ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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व्हाइट हाउस के साए में गोलियां
अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के आसपास सुरक्षा
हमेशा हाई रहती है, लेकिन हाल की घटना ने इस सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर
दिए हैं। व्हाइट हाउस से कुछ ही ब्लॉक की दूरी पर दो नेशनल गार्ड सैनिकों को अचानक
घात लगाकर गोली मार दी गई, जिससे पूरा अमेरिका सन्न रह गया।
डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को सिर्फ दो जवानों पर नहीं बल्कि पूरे
राष्ट्र और मानवता के खिलाफ अपराध बताया। साथ ही उन्होंने राजधानी में और ज्यादा
सैनिक भेजने और अफगान मूल के संदिग्धों की कड़ी जांच का ऐलान कर दिया।
हमला कैसे हुआ और कौन निशाने पर था?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये दोनों सैनिक वेस्ट वर्जीनिया नेशनल गार्ड के
सदस्य थे और थैंक्सगिविंग अवकाश से ठीक पहले वाशिंगटन डीसी में ड्यूटी पर तैनात
थे। बुधवार दोपहर, जब माहौल सामान्य लग रहा था, तभी व्हाइट हाउस से कुछ ही कदम की दूरी पर उन पर
घात लगाकर फायरिंग की गई।
फायरिंग होते ही आसपास का पूरा इलाका तुरंत सील कर दिया गया और
सुरक्षा एजेंसियों ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। दोनों जवान गंभीर रूप से
घायल हुए और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत नाजुक बताई गई।
ट्रंप का सख्त बयान और 500 अतिरिक्त सैनिक
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने
वीडियो संदेश के जरिए बेहद कड़ा रुख दिखाया। उन्होंने कहा कि यह केवल दो सैनिकों
पर हमला नहीं, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा और सम्मान पर सीधा वार है, जिसे किसी भी कीमत
पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ट्रंप ने पेंटागन को आदेश दिया कि अमेरिकी राजधानी में सुरक्षा बढ़ाने
के लिए 500 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की जाए। यह कदम दिखाता है कि व्हाइट हाउस
के आसपास हुई इस घटना को प्रशासन कितनी गंभीरता से ले रहा है।
संदिग्ध की पहचान: अफगान मूल का रहमानुल्लाह लकनवाल
हमले के तुरंत बाद एक संदिग्ध को हिरासत में लिया गया, जिसकी पहचान 29
वर्षीय रहमानुल्लाह
लकनवाल के रूप में हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह शख्स अफगान नागरिक है और 2021 में अफगानिस्तान से
अमेरिका आया था।
बताया जा रहा है कि संदिग्ध खुद भी फायरिंग के दौरान घायल हुआ,
जिसके बाद उसे पकड़ा
जा सका। अमेरिकी न्याय विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, इस केस की जांच आतंकवादी कृत्य के एंगल से
की जा रही है, यानी इसे सिर्फ आपराधिक घटना नहीं माना जा रहा।
अफगान नागरिकों की दोबारा जांच का फैसला
हमले के बाद ट्रंप ने एक और बड़ा ऐलान किया, जिसने पूरी बहस को इमिग्रेशन और सुरक्षा
की दिशा में मोड़ दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल के
दौरान अफगानिस्तान से जो भी लोग अमेरिका में आए, उन सभी की दोबारा सख्त जांच की जाएगी।
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) के अनुसार, उन्हें भरोसा है कि संदिग्ध 2021 में अफगानिस्तान से
अमेरिका में प्रवेश करने वालों में से ही एक है। इस बयान के बाद अमेरिका में रह
रहे अफगान नागरिकों पर दबाव और शंका का माहौल और बढ़ने की आशंका है।
वॉशिंगटन डीसी में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
व्हाइट हाउस दुनिया की सबसे सुरक्षित इमारतों में गिना जाता है,
फिर भी उसके आसपास
इस तरह का हमला होना, कई tough सवाल खड़े करता है। अगर नेशनल गार्ड के सक्रिय जवानों पर इस तरह घात
लगाकर हमला हो सकता है, तो आम नागरिक कितने सुरक्षित हैं, ये बड़ा मुद्दा बन गया है।
विशेषज्ञों के बीच यह चर्चा भी तेज है कि क्या राजधानी की इंटेलिजेंस
और सर्विलांस सिस्टम में कोई चूक हुई थी। अगर संदिग्ध पहले से वॉचलिस्ट में था,
तो वह व्हाइट हाउस
के इतने नजदीक तक कैसे पहुंच गया, यह सवाल जांच एजेंसियों को जवाब देना होगा।
राजनीति, इमिग्रेशन और आतंकवाद की तिकड़ी
हमले के तुरंत बाद ट्रंप के बयान ने राजनीतिक तापमान भी बढ़ा दिया है,
क्योंकि उन्होंने
सीधे तौर पर बाइडन के समय आए अफगान नागरिकों को टारगेट किया। एक तरफ सुरक्षा का
मुद्दा है, दूसरी तरफ शरण लेकर आए हजारों अफगान परिवारों की चिंता और डर भी बढ़
गया है।
आलोचकों का मानना है कि किसी एक संदिग्ध की वजह से पूरे समुदाय पर शक
की नजर डालना उचित नहीं है, जबकि सुरक्षा एजेंसियां तर्क देती हैं कि हाई
रिस्क प्रोफाइल वाले सभी लोगों की दोबारा जांच करना ज़रूरी है।
आगे क्या-क्या हो सकता है?
दो गोलियां, कई सवाल
व्हाइट हाउस के पास दो नेशनल गार्ड सैनिकों पर हुआ यह हमला सिर्फ एक क्राइम स्टोरी नहीं, बल्कि अमेरिका की राजनीति, सुरक्षा और इमिग्रेशन पॉलिसी, तीनों को हिला देने वाली घटना है। ट्रंप का सख्त रुख और अफगान नागरिकों की दोबारा जांच का फैसला आने वाले दिनों में और बहस और विवाद पैदा करेगा।
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