ट्रम्प का दावा: भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, मोदी ने दिया भरोसा

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दावा किया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। ट्रम्प ने कहा कि उन्हें यह बात पसंद नहीं थी कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत अब ऐसा नहीं करेगा। ट्रम्प ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी मेरे दोस्त हैं और हमारे बीच अच्छे संबंध हैं। उन्होंने भरोसा दिया कि रूस से तेल का आयात बंद होगा।ट्रम्प ने यह भी कहा कि अब उन्हें उम्मीद है कि चीन पर भी यही दबाव डाला जाएगा।

 

अमेरिका ने भारत पर लगाए टैरिफ

 अमेरिका ने अगस्त 2025 में भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया था। इससे पहले जुलाई में भारत पर 25% रेसीप्रोकल टैरिफ लगाया गया था। कुल मिलाकर भारत पर अब 50% टैरिफ लागू है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरोलिना लेविट के अनुसार इसका मकसद रूस पर दबाव डालना और यूक्रेन में युद्ध को रोकने के लिए आर्थिक कार्रवाई करना है।

 

रूस से तेल की बढ़ती सप्लाई

 फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यूरोप ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद रूस ने अपनी तेल सप्लाई को एशिया की ओर मोड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2021 में भारत का रूसी तेल आयात सिर्फ 0.2% था, लेकिन 2025 में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया है। वर्तमान में भारत को औसतन 1.67 मिलियन बैरल रोजाना मिल रहा है, जो देश की कुल जरूरत का लगभग 37% है।

 

भारत रूस से तेल क्यों नहीं रोक सकता?

 भारत के रूस से तेल खरीदने के कई फायदे हैं:

 

1. सस्ता तेल: रूस अभी भी भारत को अन्य देशों की तुलना में सस्ता तेल दे रहा है। हाल ही में डिस्काउंट 3-6 डॉलर प्रति बैरल रह गया है।

 

2. लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स: भारत की कंपनियों के रूस के साथ लंबे समय के समझौते हैं। उदाहरण के लिए, रिलायंस ने दिसंबर 2024 में 10 साल का हर रोज 5 लाख बैरल तेल खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट किया।

 

3. वैश्विक कीमतों पर असर: भारत के आयात से वैश्विक तेल कीमतें स्थिर रहती हैं। अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा, तो सप्लाई कम होने से कीमतें बढ़ सकती हैं।

 

भारत के अन्य तेल सप्लायर्स

 भारत अपनी कुल जरूरत का 80% से अधिक तेल इम्पोर्ट करता है। रूस के अलावा प्रमुख सप्लायर्स हैं:

 

इराक: भारत का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर, लगभग 21% तेल सप्लाई करता है।

सऊदी अरब: तीसरा बड़ा सप्लायर, रोजाना 7 लाख बैरल।

अमेरिका: जनवरी-जून 2025 में अमेरिका से रोजाना 2.71 लाख बैरल आयात, जो पिछले साल से दोगुना।

साउथ अफ्रीका और अन्य देश: नाइजीरिया, ब्राजील, गयाना और UAE से भी भारत तेल इम्पोर्ट कर रहा है।

 

हालांकि, रूस का तेल इन सभी विकल्पों की तुलना में सस्ता और उपलब्धता में भरोसेमंद है।

 

अंतरराष्ट्रीय व्यापार और रणनीतिक मुद्दा

 अमेरिका ने भारत पर दबाव डालने के लिए आर्थिक टैरिफ लगाए हैं और ट्रम्प ने दावा किया कि मोदी ने रूस से तेल खरीदने को रोकने का भरोसा दिया है। हालांकि, भारत ने अभी तक इस पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। रूस से तेल खरीदने के फायदे और लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स के कारण भारत तुरंत आयात बंद नहीं कर सकता। यह एक जटिल अंतरराष्ट्रीय व्यापार और रणनीतिक मुद्दा है, जिसमें आर्थिक, राजनीतिक और वैश्विक तेल बाजार की सभी स्थितियों को ध्यान में रखना जरूरी है।

 


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