राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु गुरुवार को महाराजा एक्सप्रेस ट्रेन से मथुरा के वृंदावन पहुंचीं। यह दौरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति का यह पहला वृंदावन दौरा खास तौर पर बांके बिहारी मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मस्थान के दर्शन के लिए किया गया।महाराजा एक्सप्रेस से आगमनराष्ट्रपति सुबह 8 बजे दिल्ली से महाराजा एक्सप्रेस ट्रेन में रवाना हुईं। यह ट्रेन दुनिया की सबसे लग्जरी ट्रेनों में गिनी जाती है। ट्रेन के 18 कोचों में से 12 कोच राष्ट्रपति और उनके स्टाफ के लिए रिजर्व किए गए थे। इसमें प्रेसिडेंशियल सुइट, डीलक्स सुइट, रेस्टोरेंट, लाउंज और पावर कार शामिल थे।करीब डेढ़ घंटे की यात्रा के बाद राष्ट्रपति सुबह 10 बजे वृंदावन रोड रेलवे स्टेशन पहुंचीं। उनका स्वागत कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने किया। इसके अलावा मेयर विनोद अग्रवाल और ADG अनुपमा कुलश्रेष्ठ भी मौजूद रहे।बांके बिहारी मंदिर में दर्शनराष्ट्रपति वृंदावन पहुंचकर सीधे कार से बांके बिहारी मंदिर जाएंगी। यह उनके लिए पहली बार का अनुभव है जब वह इस मंदिर के दर्शन कर रही हैं। मंदिर के सदस्य उनका भव्य स्वागत करेंगे और विशेष पूजा की जाएगी। राष्ट्रपति के लिए कन्नौज से मंगाया गया खास इत्र मंदिर में चढ़ाया जाएगा। मंदिर को फूलों और सजावट के जरिए इस अवसर के अनुसार तैयार किया गया है।श्रीकुब्जा मंदिर और सुदामा कुटी की यात्राराष्ट्रपति का दौरा केवल बांके बिहारी मंदिर तक सीमित नहीं है। वह श्रीकुब्जा मंदिर और सुदामा कुटी का भी दर्शन करेंगी। यह स्थान श्रीकृष्ण की कथा और भक्ति से जुड़े हैं। इस धार्मिक यात्रा का उद्देश्य न केवल दर्शन करना है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को भी उजागर करना है।होटल में विश्राम और लंचराष्ट्रपति लगभग दो घंटे वृंदावन के छटीकरा मार्ग स्थित होटल रेडिशन में विश्राम करेंगी और लंच करेंगी। इस दौरान उन्हें आराम और गोपनीयता के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।श्रीकृष्ण जन्मस्थान में दर्शनराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु वह दूसरी राष्ट्रपति हैं जो श्रीकृष्ण जन्मस्थान में दर्शन करने जा रही हैं। इससे पहले राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने राष्ट्रपति रहते दो बार इस स्थल के दर्शन किए थे। राष्ट्रपति का यह दौरा धार्मिक परंपरा और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए किया गया है।बहरहाल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का वृंदावन दौरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति सम्मान का प्रतीक भी है। महाराजा एक्सप्रेस से उनके आगमन और मंदिरों में किए जाने वाले दर्शन से यह साबित होता है कि भारतीय राष्ट्रपति धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। यह दौरा जनता के लिए भी प्रेरणादायक और ऐतिहासिक रूप से यादगार साबित होगा। Comments (0) Post Comment