नोएडा बना देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर: ग्रेटर नोएडा की सांसें भी संकट में
नोएडा बना देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर: ग्रेटर नोएडा की सांसें भी संकट में
  • Category: नोएडा-ग्रेनो
  • Subcategory: Noida And Greater Noida News
नोएडाग्रेटर नोएडा की हवा में जहर क्या हो रहा है?

गौतम बुद्ध नगर जिले के अंतर्गत आने वाले नोएडा और ग्रेटर नोएडा ने नवंबर में लगभग पूरा महीनाबहुत खराबसेगंभीरश्रेणी की हवा में गुजारा है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार नोएडा देश का दूसरा और ग्रेटर नोएडा तीसरा सबसे प्रदूषित शहर दर्ज किया गया, जो पूरे NCR के लिए खतरे की घंटी है।

इस दौरान नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 373 और ग्रेटर नोएडा का AQI 364 तक दर्ज किया गया, जो सीधे-सीधेVery Poor’ कैटेगरी में आता है। इसका मतलब है कि सामान्य, स्वस्थ व्यक्ति की भी सांस लेने की क्षमता पर असर पड़ सकता है, जबकि बुजुर्ग, बच्चे और अस्थमा या दिल के मरीज के लिए यह स्तर बेहद खतरनाक माना जाता है।

 

AQI क्या कहता है और स्थिति कितनी खराब है?

एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 0 से 500 के बीच होता है, जिसमें 0–50 ‘Good’, 51–100 ‘Satisfactory’, 101–200 ‘Moderate’, 201–300 ‘Poor’, 301–400 ‘Very Poor’ और 401–500 ‘Severe’ माना जाता है। नोएडा में कई दिनों तक AQI 390 के ऊपर बना रहा और कई बार 400 पार करSevere’ ज़ोन तक पहुंचा।

रिपोर्ट के अनुसार, 7 नवंबर से लगातार कम से कम 19 दिन तक नोएडा की हवाबहुत खराबया उससे भी खराब स्तर पर रही, जबकि ग्रेटर नोएडा में 8 नवंबर से 18 दिन तक हालात ऐसे ही बने रहे। इसका मतलब है कि पूरे महीने लोगों ने लगभग हर दिन जहरीली हवा में ही सांस ली, जिसमें आराम या राहत के नाम पर सिर्फ कुछ अंकों की मामूली कमी देखने को मिली।

 

देश के सबसे प्रदूषित शहरों में नोएडाग्रेटर नोएडा की रैंकिंग

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़े दिखाते हैं कि जिस दिन यह रिपोर्ट जारी हुई, उस दिन पूरे देश में सिर्फ हापुड़ नोएडा से ज्यादा प्रदूषित था, जिसका AQI 389 दर्ज किया गया। यानी उस दिन की सूची में हापुड़ नंबर 1, नोएडा नंबर 2 और ग्रेटर नोएडा नंबर 3 पर था।

गाज़ियाबाद भी पीछे नहीं रहा, जहां कई दिनों तक AQI ‘Severe’ कैटेगरी में 400 के पार तक गया और 15 से 24 नवंबर के बीच कुछ दिन सबसे भयावह प्रदूषण स्तर दर्ज किए गए। हालांकि हाल के दिनों में गाज़ियाबाद का AQI 396 से गिरकर 351 तक आया, लेकिन यह भी अभीVery Poor’ ही माना जाता है, यानी राहत सिर्फ कागज पर दिख रही है, जमीन पर नहीं।

 

आंकड़ों के पीछे लोगों की हकीकत

कागजों में AQI के आंकड़े भले कुछ अंकों से कम हुए हों, लेकिन स्थानीय निवासी बताते हैं कि उन्हें यहसुधारमहसूस नहीं हो रहा। लोगों का कहना है कि पिछले सप्ताह हवा इतनी घुटन भरी थी कि आंखों में जलन और गले में जलन सामान्य हो गई थी, और अब भी धुंध की चादर और हल्की जलन बनी हुई है।

कई परिवारों ने बच्चों और बुजुर्गों को बाहर खेलने या सुबह की सैर पर भेजना लगभग बंद कर दिया है। पार्क, सड़कों और बाजारों में लोगों की आवाजाही कम हुई है, और ज्यादातर लोग घरों के अंदर ही रहकर एयर प्यूरीफायर या बंद खिड़कियों के सहारे खुद को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं।

 

मौसम और हवा की दिशा: राहत क्यों नहीं मिल रही?

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस समय उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों पर कोई मजबूत वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सक्रिय नहीं है। एक कमजोर ऊपरी पश्चिमी प्रणाली जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उत्तर से गुजरने की संभावना ज़रूर है, लेकिन उसका सीधा असर नोएडाग्रेटर नोएडा की हवा पर नहीं पड़ेगा।

मौसम विभाग का अनुमान है कि उत्तरी मैदानी इलाकों में सिर्फ हल्का, सूखा सर्कुलेशन बन सकता है, जिससे तापमान में हल्का उतार-चढ़ाव तो होगा, लेकिन हवा की स्पीड इतनी नहीं बढ़ेगी कि प्रदूषण को जल्दी से छांट सके। इसी वजह से अगले कई दिनों तक हवाVery Poor’ औरPoor’ के बीच ही झूलती रहने की संभावना जताई गई है, यानी बड़े स्तर पर कोई तुरन्त सुधार नहीं दिखेगा।

 

