ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध जैसे हालात उस वक्त और गंभीर हो गए जब रविवार 22 जून को अमेरिकी B-2 बॉम्बर्स ने ईरान की परमाणु साइट्स पर एयरस्ट्राइक कर दी, लेकिन इससे पहले जो कुछ हुआ, उसने अमेरिकी खुफिया और सुरक्षा तंत्र को हिलाकर रख दिया।
NBC न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक धमकी भरा मैसेज भेजा था, जिसमें कहा गया था कि अगर अमेरिका ने उसके न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया, तो वह अमेरिका के अंदर छिपे स्लीपर सेल्स को एक्टिव कर देगा।
इस चेतावनी ने न केवल व्हाइट हाउस बल्कि पूरे अमेरिकी इंटेलिजेंस नेटवर्क को हिला दिया।
G7 सम्मेलन के दौरान ट्रंप को मिला अल्टीमेटम
ईरान का यह संदेश पिछले सप्ताह कनाडा में आयोजित G7 सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप को मिला था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह मैसेज किसी गुप्त राजनयिक चैनल के माध्यम से ट्रंप तक पहुंचाया गया।
मैसेज में कहा गया था कि ईरान के खिलाफ यदि कोई परमाणु हमला होता है, तो इसका जवाब अमेरिकी धरती पर ही मिलेगा, स्लीपर सेल्स के ज़रिए।
ट्रंप ने इस संदेश को मिलते ही सम्मेलन को बीच में छोड़ 16 जून की सुबह वॉशिंगटन लौटने का फैसला किया, और जल्द ही अपने सैन्य सलाहकारों के साथ बैठक कर संभावित विकल्पों पर विचार किया।
ट्रंप का पलटवार: परमाणु ठिकानों पर एयरस्ट्राइक
G7 से लौटने के कुछ ही दिनों बाद, ट्रंप ने ईरान के नटांज़ और फोर्डो जैसे परमाणु कार्यक्रमों से जुड़े ठिकानों पर B-2 स्पिरिट बॉम्बर्स के जरिए एयरस्ट्राइक का आदेश दे दिया।
इस ऑपरेशन को रात के अंधेरे में अंजाम दिया गया और इसमें उच्च तकनीक वाले "बंकर बस्टर बम" का इस्तेमाल हुआ।
हालांकि अमेरिका ने हमले की पुष्टि तो नहीं की है, लेकिन ईरानी सरकारी मीडिया और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के सूत्रों ने बताया कि हमलों में कम से कम तीन रणनीतिक ठिकानों को नुकसान पहुंचा है।
स्लीपर सेल्स की चेतावनी से बढ़ा अमेरिकी अलर्ट
ईरानी धमकी को हल्के में न लेते हुए अमेरिका ने न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन डीसी, लॉस एंजेलेस और शिकागो जैसे बड़े शहरों को हाई अलर्ट पर रख दिया है।
FBI और Homeland Security ने आतंकी नेटवर्क और संभावित संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विशेष निगरानी अभियान शुरू कर दिया है।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वाकई में ईरान के स्लीपर सेल्स अमेरिका के भीतर एक्टिव हो जाते हैं, तो हालात बेहद खतरनाक हो सकते हैं और 9/11 के बाद की सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती बन सकते हैं।
ओमान और पाकिस्तान ने जताई नाराज़गी
ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद इस्लामिक देशों में कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस कार्रवाई को "गैर-जिम्मेदाराना और दुखद" करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, “इस हमले से क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को बड़ा खतरा है।”
ओमान ने भी अमेरिका के कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। ओमानी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि “ओमान हमेशा शांतिपूर्ण संवाद का समर्थक रहा है, लेकिन इस तरह की सैन्य कार्रवाई से स्थिति और बिगड़ सकती है।”
क्या अब सीधे युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं हालात?
अब जब अमेरिका ने ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमला कर दिया है, और ईरान पहले ही अपने स्लीपर सेल्स और प्रतिरोध की चेतावनी दे चुका है, तो विशेषज्ञों का मानना है कि यह टकराव और गहराने वाला है।
आने वाले कुछ दिन यह तय करेंगे कि यह तनाव एक और वर्ल्ड वार जैसी स्थिति में तब्दील होता है या बातचीत की कोई खिड़की अब भी बची है।
बहरहाल, आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।
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