ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
हवाई जहाज में सफर करते समय यात्रियों को सबसे अधिक भरोसा पायलट पर होता है। हजारों फीट की ऊंचाई पर उड़ते बड़े विमान को नियंत्रित करना आसान काम नहीं है। ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक है कि जब उड़ान 8, 12 या 15 घंटे तक चलती है, तो पायलट लगातार कैसे जागे रहते होंगे? दरअसल, पायलट उड़ान के दौरान सोते हैं, और यह पूरी तरह वैध व नियमों के अनुसार होता है।
पायलट कहाँ सोते हैं?
अधिकतर लोग मानते हैं कि पायलट पूरी उड़ान में कॉकपिट में बैठकर ही कंट्रोल संभालते रहते हैं। लेकिन लंबी दूरी की उड़ानों में ऐसा नहीं होता। लंबी उड़ानों के लिए खास तरह के क्रू रेस्ट कम्पार्टमेंट बनाए जाते हैं। ये कमरे यात्रियों की नजरों से छिपे होते हैं और सिर्फ पायलट व केबिन क्रू को ही इनके बारे में जानकारी होती है।
इन कमरों में छोटे-छोटे बंक बेड, हल्की रोशनी और शोर कम करने के लिए विशेष व्यवस्था होती है। इस शांत वातावरण में पायलट गहरी नींद लेकर ताजगी महसूस करते हैं और फिर वापस कॉकपिट में जाकर सुरक्षित तरीके से कंट्रोल संभालते हैं।
बंक बेड कहाँ बनाए जाते हैं?
कुछ बड़े विमानों जैसे बोइंग 777, बोइंग 787 और एयरबस A350 में पायलटों के लिए अलग से बंक बेड मॉड्यूल बनाए जाते हैं। यह स्थान आमतौर पर कॉकपिट के पीछे या विमान के ऊपरी हिस्से में होता है। यहां एक या दो पायलट एक साथ आराम कर सकते हैं।
जहां बंक मॉड्यूल मौजूद नहीं होते, वहां एयरलाइंस बिजनेस या फर्स्ट क्लास में 1–2 सीटें पायलटों के लिए रिज़र्व कर देती हैं, ताकि वे उड़ान के बीच में कुछ समय आराम कर सकें।
पायलट कब और कैसे सोते हैं?
लंबी दूरी की उड़ानों में आमतौर पर 2 या 3 पायलट तैनात होते हैं। एक या दो पायलट कॉकपिट में रहकर विमान नियंत्रित करते हैं, जबकि तीसरा पायलट निर्धारित समय के लिए रेस्ट कम्पार्टमेंट में आराम करने जाता है। इस तरह सभी पायलट बारी-बारी से आराम करते हुए उड़ान को सुरक्षित तरीके से पूरा करते हैं।
छोटी उड़ानों में पायलटों को कैसी सुविधा मिलती है?
छोटी दूरी की उड़ानों में अलग से आराम करने की जगह नहीं होती, लेकिन पायलटों को कंट्रोल्ड रेस्ट लेने की अनुमति होती है। यह 10 से 40 मिनट तक की छोटी झपकी होती है, जो कॉकपिट के अंदर ही ली जाती है।
इसके नियम बहुत सख्त होते हैं:
◘ एक समय में केवल एक ही पायलट आराम कर सकता है।
◘ रेस्ट शुरू करने से पहले दोनों पायलट आपसी सहमति बनाते हैं।
◘ रेस्ट के बाद पायलट को तुरंत कंट्रोल नहीं दिया जाता।
◘ कंट्रोल्ड रेस्ट के दौरान पायलट कॉकपिट छोड़ नहीं सकता।
यह झपकी थकान को कम करती है और पायलट की प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाती है।
क्या उड़ान के दौरान पायलट का सोना खतरेनाक है?
कई यात्रियों को यह सुनकर चिंता हो सकती है कि पायलट उड़ान के दौरान सोते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यह प्रक्रिया उड़ान सुरक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अच्छी तरह आराम किए हुए पायलट हमेशा बेहतर निर्णय लेते हैं और विमान को सुरक्षित तरीके से लैंड कराने में सक्षम होते हैं।
Comments (0)
No comments yet. Be the first to comment!