ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
हर
साल
लाखों
भारतीयों
का
सपना
होता
है
कि
वे
अमेरिका
जाकर
बड़ी
टेक
कंपनियों
में
काम
करें, अच्छी सैलरी कमाएं और अपने करियर को ऊंचाई तक ले जाएं। खासकर इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, डेटा साइंटिस्ट और मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका एक बड़ा हब माना जाता है। लेकिन सिर्फ अच्छी डिग्री या एक्सपीरियंस के भरोसे वहां नौकरी पाना आसान नहीं है। अमेरिका में काम करने के लिए H-1B वीजा
लेना
जरूरी
होता
है।
H-1B
वीजा क्या है?
H-1B वीजा
खास
तौर
पर
हाई
स्किल्ड
वर्कर्स
के
लिए
बनाया
गया
है।
यह
वीजा IT, इंजीनियरिंग,
हेल्थकेयर
और
साइंस
जैसे
क्षेत्रों
में
काम
करने
वालों
को
अमेरिका
में
अस्थायी
तौर
पर
नौकरी
करने
की
अनुमति
देता
है।
यह
वीजा
अमेरिकी
कंपनियों
को
विदेश
से
टैलेंटेड
प्रोफेशनल्स
को
काम
पर
रखने
में
मदद
करता
है। H-1B वीजा
की
वैधता
आम
तौर
पर 3 साल
की
होती
है
और
इसे
आगे 3 साल
तक
बढ़ाया
जा
सकता
है।
H-1B
वीजा में हालिया बदलाव
हाल
ही
में H-1B वीजा
को
लेकर
अमेरिका
में
बड़ा
बदलाव
किया
गया
है।
पूर्व
राष्ट्रपति
डोनाल्ड
ट्रंप
के
आदेशों
के
बाद
इस
वीजा
की
फीस
में
जबरदस्त
बढ़ोतरी
हुई।
जहां
पहले H-1B वीजा
के
लिए
लगभग 5 लाख
रुपए
तक
खर्च
आते
थे, वहीं अब नई फीस 88 लाख
रुपए
कर
दी
गई
है।
यानी
अब H-1B वीजा
लेना
पहले
की
तुलना
में
लगभग 50 गुना
महंगा
हो
गया
है।
यह
नई
फीस 21 सितंबर
से
लागू
हो
गई
है।
H-1B वीजा
पाने
की
प्रक्रिया
काफी
प्रतिस्पर्धी
है।
हर
साल 85,000 वीजा
जारी
किए
जाते
हैं, जिनमें 65,000 सामान्य
कैटेगरी
के
लिए
होते
हैं
और 20,000 अमेरिका
से
मास्टर्स
या
उच्च
डिग्री
वाले
लोगों
के
लिए
रिज़र्व
होते
हैं।
वीजा
पाने
के
लिए
किसी
अमेरिकी
कंपनी
का
स्पॉन्सर
होना
जरूरी
है, यानी आपकी तरफ से कोई कंपनी आवेदन करेगी। इसके अलावा आवेदक के पास विशेष टेक्निकल या प्रोफेशनल स्किल होना जरूरी है। आवेदन आने के बाद कंप्यूटर सिस्टम द्वारा रैंडम चयन किया जाता है, और चयनित उम्मीदवारों को इंटरव्यू और वीजा प्रोसेसिंग से गुजरना पड़ता है।
भारतीयों के लिए H-1B वीजा की अहमियत
भारतीयों
के
लिए H-1B वीजा
विशेष
रूप
से
आकर्षक
है।
हर
साल
इस
वीजा
पाने
वालों
में 70 प्रतिशत
से
ज्यादा
भारतीय
होते
हैं।
साल 2023 में 1.91 लाख
भारतीयों
ने
यह
वीजा
प्राप्त
किया
और 2024 में
यह
संख्या
बढ़कर 2.07 लाख
हो
गई।
इसका
मुख्य
कारण
अमेरिका
में
सॉफ्टवेयर
इंजीनियर
और
अन्य
टेक
वर्कर्स
की
सैलरी
भारत
की
तुलना
में
कई
गुना
ज्यादा
होना
है।
इसके
अलावा
वहां
बेहतर
सुविधाएं, लाइफस्टाइल
और
इंटरनेशनल
एक्सपीरियंस
मिलता
है, जो करियर को आगे बढ़ाने में मदद करता है।
H-1B वीजा पाने वाले लोग बाद में स्थायी नागरिकता के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। यही वजह है कि भारतीय प्रोफेशनल्स के बीच यह वीजा सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा विकल्प माना जाता है। बढ़ती फीस के बावजूद, H-1B वीजा अमेरिका में करियर बनाने के लिए भारतीयों की महत्वाकांक्षाओं का सबसे बड़ा माध्यम बना हुआ है।
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