ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
ज़मीन से जुड़ी सोच और सच्ची खबरें
दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच अब हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के पास जा पहुंची है। जांच एजेंसियों ने इस यूनिवर्सिटी को पूरे मॉड्यूल का ‘कमांड हब’ बताया है, जहां न सिर्फ कट्टरता फैलाई जा रही थी बल्कि आतंकी गतिविधियों की प्लानिंग, लॉजिस्टिक सपोर्ट और छिपने का इंतजाम भी किया जा रहा था। दिल्ली पुलिस ने यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को जालसाजी और धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में पूछताछ के लिए समन जारी किया है।
यूनिवर्सिटी परिसर में आज हो सकती है तोड़फोड़ कार्रवाई
रेवेन्यू विभाग ने यूनिवर्सिटी की उस पूरी जमीन का मुआयना किया है जिस पर उसका निर्माण हुआ है। प्रारंभिक रिपोर्ट में सामने आया कि परिसर का एक बड़ा हिस्सा अवैध रूप से बनाया गया है। प्रशासन ने संकेत दिया है कि आज इस अवैध निर्माण पर कार्रवाई हो सकती है। इसी वजह से यूनिवर्सिटी के गेट पर पुलिस, जांच एजेंसियां और प्रशासनिक टीम तैनात हैं।
डॉक्टर और छात्र बने मॉड्यूल का हिस्सा
जांच में बड़ा खुलासा यह है कि यूनिवर्सिटी के कई डॉक्टर और छात्र आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा थे। पहले गिरफ्तार हुए डॉक्टर—डॉ. मुजम्मिल शकील, डॉ. शाहीन सईद और डॉ. उमर—ने पूछताछ में माना कि यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल आतंकियों के छिपने, युवा छात्रों को कट्टर बनाने और हमलों की प्लानिंग के लिए किया जा रहा था।
सूत्रों के अनुसार 22 डॉक्टरों और स्टूडेंट्स पर संदेह है कि वे इस मॉड्यूल से जुड़े रहे हैं। चार डॉक्टरों के मेडिकल रजिस्ट्रेशन पहले ही रद्द हो चुके हैं। करीब 15 डॉक्टर अब भी फरार बताए जा रहे हैं।
कट्टरता फैलाने के लिए धर्म का दुरुपयोग
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यूनिवर्सिटी में कश्मीरी छात्रों को जिहाद, हिजाब और धार्मिक भावनाओं के नाम पर भड़काया जाता था। एक मेडिकल छात्र ने स्वीकार किया कि डॉ. शाहीन सईद ने उसे और दूसरे छात्रों को धर्म के बारे में गलत और भड़काऊ जानकारी दी।
मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल शकील दोनों कश्मीर के रहने वाले हैं। इन पर आरोप है कि ये पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर्स के संपर्क में थे।
मुजम्मिल—मॉड्यूल का लॉजिस्टिक हेड
डॉ. मुजम्मिल को इस मॉड्यूल का लॉजिस्टिक हेड माना जा रहा है। उसके नूंह स्थित दो किराए के कमरों से 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ। यह वही विस्फोटक है जिसका इस्तेमाल धमाके और IED बनाने में होता है। उसने नूंह के खाद विक्रेताओं से बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट खरीदा था। पुलिस यह भी बता रही है कि वह जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तानी हैंडलर्स से लगातार संपर्क में था।
उमर ने हथियार छिपाए, अमोनियम नाइट्रेट नहीं कर पाया ठिकाने
मुख्य आतंकी उमर नबी ने नूंह में अपने किराए के घर के आसपास प्रतिबंधित पिस्टल छिपाई थी। हालांकि, अमोनियम नाइट्रेट और अन्य हथियार सुरक्षित नहीं रख पाया। दिल्ली ब्लास्ट साइट से मिली तीन 9mm कारतूस IED से जुड़े बताए जा रहे हैं। जांच एजेंसियां अब उन हथियारों और विस्फोटकों की खोज कर रही हैं जिनका उपयोग बड़ी साजिश में किया जाना था।
हवाला फंड का इस्तेमाल
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि हवाला के जरिए मिले पैसे का इस्तेमाल कट्टरता फैलाने, लॉजिस्टिक सपोर्ट, विस्फोटक खरीदने और मॉड्यूल चलाने में किया जाता था। यही वजह है कि ED भी इसमें कूद पड़ी है और वह यूनिवर्सिटी की फंडिंग की जांच कर रही है।
एक ही ईमेल अकाउंट का ड्राफ्ट बनाकर बातचीत
जांच में पता लगा कि आरोपी एक ही ईमेल अकाउंट का उपयोग करते थे। वे संदेश भेजने के बजाय ड्राफ्ट में टाइप करके छोड़ देते और दूसरा आरोपी उसे पढ़ लेता। इसके अलावा वे एन्क्रिप्टेड एप्स के जरिए पाकिस्तानी हैंडलर्स से जुड़े रहते थे।
यूनिवर्सिटी बना अस्थाई कंट्रोल सेंटर
NIA, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, यूपी ATS, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच और जम्मू-कश्मीर पुलिस मिलकर इस केस की जांच कर रही हैं। अल-फलाह यूनिवर्सिटी को जांच पूरी होने तक एक अस्थायी कमांड कंट्रोल सेंटर बना दिया गया है, जहां आने-जाने वाले हर व्यक्ति का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। गाड़ियों की डिग्गी खोलकर तलाशी ली जा रही है और परिसर में कड़े सुरक्षा प्रबंध लागू हैं।
ED भी करेगी आर्थिक जांच
ED जल्द ही यूनिवर्सिटी की फंडिंग से जुड़े दस्तावेज, जमीन के कागजात, हॉस्टल रिकॉर्ड और स्टाफ की नियुक्तियों की जांच शुरू करेगी। उनका मुख्य लक्ष्य यह पता लगाना है कि इस पूरे नेटवर्क को आर्थिक मदद कहां से मिल रही थी।
कुल मिलाकर अल-फलाह यूनिवर्सिटी अब सिर्फ एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का केंद्र बनकर सामने आई है। जांच एजेंसियां लगातार नए खुलासे कर रही हैं—चाहे वह हवाला फंडिंग हो, विदेशी लिंक, कट्टरता फैलाना हो या विशाल मात्रा में विस्फोटक का मिलना। अगले कुछ दिनों में और भी कार्रवाई होने की संभावना है, जिसमें अवैध निर्माण को गिराना, और गिरफ्तारियां शामिल हो सकती हैं।
Comments (0)
No comments yet. Be the first to comment!