ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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अपराध रहित देश की कहानी
नीदरलैंड्स को दुनिया का सबसे अनोखा देश कहा जा रहा है। यहां अपराध
इतना कम हो गया है कि जेलें लगभग खाली पड़ी हैं। आबादी के हिसाब से कैदियों की
संख्या बेहद कम है। यह बदलाव 40 सालों की मेहनत का नतीजा है। पूरा यूरोप इस मॉडल
को देख रहा है।
40 सालों में कमाल का सफर
1970-80 के दशक में नीदरलैंड्स में अपराध चरम पर था। जेलें भरी हुई थीं,
सख्त सजाएं चल रही
थीं। लेकिन सरकार ने रणनीति बदली। शिक्षा, नौकरी और सोशल प्रोग्राम्स पर जोर दिया। आज चोरी,
डकैती, हिंसा के केस न के
बराबर हैं। समाज में विश्वास बढ़ा।
जेलों का नया इस्तेमाल सोच से परे
अब जेलें खाली हैं तो सरकार ने उनका नया यूज ढूंढा। कुछ जेलों को
होस्टल बना दिया, कुछ ऑफिस में तब्दील कर दिया। पर्यटक घूमने आते हैं। एक जेल तो आर्ट
गैलरी बन गई। यह दिखाता है कि सुधार कितना गहरा है।
सफलता के राज क्या हैं
नीदरलैंड्स की सफलता के कई राज हैं। पहला, ड्रग्स पर नरम नीति - यूजर्स को इलाज
मिलता है सजा नहीं। दूसरा, अच्छी सोशल सिक्योरिटी - बेरोजगारी कम। तीसरा,
कम्युनिटी पोलिसिंग
- लोग खुद अपराध रोकते हैं। चौथा, मेंटल हेल्थ प्रोग्राम्स। ये सब मिलकर चमत्कार कर
गए।
दुनिया के लिए मिसाल बनी नीदरलैंड्स
अन्य देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन जेलों से परेशान हैं। नीदरलैंड्स का मॉडल
अपनाने की बात हो रही है। यहां सजा से ज्यादा सुधार पर फोकस है। अपराधी को समाज
में वापस लाना लक्ष्य है। भारत जैसे देशों के लिए भी सोचने का विषय है।
भारत क्या सीख सकता है
हमारे देश में जेलें ओवरलोडेड हैं। नीदरलैंड्स से सीखकर शिक्षा,
जॉब ट्रेनिंग और
कम्युनिटी वर्क बढ़ा सकते हैं। सजा के साथ सुधार जरूरी। छोटे स्तर पर पायलट
प्रोजेक्ट शुरू हो सकते हैं। अपराध रोकना ही असली जीत है।
भविष्य की चुनौतियां बाकी
हालांकि सफलता मिली लेकिन नए खतरे जैसे साइबर क्राइम आ रहे हैं। नीदरलैंड्स इनके लिए तैयार हो रहा है। समाज का लगातार सुधार जरूरी रहेगा। यह देश साबित करता है कि इंसानियत से अपराध जीता जा सकता है।
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