ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर की आर्किटेक्चर जितनी चर्चा में है, उतनी ही चर्चा उसके इस्तेमाल किए गए मटेरियल की भी हो रही है। खासकर मंदिर के बड़े‑बड़े दरवाजों को लेकर लोगों के मन में सवाल है कि इन्हें किस लकड़ी से बनाया गया है और उसकी खासियत क्या है।
1. किस लकड़ी से बने हैं दरवाजे?
रिपोर्ट्स के मुताबिक राम
मंदिर के कुल 46 दरवाजे महाराष्ट्र से लाई
गई प्रीमियम सागौन (टीक) की लकड़ी से तैयार किए गए हैं। इन दरवाजों में से कई पर सोने
की परत चढ़ाई गई है और उन पर खूबसूरत नक्काशी की गई है, जिससे मंदिर की भव्यता और बढ़ जाती है। दीवारों और अन्य हिस्सों में मकराना
मार्बल का इस्तेमाल किया गया है, जो राजस्थान की मशहूर सफेद
पत्थर की खान से आता है।
2. सागौन की खासियत और मजबूती
सागौन की लकड़ी अपनी मजबूती,
टिकाऊपन और फिनिश के लिए जानी जाती है, इसलिए इसे प्रीमियम कंस्ट्रक्शन और फर्नीचर में काफी
समय से इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि सही कंडीशंस में रखी गई
सागौन की लकड़ी से बने दरवाजे लगभग 1000 साल तक
टिक सकते हैं, क्योंकि इस पर मौसम, नमी और दीमक का असर बहुत कम होता है।
3. कीमत कितनी होती है?
रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र
की इस प्रीमियम सागौन की अनुमानित कीमत लगभग 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये प्रति घन मीटर
के बीच हो सकती है, जो क्वालिटी, ग्रेड और मार्केट कंडीशन पर निर्भर करती है। इतनी ऊंची
कीमत के बावजूद राम मंदिर के लिए सिर्फ लगभग 20 प्रतिशत चयनित लकड़ी ही उपयोग में लाई गई, यानी जो लकड़ी क्वालिटी टेस्ट में फेल हुई, उसे दरवाजों के लिए नहीं लिया गया।
4. रिसर्च के बाद चुनी गई लकड़ी
देहरादून स्थित फॉरेस्ट
रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI) ने राम मंदिर के लिए इस्तेमाल
होने वाली लकड़ी पर वैज्ञानिक अध्ययन कर सिफारिश दी थी। इसके बाद महाराष्ट्र की टीक
वुड को मजबूती, लाइफ और वेदर रेजिस्टेंस
के आधार पर सबसे उपयुक्त माना गया और मंदिर के दरवाजों के लिए इसे फाइनल किया गया।
इस तरह मंदिर निर्माण सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग और रिसर्च का भी उदाहरण बन गया।
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