बीते कुछ समय से ईरान और इज़राइल के बीच जो जंग छिड़ी है, अब वो केवल मिसाइलों की जंग नहीं है, बल्कि ये पब्लिक बयानबाज़ी और डिप्लोमैसी के खेल की असल तस्वीर दुनिया के सामने ला चुकी है।एक समय पर ट्रंप और मैक्रों जैसे नेता, जिन्होंने पहले एक रुख अख्तियार किया था, और वही आज बिल्कुल उल्टा बोल रहे हैं।इस गेम में इज़राइल‑ईरान की जंग सिर्फ शुरुआत है। असली खतरा तब सामने आएगा जब ये कूटनीतिक एजेंडे पीछे की असलियत उजागर करेंगे।ट्रंप की भाषा क्यों बदली?दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने पहले धमकी दी थी कि अगर ईरान परमाणु डील पर ‘हां’ नहीं करेगा, तो उसे इज़राइल काट डालेगा। मगर जब इज़राइल ने हमला किया, ट्रंप ने उसका अभिनंदन कर उसे ‘excellent’ तक कहा। इससे साफ है कि उनके लिए जंग एक मैदान है, जिसमें ईरान को डराकर डील पर लाना था। 60 दिन तक उनींदे रहने के बाद, जैसे ही डील की उम्मीद कम हुई, ट्रंप ने पीछे की चाल चला।मैक्रों का ‘फ्री पास’ फंस गयापहले मैक्रों ने साफ कहा कि “इज़राइल को फ्री हैंड नहीं मिले”, पश्चिम की छवि दांव पर है। लेकिन जैसे ही इज़राइल ने हमला किया, मुफ़्त में ही वह ‘इज़राइल का आत्मरक्षा का अधिकार’ बोलने लगा।यही नहीं, G7 में उन्होंने कहा कि “ट्रंप ने मिसाइल हमले के लिए मौका दिया”। राजनीति की इस उल्टी दिशा ने कूटनीति के दोहरे चेहरों को बेपर्दा कर दिया।वार्ता बीच में रुकी, नकेल टूट गईपरमाणु डील की छठी काउंटर में ही वार्ता टूटी, ईरान की टीम पहले से तैयार थी, लेकिन अचानक गले में मिसाइलें खड़ी कर दी गईं ।ट्रंप ने खुद 13 जून को कहा कि “डील को चूकने पर इज़राइल हमला करेगा” । मगर कह नहीं पाए कि क्यों हमलों के बीच वार्ता को रोका गया।इज़राइल ने पहली चॉक ले दी, फिर ईरान ने भारी जवाबइज़राइल ने Operation Rising Lion के तहत ईरानी परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला कर दिया, जिसमें शीर्ष नेता मारे गए।ईरान ने पलटकर 150 बैलिस्टिक मिसाइल और drones से हमला किया, जिसमें इज़राइल में 22 घायल और ईरान में करीब 224 मौतें हुईं।अब दोनों तरफ का हमला “आत्मरक्षा” और “आक्रामक” दोनों दृष्टियों से परस्पर आरोप लग रहा है।ट्रंप ने G7 छोड़ा और स्थिति कक्ष में चले गए उन्होंने कहा कि वह वार्ता चाहते हैं, मगर “ऑब्वियसली यह वार्ता से जुड़ा नहीं”। साथ ही उन्होंने कहा कि मिसाइल हमले ‘Excellent’ थे और आगे भी इसी तरह ‘बंकर बस्टर’ हथियार देने को तैयार रहेंगे । जनता समज नहीं पाए कि ट्रंप डील चाह रहे हैं या जंग की सड़क खोल रहे हैं।मैक्रों‑ट्रंप की ऑफ़िशियल डबल गेममैक्रों ने G7 में कहा कि ट्रंप ने cease‑fire ऑफर किया था, जिसके लिए उन्हें इज़राइल को दबाव डालना होगा। लेकिन ट्रंप जी मौन-स्थि में आकर बोले-“कुछ ज़्यादा बड़ा, मैक्रों ने गलत कहा”।मैक्रों की अंतरराष्ट्रीय शख़्सियत चमकी, मगर ट्रंप के ‘Truth Social’ पोस्ट ने उनके ‘pause’ को एक बड़ा झूठ साबित किया।छिपा सच, दांव, डील और दहशत का खेलअब सवाल ये उठ रहा है, क्या ये सब जंग शुरू करने की साज़िश थी? ट्रंप ने कहा कि “कट्टरपंथियों को मार दिया गया है” और “हमले के बिना ट्रैक खत्म नहीं होगा”।वहीं इज़राइल (नेतन्याहू) ने कहा कि अमेरिका को हमले की पहले से जानकारी थी, जो ट्रंप ने खुद कबूल किया । दोनों प्रधान नेताओं की भाषा में छला दिख रहा है।सच तो यही है कि अमेरिका की दोहरी नीति है, जिसमें वो कहता है कि पहला वो जंग नहीं चाहता, और दूसरा कि वो हथियार देता है।फ्रांस का हर बार ‘मित्रता का वादा’, मगर हमले के बाद बोलता ‘आत्मरक्षा’ ही। उधर इज़राइल‑ईरान की जंग सिर्फ मिसाइल नहीं, यह सत्ता के पीछे की दुनिया पर एक खुला पर्दाफाश है।तो अब क्या होगा?ईरान चाहता है वार्ता, लेकिन यदि हमला रुका नहीं, तो परमाणु कार्यक्रम तेज कर देगा। इज़राइल कह रहा है कि परमाणु ठिकानों को ‘finish’ करने तक हमला जारी रहेगा ।अमेरिका त्रिशंकु नीति पर है, जंग चाहता नहीं, मगर हथियार देता है, और ‘बंकर बस्टर’ की धमकी देता है ।फ्रांस और यूरोप, मैक्रों बोले, लेकिन बोलकर लौट गए… और 'रेज़ट्रेन्ट' की बात छोड़कर इज़राइल का साथ दे रहे हैं ।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment