ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
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लखनऊ में बुधवार रात मंत्री ओपी राजभर के खिलाफ एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) कार्यकर्ताओं का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा। कार्यकर्ताओं ने मंत्री के आवास का घेराव किया, जमकर नारेबाजी की और उनका पुतला फूंका। माहौल इतना गर्म हो गया कि पुलिस को मौके पर पहुंचना पड़ा। लेकिन पुलिस और छात्रों के बीच जमकर धक्का-मुक्की और नोकझोंक हुई।
क्यों भड़के छात्र?
दरअसल, कुछ दिन पहले बाराबंकी स्थित रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई कार्यकर्ता घायल हो गए। इसी घटना पर जब मंत्री ओपी राजभर से सवाल किया गया, तो उन्होंने एबीवीपी कार्यकर्ताओं को "गुंडा" कह दिया। बस यही बयान छात्रों के गले नहीं उतरा और उन्होंने राजभर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
बुधवार रात करीब 9 बजे बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मंत्री के लखनऊ स्थित आवास पर पहुंचे। वहां उन्होंने नारे लगाए और राजभर को बाहर निकलने की चुनौती दी। गुस्साए कार्यकर्ताओं ने गेट पर चढ़ने की कोशिश की और आवास के अंदर ईंट-पत्थर और जूते-चप्पल तक फेंके। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने हालात संभालने की कोशिश की, लेकिन कार्यकर्ता बार-बार पुलिस से छूटकर आगे बढ़ते रहे।
एबीवीपी का पलटवार
एबीवीपी नेताओं ने साफ कहा कि संगठन अनुशासित और छात्रहितैषी है। ऐसे संगठन को "गुंडा" कहना अपमानजनक है। एक कार्यकर्ता ने कहा, “ओम प्रकाश राजभर खुद गुंडागर्दी की राजनीति से ऊपर आए हैं। अब वह हमें गुंडा कह रहे हैं। जब तक उनका इस्तीफा नहीं होता, हमारा विरोध जारी रहेगा।”
डिप्टी सीएम का हस्तक्षेप
आपको बता दें घटना के बाद राज्य के दोनों डिप्टी सीएम, बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य, घायल छात्रों से मिलने पहुंचे। उन्होंने छात्रों की हालत का जायजा लिया और पुलिस की कार्रवाई को गलत ठहराया। केशव मौर्य ने कहा कि छात्रों पर इस तरह की बर्बर कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वहीं बृजेश पाठक ने भरोसा दिलाया कि सभी घायलों का बेहतरीन इलाज कराया जाएगा।
ओपी राजभर का जवाब
मंत्री ओपी राजभर ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि देश संविधान और कानून से चलता है। अगर कोई कानून तोड़ेगा तो पुलिस कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा, “पहले पुलिस प्यार से समझाएगी, नहीं मानोगे तो सख्ती होगी, और फिर डंडा भी चलेगा।”
नतीजा क्या निकलेगा?
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