ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
आज
19 नवंबर
को
पूरी
दुनिया
में
इंटरनेशनल
मेंस
डे
मनाया
जा
रहा
है।
हर
साल
यह
दिन
आते
ही
एक
सवाल
जरूर
सामने
आता
है—आखिर पुरुषों के लिए एक अलग दिन की जरूरत क्यों है? क्या वाकई पुरुषों को भी किसी अधिकार या एक खास मंच की आवश्यकता है?
असल में, मेंस डे की शुरुआत पुरुषों के अधिकारों की लड़ाई के लिए नहीं, बल्कि उन सामाजिक और मानसिक चुनौतियों को उजागर करने के लिए की गई थी, जिन पर अक्सर खुलकर बात नहीं होती।
मेंस डे की शुरुआत कैसे हुई?
इंटरनेशनल मेंस डे का विचार सबसे पहले 1990 के दशक में आया, लेकिन इसे आधिकारिक रूप से 1999 में शुरू किया गया। त्रिनिदाद और टोबैगो के प्रोफेसर डॉ. जेरोम तिलकसिंह ने 19 नवंबर को इस दिन को समर्पित करने की घोषणा की। उन्होंने इस तारीख को इसलिए चुना क्योंकि यह उनके पिता का जन्मदिन था, और वे अपने पिता को अपना सबसे बड़ा रोल मॉडल मानते थे।
उनका उद्देश्य था—पुरुषों के सकारात्मक योगदान को पहचान देना और पुरुषों से जुड़े वास्तविक और महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक चर्चा करना।
माल्टा उन अलग देशों में से है, जहां इंटरनेशनल मेंस डे सबसे लंबे समय तक मनाया जाता रहा है। यहां इसे साल 1994 से 7 फरवरी को मनाया जाता था। हालांकि, बाद में 2009 में तारीख बदलकर इसे दुनिया के साथ 19 नवंबर कर दिया गया।
क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल मेंस डे?
इंटरनेशनल मेंस डे को मनाने का वास्तविक उद्देश्य पुरुषों की मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक चुनौतियों को समझना और उन पर बातचीत शुरू करना है। समाज में अक्सर यह माना जाता है कि पुरुष हमेशा मजबूत रहते हैं या उन्हें भावनाएं व्यक्त नहीं करनी चाहिए। लेकिन सच्चाई यह है कि पुरुष भी तनाव, अवसाद, मानसिक दबाव और रिश्तों से जुड़ी चुनौतियों का सामना करते हैं।
इंटरनेशनल मेंस डे इन मुद्दों पर ध्यान लाने का काम करता है—
• मानसिक स्वास्थ्य
• आत्महत्या के बढ़ते मामलों
• परिवार और समाज में पुरुषों की भूमिका
•
हेल्थ
से
जुड़े
जोखिम
• सामाजिक दबाव और अपेक्षाएं
यह दिन पुरुषों और लड़कों की जिंदगी को बेहतर बनाने के प्रयासों को बढ़ावा देता है और समाज को यह संदेश देता है कि उनका स्वास्थ्य और खुशहाली भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
इंटरनेशनल
मेंस
डे
का
मुख्य
उद्देश्य
इस खास दिन को मनाने के छह प्रमुख उद्देश्य तय किए गए हैं:
1. सकारात्मक पुरुष रोल मॉडल को बढ़ावा देना
महान कार्यों, योगदान और प्रेरणादायक कहानियों वाले पुरुषों को सम्मान देना।
2. समाज में पुरुषों के योगदान की पहचान
परिवार, कार्यस्थल, समाज और राष्ट्र निर्माण में पुरुषों की भूमिका को स्वीकार करना।
3. पुरुषों के स्वास्थ्य और कल्याण पर ध्यान
फिजिकल, मानसिक और इमोशनल हेल्थ पर बातचीत और जागरूकता बढ़ाना।
4. पुरुषों के खिलाफ होने वाले भेदभाव को उजागर करना
कई बार पुरुष भी सामाजिक या कानूनी भेदभाव का सामना करते हैं—इस पर चर्चा जरूरी है।
5. लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना
जेंडर इक्वैलिटी सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं होनी चाहिए। पुरुषों की समस्याओं को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
6. एक सुरक्षित और मजबूत समाज बनाना
पुरुषों और लड़कों की मदद करके एक संतुलित, सुरक्षित और खुशहाल समाज की दिशा में आगे बढ़ना।
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