बरसात हो और उसमें गरमागरम चाय की चुस्कियां ना हों, साथ में तले हुए कुरकुरे पकोड़े ना हों, तो जैसे मौसम अधूरा लगता है।गौर करने वाली बात ये है कि यही जोड़ी, जो आपको बारिश में सुकून देती है, आपकी सेहत को धीरे-धीरे खोखला भी कर रही है।चाय-पकोड़े के ये मज़े, मानसून में सेहत के दुश्मन कैसे बन जाते हैं, ये जानकर आप अगली बार शायद सोचकर ही पकोड़े तलवाएंगे।पेट सबसे पहले कहता है, ‘अब बस करो यार!’दरअसल, मानसून के मौसम में हमारी डाइजेस्टिव सिस्टम पहले से ही थोड़ी ढीली पड़ जाती है। हवा में नमी ज्यादा होने से शरीर की पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है।ऐसे में जब हम पकोड़े जैसे डीप फ्राइड, मसालेदार और गरिष्ठ चीजें खाते हैं तो पेट पर दोहरी मार पड़ती है।कई बार पकोड़े खाने के कुछ घंटों बाद ही गैस, एसिडिटी, पेट में मरोड़ या अपच जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। और फिर आप कहते हैं, ‘पता नहीं क्या खा लिया आज...’कैफीन और शुगर, मीठा धोखा और कड़वा असरअब बात करते हैं चाय की, जो हर घर की बरसाती जान है। लेकिन वही चाय अगर हद से ज़्यादा पी जाए तो कैफीन शरीर को डिहाइड्रेट करता है।ऊपर से ज्यादातर लोग खाली पेट चाय पीते हैं, जिससे पेट की परतों पर एसिड का असर बढ़ता है, और जैसे ही पकोड़ों की प्लेट साथ में आती है, ये खतरनाक कॉम्बिनेशन पेट को ‘आग’ की तरह झुलसा सकता है।बार-बार उसी तेल में तलते हो? तो सुन लो सच्चाईअक्सर घरों में वही तेल बार-बार इस्तेमाल किया जाता है, कल जो समोसे तले थे, आज उसी में पकोड़े भी निकल गए।मगर यही पुराना तेल जब बार-बार गर्म होता है, तो उसमें ट्रांस फैट बनता है, जो शरीर में जाकर कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, दिल की नाड़ियों को जाम करता है और दिल के दौरे तक की नौबत ला सकता है।और हां, दुकानों में जो पकोड़े मिलते हैं, उनका हाल तो पूछिए मत, पता नहीं कितने दिन से वही तेल गर्म हो रहा होता है।खुले में तले स्नैक्स, बीमारियों का फुल पैकेजमानसून का मतलब है हवा में नमी और बैक्टीरिया का जमघट। ऐसे में खुले में रखे पकोड़े, कचौड़ी, समोसे, सब बैक्टीरिया और फंगस के अड्डे बन जाते हैं।बाहर से देखने में तो ये सुनहरे और कुरकुरे लगते हैं, मगर अंदर बीमारियां छुपी होती हैं, फूड पॉइजनिंग, डायरिया, उल्टी-दस्त जैसी तकलीफें एक बार में झेलनी पड़ती हैं।वजन और सुस्ती, छुपी हुई चाय-पकोड़े की मारमानसून में वैसे भी मूड स्लो रहता है, और ऐसे में जब तली चीजों का ज्यादा सेवन होता है तो शरीर और ज्यादा सुस्त हो जाता है। डीप फ्राई चीजें शरीर में फैट जमा करती हैं, वजन बढ़ाती हैं और आपकी ऊर्जा धीरे-धीरे खत्म होती जाती है।चाय में डाली जाने वाली अतिरिक्त चीनी भी इस खेल में पीछे नहीं रहती, एक-एक कप से कैलोरी का खेल चल रहा होता है।तो अब क्या करें, जिससे स्वाद भी रहे और सेहत भी?सीधी सी बात है, मानसून में पेट से खिलवाड़ ना करें। इसका मतलब ये नहीं कि चाय-पकोड़े हमेशा के लिए अलविदा कह दो, लेकिन हर दिन इन्हें खाना मतलब मुसीबत को न्योता देना। आप चाहें तो कुछ हेल्दी ऑप्शंस आजमा सकते हैं:चाय की जगह हर्बल या ग्रीन टी का सेवन करें, जो न सिर्फ एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है बल्कि पेट को भी सुकून देती है।डीप फ्राई की जगह एयर फ्राय या ग्रिल्ड स्नैक्स खाएं, स्वाद में फर्क कम, सेहत में फर्क ज्यादा।मूंग दाल, भुना चना, मखाने, भुनी हुई मूंगफली या मौसमी फल जैसे विकल्प भी शानदार हैं, चटपटे भी, हेल्दी भी।मानसून में स्वाद के नाम पर बीमारी ना परोसें खुद कोमानसून का मज़ा उठाइए, मगर सेहत को दांव पर लगाकर नहीं। बरसात के ये दिन वैसे भी शरीर को कमजोर बनाते हैं, ऐसे में जरूरी है कि आप हल्का, पौष्टिक और साफ-सुथरा खाएं। क्योंकि चाय-पकोड़े के जो मज़े हैं, वो तभी अच्छे लगते हैं जब सेहत साथ दे रही हो।आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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