ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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अयोध्या में जमीन के दाम: मंदिर से पहले और अब
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ने न सिर्फ
धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल बदला, बल्कि यहां की रियल एस्टेट मार्केट की
तस्वीर भी पूरी तरह बदल दी। पहले जहां जमीन की कीमतें तुलनात्मक रूप से स्थिर और
सामान्य थीं, अब कई इलाकों में रेट कई गुना बढ़ चुके हैं।
राम मंदिर से पहले जमीन कितनी सस्ती थी?
राम मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले अयोध्या
के प्रमुख इलाकों में सर्किल रेट अपेक्षाकृत कम थे। रिपोर्ट के मुताबिक, कई
हिस्सों में सरकारी हिसाब से जमीन की कीमत लगभग 6,650 रुपये से 6,975
रुपये प्रति वर्ग मीटर के बीच थी।
राम मंदिर बनने के बाद कितने गुना बढ़े रेट?
राम मंदिर के निर्माण और उद्घाटन के बाद से
जमीन के दामों में भारी उछाल देखा गया। मंदिर के आसपास के कई इलाकों में सर्किल
रेट में लगभग 200 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई, यानी
पहले जो रेट 6,650–6,975 रुपये प्रति वर्ग मीटर था, वह
अब बढ़कर लगभग 26,600–27,900 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक पहुंच गया।
कुछ गांवों, जैसे तिहुरा
मांझा आदि में कृषि भूमि का सर्किल रेट पहले जहां करीब 11 लाख रुपये
प्रति हेक्टेयर था, वह बढ़कर 33 लाख से लेकर 69
लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गया है। प्रीमियम लोकेशन पर अब जमीन की मार्केट
कीमत लगभग 2,700 से 3,200 रुपये प्रति
वर्ग फुट तक बताई जा रही है, जो पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा
है।
जमीन के दाम इतनी तेजी से क्यों बढ़े?
अयोध्या में जमीन की कीमतें तेजी से बढ़ने की
कई मुख्य वजहें हैं।
सबसे बड़ी वजह धार्मिक पर्यटन है; राम
मंदिर बनने के बाद हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना ने
होटल, गेस्ट हाउस, लॉज और कमर्शियल प्रॉपर्टी की डिमांड
बढ़ा दी।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सड़कें,
एयरपोर्ट,
रेलवे
स्टेशन, बस टर्मिनल, रिवर फ्रंट और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर
प्रोजेक्ट्स पर तेज काम शुरू हुआ, जिससे इलाके का डेवलपमेंट प्रोफाइल बदल
गया।
निवेशक यह मानकर जमीन खरीद रहे हैं कि आने वाले
वर्षों में धार्मिक टूरिज्म और शहरी विकास दोनों मिलकर प्रॉपर्टी वैल्यू को और ऊपर
ले जाएंगे।
स्थानीय लोगों और निवेशकों पर क्या असर?
जमीन के दाम बढ़ने का सबसे सीधा फायदा उन
स्थानीय लोगों को हुआ, जिनके पास पहले से जमीन थी। कई लोगों ने मंदिर
प्रोजेक्ट और बढ़ती डिमांड के बीच अपनी जमीन बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया और जीवनस्तर
सुधारा।
दूसरी तरफ, आम मध्यमवर्गीय
या निम्न आय वर्ग के लिए अयोध्या में नई जमीन खरीदना मुश्किल होता जा रहा है,
क्योंकि
रेट उनकी पहुंच से बाहर जा रहे हैं। छोटे निवेशक भी कन्फ्यूज हैं कि अभी खरीदें या
और उछाल का इंतज़ार करें, क्योंकि तेजी से बढ़ती कीमतों में
रिस्क भी बढ़ता है।
सर्किल रेट बनाम मार्केट प्राइस का अंतर
सरकार द्वारा तय सर्किल रेट और असली बाजार भाव
के बीच अंतर भी काफी बढ़ गया है। कई मामलों में मार्केट प्राइस, सर्किल
रेट से काफी ऊपर चल रहा है, क्योंकि खरीदार धार्मिक और व्यावसायिक
दोनों संभावनाओं को ध्यान में रखकर प्रीमियम देने को तैयार हैं।
यह अंतर स्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन और
टैक्सेशन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि सरकार
समय-समय पर सर्किल रेट बढ़ाकर ground reality के करीब लाने की
कोशिश करती है।
आगे क्या जमीन और महंगी होगी?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि धार्मिक पर्यटन,
होटल
इंडस्ट्री, रोड-कनेक्टिविटी और शहर का मास्टर प्लान इसी
रफ्तार से आगे बढ़ता रहा, तो आने वाले सालों में भी जमीन के दाम
ऊपर की ओर ही रह सकते हैं। हालांकि, हर तेज़ ग्रोथ वाले बाजार की तरह यहां
भी एक समय के बाद कीमतें कुछ हद तक स्थिर हो सकती हैं।
फिलहाल, अयोध्या को एक
उभरता हुआ धार्मिक–टूरिज्म और रियल एस्टेट हब माना जा रहा है, जहां
राम मंदिर ने जमीन के दामों की दिशा और रफ्तार दोनों बदल दी हैं।
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