ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
सऊदी
अरब के मक्का–मदीना हाईवे पर रविवार देर रात हुआ भीषण बस हादसा भारत के लिए एक गहरी
त्रासदी लेकर आया। इस हादसे में 45 भारतीय नागरिकों की मौत हो गई। ये सभी लोग उमरा
के लिए सऊदी अरब गए थे। हादसा इतना गंभीर था कि कई यात्रियों को बचने का कोई मौका ही
नहीं मिला।
तेलंगाना
सरकार ने घोषणा की है कि मारे गए सभी लोगों को धार्मिक रीति-रिवाज़ों के अनुसार सऊदी
अरब में ही दफनाया जाएगा, और शव भारत वापस नहीं लाए जाएंगे। प्रत्येक पीड़ित परिवार
से दो लोगों को सऊदी भेजकर अंतिम संस्कार में शामिल कराया जाएगा।
शवों
को वापस लाना क्यों मुश्किल है?
कुछ
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, परिजनों को यह विकल्प दिया जा सकता है कि वे चाहे तो शवों
को भारत लाना चुनें, लेकिन सऊदी कानून शवों की वापसी को बेहद कठिन बना देता है। सऊदी
में सड़क दुर्घटनाओं में आमतौर पर सरकार की तरफ से सीधा मुआवजा नहीं मिलता। किसी भी
तरह का मुआवजा तभी मिलेगा जब पुलिस जांच में यह साबित हो कि दुर्घटना टैंकर ड्राइवर
या कंपनी की लापरवाही से हुई है। यह कानूनी प्रक्रिया कई महीनों तक चल सकती है।
इसके
अलावा, हज या उमरा यात्रा पर जाने वाले हर व्यक्ति से एक डिक्लेरेशन फॉर्म पर हस्ताक्षर
कराए जाते हैं। इसमें साफ लिखा होता है कि—यदि सऊदी अरब में तीर्थयात्री की मृत्यु
होती है, तो उसका अंतिम संस्कार वहीं किया जाएगा।
भारत
सरकार कहती है कि यदि कोई गैर-तीर्थयात्री भारत का नागरिक सऊदी में निधन हो जाता है,
तो परिवार की इच्छा के अनुसार शव भारत लाया जा सकता है। लेकिन उमरा यात्रियों के मामले
में वही नियम लागू होते हैं जिन पर वे पहले से सहमति दे चुके होते हैं।
कैसे
हुआ यह बड़ा हादसा?
यह
हादसा मदीना से लगभग 25 किलोमीटर दूर मुहरास के पास भारतीय समयानुसार रात लगभग
1:30 बजे हुआ। मक्का से मदीना जा रही बस सड़क किनारे खड़ी थी। तभी पीछे से आए तेज़
रफ्तार फ्यूल टैंकर ने बस को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भयंकर थी कि बस में सवार
अधिकांश यात्री मौके पर ही मारे गए।
मारे
गए लोगों में:
-18 महिलाएं
-17 पुरुष
-10 बच्चे शामिल हैं
बस
में कुल 46 लोग सवार थे, जिनमें से सिर्फ एक व्यक्ति जीवित बचा—24 वर्षीय मोहम्मद अब्दुल
शोएब। वह ड्राइवर के पास बैठा था और गंभीर रूप से घायल हुआ, फिलहाल अस्पताल में उसका
इलाज चल रहा है। सबसे दर्दनाक बात यह है कि 18 मृतक एक ही परिवार के थे, जिसमें 9 बच्चे
और 9 बड़े शामिल थे। ये सभी हैदराबाद के रहने वाले थे और 22 नवंबर को भारत लौटने वाले
थे।
यात्रियों
का सफर और हादसे से पहले की स्थिति
हैदराबाद
पुलिस के अनुसार, 54 लोग 9 नवंबर को उमरा के लिए सऊदी अरब गए थे। वे 23 नवंबर को लौटने
की योजना में थे। इनमें से 4 लोग कार से अलग मदीना गए, और 4 मक्का में रुके रहे। दुर्घटना
वाली बस में 46 लोग यात्रा कर रहे थे — वही लोग इस हादसे का शिकार बने।
तेलंगाना
सरकार और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
तेलंगाना
सरकार ने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री
रेवंत रेड्डी ने दिल्ली स्थित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे भारतीय दूतावास
के साथ निरंतर संपर्क में रहें और पहचान व अन्य औपचारिकताओं में परिवारों की मदद करें।
हैदराबाद
के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया और तुरंत कार्रवाई
की मांग की। उन्होंने दो ट्रैवल एजेंसियों से संपर्क कर यात्रियों की लिस्ट दूतावास
को भेजी। उन्होंने रियाद स्थित भारतीय दूतावास के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन अबू मैथन
जॉर्ज से भी बात की, जिन्होंने कहा कि स्थानीय अधिकारियों से जानकारी जुटाई जा रही
है।
ओवैसी ने केंद्र सरकार से विशेष अपील की—शवों को
जल्द से जल्द भारत लाया जाए, हालांकि बाद में यह स्पष्ट हो गया कि यह संभव नहीं होगा।
प्रधानमंत्री
मोदी और विदेश मंत्री की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी
ने हादसे पर गहरा दुख जताते हुए लिखा कि भारतीय दूतावास पीड़ितों को हर संभव मदद दे
रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इस घटना को “गहरा सदमा” बताते हुए कहा
कि दूतावास पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है और लगातार सहायता दे रहा है।
बहरहाल,
यह हादसा न केवल सऊदी में मौजूद भारतीयों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक गहरी त्रासदी
है। एक ही परिवार के इतने सदस्यों की मौत ने हर किसी को भावुक कर दिया है। जांच जारी
है, लेकिन अब सबसे बड़ी चिंता है— पीड़ित परिवारों तक मदद पहुंचाना, रीति-रिवाजों के
अनुसार अंतिम संस्कार कराना और कानूनी प्रक्रिया में उनका साथ देना। यह घटना याद दिलाती
है कि विदेश में आपदाओं का सामना करना कितना मुश्किल और भावनात्मक रूप से थकाने वाला
होता है।
Comments (0)
No comments yet. Be the first to comment!