने चिंता व्यक्त की है और कहा है कि इन नीतियों से दोनों देशों के संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
प्रमिला जयपाल ने जताई चिंता
अमेरिकी प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल ने कहा कि टैरिफ के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि यह टैरिफ भारतीय उत्पादों के व्यापार को नुकसान पहुंचा रहे हैं और अमेरिकी व्यवसायियों तथा उपभोक्ताओं के लिए भी महंगे साबित हो रहे हैं।
सिडनी कामगार-डोव ने किया विरोध
अमेरिकी प्रतिनिधि सिडनी कामगार-डोव ने भी टैरिफ पर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों ने भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि भारत पर लगाए गए 50% शुल्क ने भारत को अलग-थलग करने जैसा कदम लिया है। इसके अलावा, रूसी तेल के आयात पर 25% टैरिफ भी उचित नहीं है। कामगार ने चेतावनी दी कि ऐसे फैसलों से दोनों देशों की दशकों की साझेदारी खतरे में पड़ सकती है।
H-1B वीज़ा की नई फीस पर विवाद
सिडनी कामगार-डोव ने H-1B वीज़ा पर 100,000 डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) की नई फीस लगाने पर भी चिंता जताई। इस कदम से भारतीय पेशेवरों को झटका लगेगा, जिन्होंने विज्ञान, तकनीक, चिकित्सा और कला के क्षेत्र में अमेरिका को नई ऊंचाइयां दी हैं। उनका कहना है कि इस तरह की नीतियों से अमेरिका को प्रतिभाशाली पेशेवरों को आकर्षित करने में मुश्किल होगी।
भारत को अमेरिका से दूर धकेला जा रहा है?
कामगार ने चेतावनी दी कि गलत नीतियों से भारत जैसे रणनीतिक साझेदार को अमेरिका से दूर किया जा सकता है। इसका फायदा चीन और रूस जैसे देशों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन नीतियों से कोई लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि दोनों देशों की साझेदारी कमजोर होगी।
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