गिरता तापमान, बढ़ता धुंध का खतरा

गौतम बुद्ध नगर में न्यूनतम तापमान घटकर 8.6 डिग्री सेल्सियस तक गया, जबकि अधिकतम तापमान करीब 25 डिग्री के आसपास दर्ज हुआ। पिछले सप्ताह के मुकाबले न्यूनतम तापमान में 2–3 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे सुबह और रात के समय ठंड और धुंध दोनों में बढ़ोतरी दिख रही है।

इसी तरह गाज़ियाबाद में न्यूनतम तापमान लगभग 9.3 डिग्री और अधिकतम 24 डिग्री रहा, जो धुंध और स्मॉग बनने के लिए अनुकूल स्थिति तैयार करता है। इंडियन मेटेरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने सुबह के समय धुंध और कोहरे की स्थिति जारी रहने की चेतावनी दी है, क्योंकि रात के समय तापमान गिरने और नमी बढ़ने से प्रदूषक कण जमीन के पास ही फंस जाते हैं।

 

प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारण

नोएडाग्रेटर नोएडा और आसपास के इलाकों में प्रदूषण की वजह कई हैं, जो मिलकर हवा को बेहद जहरीला बना रही हैं। बड़े स्तर पर ये प्रमुख कारण हैं:

  • निर्माण कार्य और धूल:
    बड़े-बड़े प्रोजेक्ट, फ्लाईओवर, सोसाइटीज़ और सड़क widening जैसे कार्यों से भारी मात्रा में धूल हवा में उड़ती है, जो PM10 और PM2.5 कणों के रूप में AQI को तेजी से बढ़ाती है।
  • औद्योगिक और ट्रैफिक उत्सर्जन:
    फैक्ट्रियों, औद्योगिक यूनिट्स और भारी ट्रैफिक से निकलने वाला धुआं हवा में घुलकर स्मॉग की मोटी परत बनाता है। डीज़ल वाहन, पुरानी गाड़ियां और जाम की स्थिति और ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
  • पराली और क्षेत्रीय प्रदूषण:
    पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने, ईंट भट्ठों और अन्य स्रोतों से उठने वाला धुआं भी हवा की दिशा के साथ NCR की तरफ आता है। कम हवा की गति और ठंड के कारण ये प्रदूषक ऊपर जाने के बजाय यहीं फंसे रह जाते हैं।
  • स्थानीय कचरा जलाना:
    कई जगहों पर आज भी कचरा और पत्ते जलाने की प्रथा जारी है, जिससे जहरीली गैसें और धुआं सीधे मोहल्लों की हवा को खराब करता है।

 

सेहत पर असर: किन्हें सबसे ज्यादा खतरा?

‘Very Poor’ सेSevere’ स्तर की हवा सबसे ज्यादा उन लोगों के लिए खतरनाक है जिन्हें पहले से सांस या दिल की समस्या है। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, COPD, हार्ट रोगी और बुजुर्ग लोगों में सांस फूलना, सीने में जकड़न, खांसी, गले में जलन और आंखों में पानी की शिकायतें बढ़ सकती हैं।

छोटे बच्चों पर भी इसका गंभीर असर पड़ सकता है क्योंकि उनके फेफड़े अभी विकास की अवस्था में होते हैं और वे ज्यादा तेज़ी से सांस लेते हैं, जिससे ज़्यादा प्रदूषक अंदर चले जाते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह स्तर जोखिम भरा है, क्योंकि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से भ्रूण के विकास पर असर की आशंका बढ़ सकती है।

 

घर से बाहर निकलते समय किन बातों का ध्यान रखें?

जब AQI ‘Very Poor’ याSevere’ श्रेणी में हो, तो कुछ आसान सावधानियां आपकी सेहत को काफी हद तक बचा सकती हैं।

  • बिना जरूरत बाहर निकलें:
    अगर जरूरी काम हो तो सुबह और देर शाम, जब स्मॉग ज्यादा घना होता है, बाहर जाने से बचें।
  • N95/KN95 मास्क का उपयोग:
    साधारण कपड़े या सर्जिकल मास्क PM2.5 कणों से पूरी तरह सुरक्षा नहीं दे पाते, इसलिए N95/KN95 मास्क बेहतर विकल्प माना जाता है।
  • व्यायाम की आदत में बदलाव:
    खुले में दौड़ना, जॉगिंग या कड़ी एक्सरसाइज़ से बचें; जरूरत हो तो घर के अंदर, बंद कमरे या जिम में हल्का वर्कआउट करें।
  • पानी और डाइट:
    ज्यादा पानी पीएं, फल और सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट्स शामिल करें, जैसे नींबू, मौसमी, गाजर, चुकंदर आदि, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।

 

सरकार और प्रशासन से लोगों की उम्मीदें

लोगों की सबसे बड़ी मांग है कि यह समस्या सिर्फ आंकड़ों और रिपोर्टों में नहीं, जमीन पर भी हल होती दिखे। निवासियों का कहना है कि निर्माण स्थलों पर कड़े नियम लागू हों, सड़कों की नियमित मशीनों से सफाई और पानी का छिड़काव हो, ताकि धूल कम उड़े।

इसके अलावा, प्रदूषण फैलाने वाले औद्योगिक यूनिट्स पर सख्त कार्रवाई, पुरानी गाड़ियों पर नियंत्रण, खुले में कचरा जलाने वालों पर जुर्माना और ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने की जरूरत महसूस की जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक सख्त नीतियां, तकनीकी समाधान और जनता की भागीदारी एक साथ नहीं आएंगी, तब तक नोएडाग्रेटर नोएडा को इस जहरीली हवा से स्थायी राहत मिलना मुश्किल है

 

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