ट्रंप ने क्यों छोड़ी G-7 समिट? बोले, 'कुछ बहुत बड़ा होने वाला है...'

कनाडा में चल रही G-7 समिट को बीच में छोड़कर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अचानक वॉशिंगटन डी.सी. लौट जाना अब अंतरराष्ट्रीय सियासत की सबसे चटपटी और गर्म बहस बन चुका है।

चर्चाओं का बाज़ार गर्म है, अफवाहों की रफ्तार ऐसी जैसे किसी बुलेट ट्रेन ने ब्रेक ही नहीं मारे। मगर ट्रंप ने इस पर खुद ही बयान देकर सारा तामझाम एक झटके में पलट दिया।


असल में क्या है माजरा?

दरअसल ट्रंप ने सोशल मीडिया पर सीधे-सीधे इशारा किया कि G-7 से उनका वॉकआउट ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम की कोई रणनीति नहीं थी।

इतना ही नहीं, उन्होंने इस भ्रम की जड़ में बैठे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी आड़े हाथों ले लिया।

अपने पालतू सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ' पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने कहा, "मैक्रों ने जो कहा, वो बिल्कुल गलत है। उसे नहीं पता कि मैं वॉशिंगटन क्यों जा रहा हूं।"


मैक्रों पर फूटा गुस्सा, कहा, "हमेशा गलत बोलते हैं"

गौर करने वाली बात ये है कि ट्रंप सिर्फ मैक्रों की बात को अफवाह बता कर नहीं रुके, बल्कि उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि "मैक्रों या तो जानबूझकर या फिर अपनी अज्ञानता के कारण हमेशा गलत ही बोलते हैं।"

इतना कहने के बाद ट्रंप ने जोड़ा कि उनकी वॉशिंगटन वापसी का कारण कहीं ज़्यादा बड़ा और गंभीर है, जिसका युद्धविराम से कोई लेना-देना नहीं है।


G-7 को भी बताया 'बेअसर', रूस को निकालने पर जताया अफसोस

इसके अलावा, बात सिर्फ मैक्रों तक नहीं रुकी। ट्रंप ने पूरे G-7 ग्रुप की उपयोगिता पर भी सवाल उठा दिए।

उन्होंने कहा कि रूस को इस समूह से 2014 में बाहर करना एक बहुत बड़ी गलती थी, जिसने वैश्विक स्थिरता को झटका दिया।

यही नहीं, ट्रंप ने ये भी सुझाया कि अब वक्त आ गया है कि चीन को इस समूह में शामिल किया जाए। यानी ट्रंप G-7 की पूरी मौजूदा बनावट को ही खारिज करते दिख रहे हैं।


तो फिर ट्रंप आखिर क्यों लौटे?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर ईरान-इजरायल संघर्ष इस वापसी की वजह नहीं है, तो फिर है क्या? ट्रंप ने भले ही पत्ते नहीं खोले, मगर उनका यह कहना कि "कुछ बहुत बड़ा होने वाला है", खुद में एक बड़ा हिंट दे रहा है।

अमेरिकी सियासत में हलचल तेज है, अटकलें लगाई जा रही हैं कि ट्रंप किसी घरेलू रणनीति या चुनावी तैयारियों से जुड़ी बड़ी घोषणा की तैयारी में हैं।


दूसरी ओर, अमेरिका के अंदरूनी हालात भी तेज़ करवट ले रहे हैं

ट्रंप का यह कदम ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नज़दीक हैं और डेमोक्रेट्स के खिलाफ उनकी बयानबाज़ी लगातार तीखी होती जा रही है।

ऐसे में यह अनुमान भी लगाया जा रहा है कि ट्रंप शायद किसी नए राजनीतिक पैंतरे की बुनियाद डालने के लिए समय से पहले मैदान में उतरने की रणनीति बना रहे हों।


G-7 की चमक फीकी या ट्रंप की चाल तेज़?

सवाल सिर्फ ट्रंप की वापसी का नहीं, बल्कि G-7 जैसे वैश्विक समूह की प्रासंगिकता पर भी है।

ट्रंप ने जो बातें कहीं, वो संकेत देती हैं कि कहीं न कहीं ये समूह अब पुराने ढर्रे पर चल रहा है और उसमें आज की सियासी-सामरिक ज़रूरतों का दमघोंटू अभाव है।

जब ट्रंप जैसे नेता मंच छोड़ दें और दुनिया को बता दें कि "ये सब बेमतलब है", तो संदेश गहरा होता है।

बहरहाल, ट्रंप की वापसी के पीछे जो भी कारण हो, एक बात साफ है, कुछ बड़ा पक रहा है। और दुनिया इसकी महक महसूस कर रही है।

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