ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
पिछले
कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में प्लांट-बेस्ड डाइट का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। लोग
अब अपने खानपान को लेकर पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हो गए हैं। ऐसे में अक्सर दो शब्द
सुनने को मिलते हैं – वीगन (Vegan) और वेजिटेरियन (Vegetarian)। बहुत से लोग इन दोनों
को एक जैसा समझ लेते हैं, जबकि दोनों के बीच एक अहम अंतर है।
असल
में सभी वीगन शाकाहारी होते हैं, लेकिन सभी शाकाहारी वीगन नहीं होते। यानी दोनों ही
मांस और मछली नहीं खाते, लेकिन वीगन लोग उससे एक कदम आगे जाकर हर तरह के पशु उत्पादों
को भी छोड़ देते हैं।
शाकाहारी क्या खाते हैं
शाकाहारी
लोग किसी भी प्रकार का मांस, मछली या अंडा नहीं खाते। उनका आहार पूरी तरह से पौधों
पर आधारित होता है। वे फल, सब्जियां, दालें, अनाज, मेवे और बीज खाते हैं। इसके साथ
ही वे दूध, दही, पनीर, घी और मक्खन जैसी डेयरी चीज़ों का सेवन करते हैं।
शाकाहारी
लोग मानते हैं कि डेयरी उत्पादों का सेवन पशु हत्या से जुड़ा नहीं है, इसलिए इसे नैतिक
रूप से स्वीकार किया जा सकता है। इस वजह से उनके आहार में प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन
बी12 जैसे ज़रूरी पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा बनी रहती है।
वीगन क्या होते हैं
वीगन
केवल एक आहार पद्धति नहीं बल्कि एक जीवनशैली मानी जाती है। वीगन लोग मांस, मछली, अंडे
के अलावा किसी भी प्रकार के पशु उत्पादों का सेवन नहीं करते। वे दूध, दही, पनीर, मक्खन,
घी और यहां तक कि शहद तक नहीं खाते।
इसके
साथ ही वे जानवरों से बने उत्पादों — जैसे चमड़ा, ऊन, रेशम या जानवरों पर परीक्षण किए
गए सौंदर्य प्रसाधन — से भी परहेज करते हैं। वीगन लोग दूध की जगह बादाम दूध, सोया मिल्क
या ओट मिल्क का उपयोग करते हैं, और शहद की जगह मेपल सिरप या अन्य प्राकृतिक मिठास को
पसंद करते हैं।
उनके
लिए यह केवल स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि एक नैतिक और पर्यावरणीय निर्णय होता है। वीगनिज़्म
का मुख्य उद्देश्य जानवरों को किसी भी रूप में नुकसान पहुँचाने से बचना और पर्यावरण
की रक्षा करना है।
दोनों में क्या अंतर है
वेजिटेरियन
और वीगन दोनों ही प्लांट-बेस्ड डाइट लेते हैं, लेकिन उनके बीच अंतर पशु उत्पादों के
इस्तेमाल की सीमा में है। वेजिटेरियन लोग दूध, दही और मक्खन जैसी चीजें खाते हैं, जबकि
वीगन पूरी तरह से पशु-आधारित चीज़ों का त्याग कर देते हैं।
वेजिटेरियन
आहार केवल खाने तक सीमित रहता है, जबकि वीगनिज़्म को लोग अपनी जीवनशैली में भी अपनाते
हैं। उदाहरण के लिए, वीगन लोग चमड़े के जूते या ऊनी कपड़े तक नहीं पहनते।
कौन-सा आहार ज्यादा पौष्टिक है
अगर
दोनों आहार को सही तरीके से प्लान किया जाए तो दोनों ही स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद
हो सकते हैं। हालांकि वीगन डाइट लेने वालों को कुछ पोषक तत्वों की कमी का खतरा रहता
है — जैसे विटामिन बी12, आयरन, कैल्शियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड — क्योंकि ये ज़्यादातर
पशु-आधारित खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं।
वीगन
लोग इसकी भरपाई फोर्टिफाइड फूड्स या सप्लीमेंट्स से करते हैं। दूसरी ओर, वेजिटेरियन
लोग डेयरी उत्पादों के सेवन से इन पोषक तत्वों की पूर्ति आसानी से कर लेते हैं।
भारत और दुनिया में बदलता रुझान
भारत
में शाकाहार का एक लंबा और गहरा इतिहास है। यहाँ यह परंपरा धर्म, अहिंसा और पवित्रता
से जुड़ी रही है। लेकिन अब वीगनिज़्म एक वैश्विक आंदोलन के रूप में उभर रहा है। पशु
अधिकारों, पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी चिंताओं ने इसे पश्चिमी देशों
में काफी लोकप्रिय बना दिया है। अब भारत में भी युवा पीढ़ी तेजी से वीगन डाइट की ओर
आकर्षित हो रही है।
बहरहाल
वीगन और वेजिटेरियन दोनों ही जीवनशैली सेहत, पर्यावरण और नैतिकता के लिहाज से बेहतरीन
मानी जाती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि शाकाहारी लोग डेयरी उत्पादों को शामिल करते हैं,
जबकि वीगन पूरी तरह से पशु उत्पादों से दूरी बनाए रखते हैं।
अंततः
कौन-सा आहार अपनाना है, यह हर व्यक्ति के विचार, स्वास्थ्य की जरूरत और जीवनशैली पर
निर्भर करता है। लेकिन एक बात तय है — दोनों ही तरीके आपको एक संतुलित, करुणामय और
पर्यावरण-मित्र जीवन की दिशा में आगे बढ़ाते हैं।
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