आतंकी हमले के बाद पहलगाम में उमर अब्दुल्ला की कैबिनेट बैठक, क्या है रणनीति?

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला एक बार फिर नई राजनीतिक पहल के साथ सुर्खियों में हैं।

इस बार उन्होंने राजधानी श्रीनगर छोड़कर पहलगाम और गुलमर्ग में कैबिनेट बैठकें करने का फैसला लिया है।

ये कदम उस समय लिया गया है, जब पहलगाम में एक महीने पहले हुए आतंकी हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय नागरिक की मौत हो गई थी।


क्या है बैठक का मकसद?

सरकार का उद्देश्य साफ है - लोगों में भरोसा पैदा करना और ये संदेश देना कि घाटी में सामान्य स्थिति बहाल हो रही है।

सीएम उमर अब्दुल्ला खुद दो दिनों के इस दौरे में कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें मुख्य सचिव अटल डुल्लू, टॉप पुलिस अधिकारी और पर्यटन विभाग से जुड़े अधिकारी शामिल होंगे।

सीएम के सलाहकार नासिर असलम वानी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि इस बैठक के दो मुख्य उद्देश्य हैं - "एक, हमें जमीनी हकीकत का अंदाजा लगाना है और दूसरा, आतंकवाद के डर को खत्म कर आम लोगों और पर्यटकों में विश्वास बहाल करना है।"


पर्यटन को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश

पहलगाम और गुलमर्ग दोनों ही कश्मीर के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। हाल के हमलों के बाद यहां की 90 प्रतिशत बुकिंग्स कैंसिल हो चुकी हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों और पर्यटन उद्योग को तगड़ा झटका लगा है।

एक अधिकारी के अनुसार, "इन बैठकों से ये संदेश जाएगा कि सरकार हालात सामान्य बनाने के लिए जमीन पर काम कर रही है।"


गुलमर्ग में भी होगी बैठक

बुधवार को सीएम अब्दुल्ला की अगुवाई में गुलमर्ग में एक और कैबिनेट बैठक होने वाली है।

दोनों स्थानों पर स्थानीय पर्यटन उद्योग से जुड़े हितधारकों से बातचीत की जाएगी, जिससे उनकी परेशानियों को सुना जा सके और ठोस समाधान निकाला जा सके।


सुरक्षा बलों की मौजूदगी रहेगी मजबूत

सूत्रों के अनुसार, इन बैठकों के दौरान IGP कश्मीर वीके बिरदी भी उपस्थित रहेंगे। सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर रखा गया है ताकि इन हाई-प्रोफाइल बैठकों के दौरान कोई भी अप्रिय घटना न हो।


पहले भी हो चुकी हैं राजधानी से बाहर बैठकें

ये पहली बार नहीं है जब उमर अब्दुल्ला सरकार राजधानी श्रीनगर से बाहर कैबिनेट मीटिंग कर रही है।

साल 2012 में भी उन्होंने तंगधार में LoC के पास कैबिनेट बैठक कर सशक्त प्रशासन और विश्वास बहाली की कोशिश की थी।


क्या कहती है टूरिज्म इंडस्ट्री?

कश्मीर ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन के प्रमुख रऊफ ट्रंबू ने इस फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि विश्वास बहाल करने के लिए सिर्फ प्रतीकात्मक कदमों से बात नहीं बनेगी।

उन्होंने कहा कि "सरकार को बंद इलाकों को फिर से खोलना चाहिए, खासतौर पर सुरक्षित ट्रैकिंग ट्रेल्स जैसे 'ग्रेट लेक्स ट्रेक' और 'टारसर मार्सर' को फिर से पर्यटकों के लिए शुरू किया जाए।"


राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में आया मुद्दा

गौर करने वाली बात तो ये है कि शनिवार को दिल्ली में हुई नीति आयोग की बैठक के दौरान भी सीएम उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में संसदीय समितियों और सार्वजनिक क्षेत्र की बैठकों के आयोजन का सुझाव दिया था।

उनका मानना है कि इससे घाटी में राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी बढ़ेगी और लोगों को लगेगा कि वो मुख्यधारा का हिस्सा हैं।


पर्यटकों को आमंत्रण देने की तैयारी

कैबिनेट बैठक के साथ-साथ पर्यटन विभाग जल्द ही एक प्रमोशनल कैंपेन शुरू करने जा रहा है, जिसके तहत देशभर में कश्मीर को एक सुरक्षित और खूबसूरत डेस्टिनेशन के रूप में दोबारा पेश किया जाएगा।

उमर अब्दुल्ला सरकार की ये पहल राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर एक रणनीतिक कदम है।

एक तरफ ये आम जनता और पर्यटकों में विश्वास लौटाने की कोशिश है, तो दूसरी तरफ ये संदेश भी है कि कश्मीर की जमीनी हकीकत को समझने और बदलने के लिए सरकार फील्ड में उतर चुकी है।

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